उत्तराखंड जनपद विशेष : बागेश्वर जनपद., - Study Search Point

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उत्तराखंड जनपद विशेष : बागेश्वर जनपद.,

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उपनाम- व्याघ्रेश्वर, नीलगिरी, उत्तर का काशी, भारत का स्विट्जरलैंड (कौसानी)
अस्तित्व- 18 सितंबर 1997,
तहसील- 6 विकास खंड, 3 विधानसभा क्षेत्र- 3,
सीमा विस्तार- पूर्व में पिथौरागढ़, पश्चिम में चमोली, दक्षिण में अल्मोड़ा, उत्तर में चमोली - पिथौरागढ़,
➣ बागेश्वर को उतर का वाराणसी कहा जाता भी कहा जाता है।
➣ बागेश्वर जिले का क्षेत्रफल 2246 वर्ग किमी है। बागेश्वर जिला राज्य का तीसरा सबसे छोटा जिला है।
बागेश्वर राज्य का आंतरिक जिला है, बागेश्वर जिला तीसरा सबसे कम आबादी वाला जिला है| बागेश्वर जिला तीसरा सबसे कम दशकीय वृद्धि वाला जिला है, इसकी दशकीय वृद्धि 4.18 प्रतिशत है।  बागेश्वर चौथा सबसे कम जनघनत्व वाला जिला है।
➣ बागेश्वर जिले का लिंगानुपात 1090 है, जो राज्य का चौथा सबसे बड़ा जिला है। प्रतिशत की दष्टि से सबसे ज्यादा ग्रामीण बागेश्वर जिले में  है, जो कुल आबादी के 96.51 प्रतिशत है। राज्य में सबसे कम नगरीय आबादी है।
➣ प्रतिशत की दष्टि से सबसे अधिक अनुसूचित जाति के लोग बागेश्वर में निवास करते है।
प्रसिद्ध मंदिर-
➨ बागनाथ मंदिर- गोमती तथा सरयू नदी के संगम पर स्थित, मंदिर से कुछ दूरी पर गौरी गुफा भी स्थित है।
➨ बागेश्वर मंदिर- 9 वीं सदी में कत्यूरी शासक भूदेव द्वारा निर्मित मंदिर, इसे व्याघ्रेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।
➨ बैजनाथ मंदिर- गोमती नदी के तट पर स्थित बैजनाथ मंदिर का एक समूह है, यहीं पर पत्थर की बनी पार्वती की मूर्ति कांस्य की बनी होने का भ्रम पैदा करती है। बैजनाथ के पास तैलीहाट मंदिर समूह भी एक ऐतिहासिक स्थल है। बैजनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार 1602 में लक्ष्मीचंद के द्वारा कराया गया।
➨ भद्रकाली मंदिर- कालीमठ के समान प्रतिष्ठित, महाकाली, महालक्ष्मी महासरस्वती की मूर्तियां स्थापित।
➨ कोट भ्रामरी व नंदा मंदिर- डंगोली के समीप, बैजनाथ से 5 किलोमीटर दूरी पर।
➨ पिनाकेश्वर महादेव मंदिर चंडी का मंदिर ज्वाला देवी मंदिर उदियार मंदिर श्री हारू मंदिर,  रकमेड़ी देवी का मंदिर बागेश्वर में है |
➨ हख मंदिर- बागनाथ से कुछ दूरी पर स्थित भट्ट कोटी मंदिर,
➥ बागनाथ मंदिर का निर्माण भी लक्ष्मीचंद के द्वारा 1602 में कराया गया।

प्रमुख मेले और उत्सव-
➤ उत्तरायणी मेला- 1921 से आरंभ प्रतिवर्ष मकर सक्रांति को, कुली बेगार के अंत होने के अवसर पर। पहले मेले को 9 लाख की उतरायणी कहा जाता था। इस मेले का जिक्र 1905 में सेरमन ओकले ने अपनी
पुस्तक “होली हिमालय” में किया। इस मेले में चांचरी नृत्य होता है।
➤ नंदा देवी मेला

प्रमुख ताल एवं झीलें-
➥ सुकुंडा ताल,
➥ देवीकुंड ठण्डे पानी का कुंड है, जो सुन्दरढुंगा के पास स्थित।
➥ हथछीना जलाशय बागेश्वर में है
➥ सेवानाऊ नौला बागेश्वर में स्थित है।

