पृथ्वी ( Earth) 5वां सबसे बड़ा ग्रह - Study Search Point

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पृथ्वी ( Earth) 5वां सबसे बड़ा ग्रह

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पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। पृथ्वी के इतिहास का पहला युग, जिसकी शुरुआत लगभग 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व (4.54 Ga) सौर-नीहारिका से हुई अभिवृद्धि के द्वारा पृथ्वी के निर्माण के साथ हुई, को हेडियन (Hadean) कहा जाता है। यह आर्कियन (Archaean) युग तक जारी रहा, जिसकी शुरुआत 3.8 Ga में हुई. पृथ्वी पर आज तक मिली सबसे पुरानी चट्टान की आयु 4.0 Ga मापी गई है और कुछ चट्टानों में मिले प्राचीनतम डेट्राइटल ज़र्कान कणों की आयु लगभग 4.4 Ga आंकी गई है, जो कि पृथ्वी की सतह और स्वयं पृथ्वी की रचना के आस-पास का काल-खण्ड है।

चूंकि उस काल की बहुत अधिक सामग्री सुरक्षित नहीं रखी गई है, अतः हेडियन (Hadean) काल के बारे में बहुत कम जानकारी प्राप्त है, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 4.53 Ga में, प्रारंभिक सतह के निर्माण के शीघ्र बाद, एक अधिक पुरातन-ग्रह का पुरातन-पृथ्वी पर प्रभाव पड़ा, जिसने इसके आवरण व सतह के एक भाग को अंतरिक्ष में उछाल दिया और चंद्रमा का जन्म हुआ। हेडियन (Hadean) युग के दौरान, पृथ्वी की सतह पर लगातार उल्कापात होता रहा और बड़ी मात्रा में ऊष्मा के प्रवाह तथा भू-ऊष्मीय अनुपात (geothermal gradient) के कारण ज्वालामुखियों का विस्फोट भी भयंकर रहा होगा डेट्राइटल ज़र्कान कण, जिनकी आयु 4.4 Ga आंकी गई है, इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं कि द्रव जल के साथ उनका संपर्क हुआ था, जिसे इस बात का प्रमाण माना जाता है कि उस समय इस ग्रह पर महासागर या समुद्र पहले से ही मौजूद थे। अन्य आकाशीय पिण्डों पर प्राप्त ज्वालामुखी-विवरों की गणना के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि उल्का-पिण्डों के अत्यधिक प्रभाव वाला एक काल-खण्ड, जिसे "लेट हेवी बॉम्बार्डमेन्ट (Late Heavy Bombardment)" कहा जाता है, का प्रारंभ लगभग 4.1 Ga में हुआ था और इसकी समाप्ति हेडियन के अंत के साथ 3.8 Ga के आस-पास हुई
आर्कियन युग के प्रारंभ तक, पृथ्वी पर्याप्त रूप से ठंडी हो चुकी थी। आर्कियन के वातावरण, जिसमें ऑक्सीजन तथा ओज़ोन परत मौजूद नहीं थी, की रचना के कारण वर्तमान जीव-जंतुओं में से अधिकांश का अस्तित्व असंभव रहा होता. इसके बावजूद, ऐसा माना जाता है कि आर्कियन युग के प्रारंभिक काल में ही प्राथमिक जीवन की शुरुआत हो गई थी और कुछ संभावित जीवाष्म की आयु लगभग 3.5 Ga आंकी गई है। हालांकि, कुछ शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जीवन की शुरुआत शायद प्रारंभिक हेडियन काल के दौरान, लगभग 4.4 Ga पूर्व, हुई होगी और पृथ्वी की सतह के नीचे हाइड्रोथर्मल छिद्रों में रहने के कारण वे संभावित लेट हेवी बॉम्बार्डमेंट काल में उनका अस्तित्व बच सका
पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर घूमती रहती है। इसकी दो गतियां है : -

घूर्णन

पृथ्वी के अक्ष पर चक्रण को घूर्णन कहते हैं। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है और एक घूर्णन पूरा करने में 23 घण्टे, 56 मिनट और 4.091 सेकेण्ड का समय लेती है। इसी से दिन व रात होते हैं।

