उत्तराखण्ड जनपद विशेष : चमोली जनपद., - Study Search Point

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उत्तराखण्ड जनपद विशेष : चमोली जनपद.,

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उपनाम- चांदपुर गढ़, अलकापुरी,
अस्तित्व- 24 फरवरी 1960, पौड़ी जिले से पृथक हुआ।
तहसील- 12 विकासखंड- 9 विधानसभा क्षेत्र- 3,
सीमा विस्तार- पूर्व में बागेश्वर - पिथौरागढ़, पश्चिम में रुद्रप्रयाग - उत्तरकाशी, उत्तर में चीन (तिब्बत) दक्षिण में अल्मोड़ा - पौड़ी,
➠ चमोली जनपद का क्षेत्रफल 8030 वर्ग किलोमीटर है, चमोली जनपद क्षेत्रफल के मामले में राज्य का दूसरा बड़ा जिला है (आयोग के अनुसार)।
➠ चमोली जनपद का जनघनत्व 49 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो राज्य में दूसरा सबसे न्यूनतम घनत्व वाला जिला है।
➠ चमोली जनपद का लिंगानुपात 1019 है।
➠ चमोली जनपद की साक्षरता दर 82.65% है। साक्षरता की दृष्टि से चमोली जनपद राज्य में तृतीय स्थान पर है।
➠ पुरुष साक्षरता की दर 93.40 प्रतिशत है जो जनपदों में दूसरे स्थान पर है। महिला साक्षरता दर के मामले में चमोली तीसरे स्थान पर है।

प्रसिद्ध मंदिर -
➤ बद्रीनाथ मंदिर- जोशीमठ से 50 किलोमीटर दूर स्थित, पुराणों में यह मुक्तिप्रदा, बद्रिकाश्रम, योगसिद्ध, तथा नारायण आश्रम नाम से वर्णित, मुगल शैली में निर्मित मंदिर। मंदिर का जीर्णोद्धार दौलतराव सिंधिया के द्वारा कराया गया है।
➥ बद्रीनाथ मंदिर नीलकंठ पर्वत शिखर के पृष्ठ पट में नर नारायण पर्वत के पार्श्व में स्थित है, मंदिर के निकट गर्म जल का कुंड तप्त कुंड स्थित है।
➥ नवंबर माह में नवंबर माह में बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, कपाट बंद होने के दौरान कढ़ाई उत्सव मनाया जाता है। बद्रीनाथ मंदिर में मुख्य प्रतिमा विष्णु की चिंतन मुद्रा में काले रंग की खंडित मूर्ति है। बद्रीनाथ मंदिर तीन भागों में विभक्त है।
➥ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 7 बद्रीनाथ तक जाती है।

बद्रीनाथ (चमोली) में स्थित कुंड -
➣ तप्त कुंड, ➣ नारद कुंड, ➣ सत्य पथ कुंड, ➣ त्रिकोण कुंड, तथा ➣ मानुषी कुंड (ठंडे जल का कुंड)

बद्रीनाथ (चमोली) में स्थित पंचशील -
➣ गरूंड शिला, ➣ नारद शिला, ➣ मारकंडे शिला,  ➣ ब्रह्म कपाल शिला, ➣ नरसिह शिला,

बद्रीनाथ (चमोली) में स्थित धाराएं -
➣ कूर्म धारा, ➣ पहलाद धारा, ➣ इंदु धारा, ➣ उर्वशी धारा, ➣ भृंगु धारा,

बद्रीनाथ (चमोली) स्थित गुफाएं -
➣ स्कंद गुफा, ➣ गरुण शिला गुफा, ➣ राम गुफा, ➣ गणेश गुफा, ➣ व्यास गुफा, 
➣ ब्रह्म कपाली बद्रीनाथ चमोली में ही स्थित है।