प्रमुख नदियों हिमनद/ग्लेशियर-
➣ पिंडारी ग्लेशियर- 30 किलोमीटर लंबा 400 मीटर चौड़ा कुमाऊं का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चमोली जिले में 30 किमी तक फैला है।
➣ सुंदरढूंगी ग्लेशियर सुखाराम ग्लेशियर कफनी ग्लेशियर मैकतोली ग्लेशियर,
➣ कोसी तथा गरुड़ नदी के बीच पिगनाथ पहाड़ी स्थित,
➣ कोसी नदी बागेश्वर के कौसानी के पास धार पानीधार से निकलती है।
➣ कोसी नदी बागेश्वर के बाद अल्मोडा, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में 168 किमी क राज्य में बहती है। कोसी नदी उतरप्रदेश में राम गंगा से मिल जाती है। सुल्तानपुर के पास कोसी नदी राज्य से बाहर हो जाती है। कुमाऊँ में कोसी नदी घाटी को धान का कटोरा कहा जाता है।
➣ सुमालीगाड कोसी की सहायक नदी है।
➣ सरयू नदी बागेश्वर के सरमूल या झुण्डी नामक स्थान से निकलती है। बागेश्वर का बैजनाथ तीर्थ सरयू नदी के तट पर स्थित है।
➣ सरयू की सहायक नदी गोमती है, गोमती नदी बागेश्वर के डेबरा श्रेणी से निकलती है। सरयू नदी की लम्बाई 146 किमी है। कुमाऊँ की सबसे पवित्र नदी सरयू है।
➣ पंचेश्वर में काली व सरयू नदी का संगम स्थल है।
➣ काकरीघाट के पास सरयू व पनार नदी का संगम स्थल है।
➣ अलकनंदा की सहायक नदी पिण्डर बागेश्वर के पिण्डारी हिमनद से निकलती है, पिण्डारी हिमनद के पास भोजपत्र के वक्ष पाये जाते है।

प्रमुख दर्रे-
➤ पिथौरागढ़ - बागेश्वर- ट्रेल पास दर्रा स्थित,
➤ बागेश्वर - चमोली के बीच सुन्दरढुंगा दर्रा
प्रमुख पर्वत/बुग्याल -  
 पकुवा टॉप और पकुवा बागेश्वर में स्थित,
➣ बागेश्वर तीर्थ के पूर्व में भीलेश्वर पर्वत, पश्चिम में नीलेश्वर पर्वत, तथा उत्तर में सूरजकुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड स्थित है।
➣ दयोली पर्वत कपकोट बागेश्वर में है।

भाषा/साहित्य/पत्रिका -
➤ मांझ-कुमैय्या बोली गढवाल व कुमाऊँ सीमा पर बोली जाती है।
➤ हिमालय का स्वर सामाचार पत्र बागेश्वर जिले से प्रकाशित होता है।

ऐतिहासिक घटनाएं -
➣ बागेश्वर को बागनाथ व ब्याघेश्वर नाम से भी जाना जाता
➣ बागेश्वर का पौराणिक नाम अग्नितीर्थ है।
➣ मानसखण्ड मे सरयू को गंगा व गोमती को यमुना कहा गया है।
➣ 1968 में बागेश्वर नगर पालिका का गठन किया गया । 1942 से 1955 तक बागेश्वर टाउन एरिया रहा।
➣ कपकोट व गरूड़ विकासखंड बागेश्वर जिले में है। भकोट नामक स्थान कौसानी में है।
➣ 1921 में कुली बेगार प्रथा का अंत बागेश्वर में सरयू नदी के तट पर हुआ था है। 1929 में गांधी जी ने यहां स्वराज मंदिर की भूमि का शिलान्यास किया था।
➣ पाण्डुस्थल गढ़वाल व कमाऊँ की सीमा पर रमणीक स्थल के रूप मैं प्रसिद्ध।
➣ कौसानी के संस्थापक रैम्जे को माना जाता है। कुमाऊँ का गहना कौसानी को कहा जाता है
➣ बागेश्वर को उतराखण्ड का नीलगिरी कहा जाता है। सास-बहु नामक खेत बागेश्वर में है।
➣ बागेश्वर जिले में कौसानी शहर गोमती व गरुण नदी के बीच स्थित पर्यटक स्थल है। कौसानी पिंगनाथ पहाड़ी पर बसा है। समुद्रतल से कौसानी 1890 मी की ऊंचाई पर स्थित, कौसानी का पुराना नाम बलना है। कौशिक मुनी की तपस्थली होने के कारण कौसानी नाम पड़ा।1929 में महात्मा गांधी ने यहां 12 दिन प्रवास किया। यंग इंडिया पुस्तक के एक लेख में गांधी जी ने कौसानी को भारत का स्विटजरलैण्ड कहा है। गांधी जी ने कौसानी में गीता की भूमिका पर अनाशक्ति योग टीका लिखी थी।
➣ गांधी जी की शिष्या सरला बहन द्वारा स्थापित लक्ष्मी आश्रम कौसानी में है, लक्ष्मी आश्रम की स्थापना 1941 में हुई।
➣ कौसानी में सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली है। यही पर पंत संग्रहालय उनके जन्मस्थान पर बना गया है।

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