2012 से 2016 के दौरान भारत की जगमगाहट काफी बढ़ी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा जारी सैटेलाइट इमेजेस के आधार पर कार्टोग्राफर जॉन नेल्सन ने दुनिया की नाइट-लाइट दिखाने वाला एक खास मैप बनाया है। 2012 और 2016 की स्थिति में तुलना करने के बाद बनाए गए इस मैप में दिखाया गया है कि इन 4 वर्षों के दौरान दुनिया के किस हिस्से में रात में चमक बढ़ी और किसमें कम हुई। लाइटिंग बेहतर होने वाले हिस्सों को इसमें नीली चमक के साथ और लाइटिंग कम होने वाले हिस्सों को गुलाबी रंग के साथ दिखाया गया है।
-नेल्सन ने 2012 में सालभर की सैटेलाइट इमेजेस और 2016 में सैटेलाइट के जरिए सालभर में खींची गई तस्वीरों की तुलना की। इसके बाद विशेष मैप में इस दौरान हुए बदलावों को दिखाया कि किस जगह लाइट की ब्राइटनेस बढ़ी और किस जगह कम हुई।
- इसमें भारत की चमक में हुई बढ़ोतरी को बेहद आसानी से देखा जा सकता है। इस मैप के एनालिसिस के आधार पर नेशनल जियोग्राफिक ने टिप्पणी की कि 4 वर्षों में भारत की जगमगाहट में नाटकीय बदलाव हुआ है। उसने इसका श्रेय गांव-गांव में बिजली पहुंचाने वाली सरकारी योजनाओं को दिया है।
-दूसरी तरफ, हैरानी की बात यह है कि कुछ विकसित देशों की रात्रिकालीन जगमगाहट में कमी आई है।
- इसमें भारत की चमक में हुई बढ़ोतरी को बेहद आसानी से देखा जा सकता है। इस मैप के एनालिसिस के आधार पर नेशनल जियोग्राफिक ने टिप्पणी की कि 4 वर्षों में भारत की जगमगाहट में नाटकीय बदलाव हुआ है। उसने इसका श्रेय गांव-गांव में बिजली पहुंचाने वाली सरकारी योजनाओं को दिया है।
-दूसरी तरफ, हैरानी की बात यह है कि कुछ विकसित देशों की रात्रिकालीन जगमगाहट में कमी आई है।
भारत में रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोग्राम और सोलर एनर्जी के बढ़ते प्रयोग के कारण यह बदलाव नजर आया। बहरहाल, नेशनल जियोग्राफिक की टिप्पणी है कि हालांकि नतीजे स्पष्ट देखे जा सकते हैं, बावजूद इसके अब भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
इस मैप में सबसे हैरानी की बात यह मिली कि यूरोप और अमेरिका विकसित देशों की जगमगाहट रात में कम नजर आई। इसका एक कारण यह माना जा रहा है कि लाइट पॉल्युशन के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते अब विकसित देशों में जरूरत न होने पर लाइट बंद करने पर ध्यान दिया जा रहा है। मैप के अनुसार, ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में लाइटिंग बढ़ी, लेकिन यूरोप के बाकी तमाम हिस्सों में कम हुई है। अमेरिका के कुछ हिस्सों में यह कम हुई, तो कुछ में बढ़ी भी है।
नॉर्थ कोरिया की लाइटिंग में 2012 से 2016 के दौरान कोई खास बदलाव नहीं हुआ। दूसरी तरफ, साउथ कोरिया में बदलाव मिश्रित रहा। यानी कहीं रात की जगमगाहट बढ़ी, तो कहीं कम हुई।
साभार - भास्कर न्यूज़
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