➤ आदि बद्री मंदिर- कर्णप्रयाग से 20 किलोमीटर आगे नौठा में स्थित,
➤ भविष्य बद्री मंदिर- जोशीमठ से 18 किलोमीटर आगे,
➤ वृद्ध बद्री मंदिर- जोशीमठ से 7 किलोमीटर दूर अनिमठ पर स्थित, 
➤ योगदान बद्री मंदिर- शीतकाल में बद्रीनाथ की डोली यहीं लाई जाती है।

पंच केदार- दो केदार चमोली में स्थित तथा तीन केदार रुद्रप्रयाग में,
➤ रुद्रनाथ- भगवान शिव के रौद्र मुख की पूजा की जाती है, ब्रह्मा कमल के लिए प्रसिद्ध स्थल।
➤ कल्पेश्वर- शिव के केशों की पूजा की जाती है। उर्वशी तथा दुर्वासा ऋषि की तपस्थली के रूप में भी प्रसिद्ध।

चमोली में स्थित पंच प्रयाग -
➤ विष्णुप्रयाग- अलकनंदा तथा विष्णु गंगा (धौलीगंगा) नदियों के संगम पर स्थित, दोनों ओर जय विजय पर्वत स्थित, सूक्ष्म बद्रीनाथ क्षेत्र यहीं से आरंभ होता है।
➤ नंदप्रयाग- अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों के संगम में स्थित, यहां विष्णु (गोपाल) मंदिर भी स्थित है स्थूल बद्रीनाथ क्षेत्र का आरंभ होना।
➤ कर्णप्रयाग- अलकनंदा तथा पिंडर नदी के संगम में स्थित,
➤ गोपेश्वर मंदिर - मंदिर का निर्माण विदिशा के नागवंशी राजा गणपति नाथ के द्वारा किया गया इसे प्राचीन काल में रूद्र महल के नाम से जाना जाता था।
➤ हेमकुंड साहिब- स्वर्ण झील के नाम से विख्यात स्थल, हिमगंगा नाम की एक छोटी नदी पास के सात पहाड़ों से निकलती है। 1930 में हेमकुंड की स्थापना की गई। पूर्व में यह स्थल लोकपाल तीर्थ या दंड पुष्कर्णी तीर्थ नाम से विख्यात था।
➤ नंदा देवी मंदिर- जोशीमठ मलारी मार्ग में स्थित, शक्तिपीठ के अलावा यहां जैव रिजर्व मंडल 1982 में स्थापित किया गया। जो 5860.69 वर्ग किलोमीटर में फैला है,
➣ नंदा देवी शिखर की ऊंचाई 7817 मीटर है।
➤ माता मूर्ति का मंदिर - माणा गांव चमोली में स्थित इन्हें बद्रीनाथ की माता कहा जाता है।
➤ घंटाकर्ण देवता का मंदिर - मांडा के पास चमोली में स्थित,
➤ अंजनी माता मंदिर औली में ही स्थित है।
➤ उत्तर का धाम बद्रीनाथ चमोली में,
➤ लवकुश मंदिर चमोली में स्थित है।
➤ अनुसूइया माता मंदिर चमोली में स्थित है।
➤ उमा देवी मंदिर कर्णप्रयाग,
➤ शिव के ज्योतिर्लिंग का स्थल जोशीमठ को कहा जाता है, जोशीमठ में आदि गुरु शंकराचार्य ने पूर्णागिरी देवी पीठ की स्थापना की थी।