परिक्रमण

पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अंडाकार पथ पर 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट व 45.51 सेकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है, जिसे उसकी परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी की इस गति की वजह से ऋतु परिवर्तन होता है।

पृथ्वी के केंद्र तथा पहले वातावरण की उत्पत्ति

पुरातन-पृथ्वी का विकास अभिवृद्धि से तब तक होता रहा, जब तक कि सूक्ष्म-ग्रह का आंतरिक भाग पर्याप्त रूप से इतना गर्म नहीं हो गया कि भारी, लौह-धातुओं को पिघला सके. ऐसे द्रव धातु, जिनके घनत्व अब उच्चतर हो चुका था, पृथ्वी केभार के केंद्र में एकत्रित होने लगे. इस तथाकथित लौह प्रलय के परिणामस्वरूप एक पुरातन आवरण तथा एक (धातु का) केंद्र पृथ्वी के निर्माण के केवल 10 मिलियन वर्षों में ही पृथक हो गये, जिससे पृथ्वी की स्तरीय संरचना बनी और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण हुआ। पुरातन-ग्रह पर पदार्थों के संचयन के दौरान, गैसीय सिलिका के एक बादल ने अवश्य ही पृथ्वी को घेर लिया होगा, जो बाद में इसकी सतह पर ठोस चट्टानों के रूप में घनीभूत हो गया। अब इस ग्रह के आस-पास सौर-नीहारिका के प्रकाशीय (एटमोफाइल) तत्वों, जिनमें से अधिकांश हाइड्रोजन  हीलियम से बने थे, का एक प्रारंभिक वातावरण शेष रह गया, लेकिन सौर-वायु तथा पृथ्वी की उष्मा ने इस वातावरण को दूर हटा दिया होगा. जब पृथ्वी की वर्तमान त्रिज्या में लगभग 40% की वृद्धि हुई तो इसमें परिवर्तन हुआ और गुरुत्वाकर्षण ने वातावरण को रोककर रखा, जिसमें पानी भी शामिल था। पृथ्वी का तल असमान है। तल का 70.8 फीसदी भाग जल से आच्छादित है, जिसमें अधिकांश महासागरीय नितल समुद्री स्तर के नीचे है। धरातल पर कहीं विशाल पर्वत, कहीं ऊबड़-खाबड़ पठार तो कहीं पर उपजाऊ मैदान पाये जाते हैं। महाद्वीप और महासागरों को प्रथम स्तर की स्थलाकृति माना जाता है जबकि पर्वत, पठार, घाटी निचले स्तरों के अंतर्गत रखे जाते हैं। पृथ्वी का तल समय काल के दौरान प्लेट टेक्टोनिक्स और क्षरण की वजह से लगातार परिवर्तित होता रहता है। प्लेट टेक्टोनिक्स की वजह से तल पर हुए बदलाव पर मौसम, वर्षा, ऊष्मीय चक्र और रासायनिक परिवर्तनों का असर पड़ता है। हिमीकरण, तटीय क्षरण, प्रवाल भित्तियों का निर्माण और बड़े उल्का पिंडों के पृथ्वी पर गिरने जैसे कारकों की वजह से भी पृथ्वी के तल पर परिवर्तन होते हैं।

पृथ्वी  आकार में 5वां सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा ग्रह है। यह सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है। इसका विषुवतीय / भूमध्यरेखीय व्यास 12,756 किलोमीटर और ध्रुवीय व्यास 12,714 किलोमीटर है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।
रोचक तथ्य : -
  1. पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, कैलंडर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारणफ़रवरी माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।
  1. पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।
  2. आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है।
  3. जल की उपस्थिति तथा अंतरिक्ष से नीला दिखाई देने के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
  4. पृथ्वी की उत्पत्ति 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई थी. जिसका 70.8 % भाग जलीय ओर 29.2 % भाग स्थलीय है।
  5. इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।
  6. सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा 'प्रॉक्सीमा सिंटोरी' है, जो अल्फा सिंटोरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।
  7. पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।

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