फारसी नववर्ष नौरोज़ : 21 मार्च., - Study Search Point

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फारसी नववर्ष नौरोज़ : 21 मार्च.,

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21 मार्च फारसी नववर्ष नौरोज़ - 

तिथि - 20 मार्च, 21 या 22 मार्च
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2010 के संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किया गया था। 2010 के संकल्प A / RES / 64/253 में, कई देशों की पहल पर जो इस छुट्टी (अफगानिस्तान, अल्बानिया, अजरबैजान, मैसिडोनिया, भारत के पूर्व यूगोस्लाव गणराज्य) को साझा करते हैं , ईरान (इस्लामिक गणराज्य), कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की और तुर्कमेनिस्तान।
मानव जाति की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची पर 2009 में उत्कीर्ण, एक सांस्कृतिक परंपरा के रूप में कई लोगों द्वारा देखी गई। नौरोज़ एक पैतृक उत्सव है जो वसंत के पहले दिन और प्रकृति के नवीकरण का प्रतीक है। यह पीढ़ियों और परिवारों के बीच शांति और एकजुटता के मूल्यों के साथ-साथ सामंजस्य और पड़ोसी होने को बढ़ावा देता है, इस प्रकार यह सांस्कृतिक विविधता और लोगों और विभिन्न समुदायों के बीच दोस्ती में योगदान देता है। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है।
उद्देश्य -
यह एक ऐसा बेहतरीन अवसर होता है जो पिछले वर्ष की थकावट व दिनचर्या के कामों से छुटकारा व विश्राम की संभावना उत्पन्न कराता है। नववर्ष, अतीत पर दृष्टि डालने और आने वाले जीवन को उत्साह व ख़ुशियों से भर अनुभव से जारी रखने का नाम है। प्रकृति की हरियाली और हरी भरी पत्तियों से वृक्षों का श्रंगार, नये व उज्जवल भविष्य का संदेश सुनाती है। इस अवसर पर प्रचलित बेहतरीन परंपराओं में से एक है सगे संबंधियों से भेंट। इस परंपरा में इस्लाम धर्म में बहुत अधिक बल दिया गया है। यहाँ तक कि नौरोज़ को सगे संबंधियों से भेंट और अपने दिल की बात बयान करने का बेहतरीन अवसर माना जाता है जो परिवारों के मध्य लोगों के संबंधों को अधिक सृदृढ़ करता है। यह त्योहार समाज में नववर्ष के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।

विशेष -
ईरानी कैलेंडर का पहला दिन लगभग 21 मार्च के आसपास वसंत विषुव को पड़ता है। विषुव के समय सूर्य विषुवत रेखा पर सीधा चमकता है और दोनों ध्रुव प्रकाश वृत्त पर पड़ते हैं। प्रकाश वृत्त का बराबर भाग उत्तरी व दक्षिणी गोलार्धों में पड़ता है और इस दिन पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर दिन और रात की अवधि बराबर होती है। प्रतिवर्ष घटित होने वाली इस खगोलीय महत्व की घटना को धार्मिक-सांकृतिक उत्सवों से भी जोड़ा जाता है और कई धर्मों के त्यौहार इस दिन मनाये जाते हैं।
11वीं सदी ईसवी के आसपास, ईरानी कैलेंडर में कई सुधार किये गये, जिनका प्राथमिक उद्देश्य वर्ष का पहला दिन तय करना था, अर्थात नौरोज़ को वसंत विषुव के दिन स्थापित करना था। इसी अनुसार, ईरानी विद्वान तूसी ने नौरोज़ को परिभाषित करते हुए लिखा है, "आधिकारिक वर्ष का प्रथम दिवस (नौरोज़) हमेशा से वह दिन होता था जिस दिन मध्याह्न से पहले सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है।

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