हिन्दी : कारक चिह्न - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

हिन्दी : कारक चिह्न

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हिन्दी में आठ कारक : -
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके सम्बन्ध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं। हिन्दी में आठ कारक होते हैं- कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन। विभक्ति या परसर्ग-जिन प्रत्ययों से कारकों की स्थितियों का बोध होता है, उन्हें विभक्ति या परसर्ग कहते हैं। आठ कारकों के विभक्ति चिह्न या परसर्ग इस प्रकार होते हैं ! कुछ भाषाओं में संज्ञा और सर्वनाम के अलावा विशेषण और क्रियाविशेषण (ऐडवर्ब) में भी विकार आते हैं। जैसे संस्कृत में - 'शीतलेन जलेन' में 'शीतलेन' विशेषण है। विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या तथा कारक के अनुसार शब्द का रूप-परिवर्तन भिन्न-भिन्न होता है। संस्कृत तथा अन्य प्राचीन भारोपीय भाषाओं में आठ कारक होते हैं। जर्मन भाषा में चार कारक हैं।
कारक विभक्ति - संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के बाद ‘ने, को, से, के लिए’, आदि जो चिह्न लगते हैं वे चिह्न कारक 'विभक्ति' कहलाते हैं।


कर्ता कारक

क्रिया करने वाले को कर्ता कहते हैं। यह स्वतंत्र होता है। इसमें 'ने' विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-
राजेन्द्र ने पत्र भेजा है।
मैंने भोजन किया है।

कहीं-कहीं वाक्य में कर्ता कारक के 'ने' चिह्न का लोप भी रहता है। जैसे-
राम रोटी खाता है।
मैं जाता हूँ।

कर्म कारक

जिस पर क्रिया के व्यापार का प्रभाव पड़ता है। उसे कर्म कारक कहते हैं। इसमें 'को' विभक्ति चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे-
गोपाल ने राधा को बुलाया है।
उसने पानी को छाना है।

कुछ वाक्यों में कर्म कारक के चिह्न 'को' का लोप भी रहता है। जैसे-
श्याम पुस्तक पढ़ता है।
मेरे द्वारा यह कार्य हुआ है।

करण कारक

जिसके द्वारा क्रिया होती है, उसे करण कारक कहते हैं। करण कारक के विभक्ति चिह्न 'से, द्वारा' हैं। जैसे-
कलम से पत्र लिखा है।
मेरे द्वारा कार्य हुआ है।

सम्प्रदान कारक

जिसके लिए क्रिया की जाती है अथवा जिसे कोई वस्तु दी जाती है, वहाँ सम्प्रदान कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'के लिए' और 'को' हैं। जैसे-
भूखे के लिए रोटी लाओ।
राज ज्ञानू को पुस्तक देता है।
मैं बाज़ार को जा रहा हूँ।

अपादान कारक

जहाँ एक संज्ञा का दूसरी संज्ञा से अलग होना सूचित होता है, वहाँ अपादान कारक होता है। इसका विभक्ति चिह्न 'से' है। जैसे-
पेड़ से पत्ते गिरे।
लड़का छत से गिरा है।
में बैंक से रुपया लाया हूँ।

सम्बन्ध कारक

जहाँ एक संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से सूचित होता है, वहाँ सम्बन्ध कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न का, की, के; रा, री, रे; ना, नी, ने हैं। जैसे-
राम का लड़का, श्याम की लड़की, गीता के बच्चे।
मेरा लड़का, मेरी लड़की, हमारे बच्चे।
अपना लड़का, अपना लड़की, अपने लड़के।

अधिकरण कारक

जहाँ कोई संज्ञा या सर्वनाम किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम का आधार हो, वहाँ अधिकरण कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'में, पर' हैं। जैसे-
महल में दीपक जल रहा है।
छप पर कपड़े सूख रहे हैं।
मुझमें शक्ति बहुत कम है।

सम्बोधन कारक

जहाँ पुकारने, चेतावनी देने या ध्यान आकर्षित करने के लिए किसी को सम्बोधित किया जाता है, वहाँ सम्बोधन कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'हे, अरे, अजी' हैं। जैसे-
हे ईश्वर! कृपा करो।
अरे मोहन! इधर आओ।
अजी! तुम उसे क्या मारोगे?


विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या
भाषाकारकों की संख्याटिप्पणी
हंगेरियन29 
फिनिश15 
बास्क12 
चेचन8 
संस्कृत8 
क्रोशियन7 
पोलिश7 
यूक्रेनी7 
लैटिन6 
स्लोवाकी6 
रूसी6 
बेलारूसी7 
ग्रीक5 
रोमानियन5 
आधुनिक ग्रीक4
बुल्गेरियन4  
जर्मन4 
अंग्रेजी3 
अरबी3 
नार्वेजी2
                                                                             कारक के विभिन्न चिह्न ( By : Kosh )
कारकचिह्नअर्थ
कर्तानेकाम करने वाला
कर्मकोजिस पर काम का प्रभाव पड़े
करणसे, द्वाराजिसके द्वारा कर्ता काम करें
सम्प्रदानको,के लिएजिसके लिए क्रिया की जाए
अपादानसे (अलग होना)जिससे अलगाव हो
सम्बन्धका, की, के; ना, नी, ने; रा, री, रेअन्य पदों से सम्बन्ध
अधिकरणमें,परक्रिया का आधार
संबोधनहे! अरे! अजी!किसी को पुकारना, बुलान

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