प्रसिद्ध मेले एवं उत्सव -
➲ गोचर मेला - 1943 में कमिश्नर बर्नेडी द्वारा आरंभ किया गया। यह मेला पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म पर शुरू होने वाला ऐतिहासिक मेला है, जो 7 दिनों तक चलता है। गोचर में चमोली जनपद का एक मात्र हवाई अड्डा भी स्थित है।
➲ तिमुंडा मेला- प्रतिवर्ष विशाल बद्री के कपाट खुलने से पूर्व आयोजित उत्सव,
➲ नौठा मेला- पाषाण युद्ध, लठमार मेला, हिमालय महोत्सव नाम से भी प्रसिद्ध, आदिबद्री चमोली में आयोजित।
➲ हरियाली पूडा मेला- नॉटी गांव चमोली में आयोजित,
➲ अनुसूया मेला- गोपेश्वर चमोली में आयोजित,
➲ बोरी मेला- प्रतिवर्ष लाटू देवता के कपाट खुलने पर बाण गांव चमोली में आयोजित उत्सव,
➲ बसंत बुरास मेला - चमोली में आयोजित किया जाता है।
➲ शहीद भवानी दत्त जोशी मेला- थराली चमोली में, अशोक चक्र से सम्मानित भवानी दत्त के सम्मान में आयोजित उत्सव,
➲ महामृत्युंजय मेला- (असेड सिमली नारायण बगड़ मेला) प्रतिमा प्रति वर्ष अगस्त माह में आयोजित,
➲ श्री लक्ष्मी नारायण पर्यटन सांस्कृतिक विकास मेला- किमोली कपीरी चमोली में प्रतिवर्ष सितंबर माह में आयोजित,
➲ रूपकुंड महोत्सव- प्रतिवर्ष रूपकुंड के निकट सितंबर माह में आयोजित,
➲ काश्तकार ग्वालदम मेला- प्रतिवर्ष 18 से 25 सितंबर को आयोजित व्यापारिक उत्सव,
➲ बंड विकास मेला- प्रतिवर्ष 15 से 25 सितंबर में लोक संस्कृति आदान-प्रदान का उत्सव,
➲ उमा कर्ण महोत्सव चमोली जनपद में आयोजित किया जाता है।

रम्माण उत्सव -
➣ रम्माण उत्सव चमोली जनपद के जोशीमठ ब्लॉक के सलूूड गांव में अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है।
यह उत्सव 11 से 13 दिनों तक आयोजित किया जाता है।
➣ पूरी रम्माण उत्सव में 18 मुखोटे होते हैं। रम्माण उत्सव में पात्र मुखोटे लगाकर रामायण के मुख्य प्रसंगों पर नृत्य करते हैं रम्माण उत्सव में मुखौटे के दो रूप हैं - द्यो पतर (देवताओं के मुखोटे) खल्यारी (मनोरंजक मुखोटे)।
➣ रम्माण उत्सव में ढोल, दमाऊ, वाद्य यंत्रों का प्रयोग होता है। इसमें किसी भी तरह का कोई संवाद पात्रों के बीच नहीं होता।
➣ रम्माण उत्सव में माल मल्लयुद्ध नृत्य किया जाता है, जो स्थानीय लोगों और गोरखाओं के बीच हुए युद्ध का वर्णन करता है।
➣ रम्माण उत्सव में कुरु जोगी एक हास्य नृत्य भी किया जाता है। बंया - बंयान नृत्य तिब्बत व्यापारियों पर आधारित एक अन्य नृत्य है।
➣ रम्माण उत्सव को विश्वविख्यात करने का श्रेय कुशल से है भंडारी को जाता है।
➣ 2 अक्टूबर 2009 को रमिया उत्सव को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है।

नंदा राजजात यात्रा -
➤ नंदा राजजात प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित पदयात्रा कुमाऊं एवं गढ़वाल की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
➤ पहली बार नंदा राजजात यात्रा 1905 में आयोजित की गई। नंदा राजजात यात्रा चमोली के कांसवा गांव के पास नौटी नामक स्थान में नंदा देवी मंदिर से होमकुंड तक की जाती है।
➤ नंदा राजजात यात्रा 280 किलोमीटर की पदयात्रा है, जो 19 से 20 दिन में संपन्न होती है, नंदा राजजात यात्रा चांदपुर गढ़ के राजकुमारों द्वारा संपन्न कराई जाती है।
➤ उत्तराखंड के लोग नंदा देवी या पार्वती को अपनी बेटी की तरह मानते हैं, और इस यात्रा को वह पार्वती की विदाई के रूप में मनाते है।
➤ यात्रा के दौरान सबसे आगे चार सिह वाला मेढा और उसके पीछे लोग रिंगाल से निर्मित सुंदर छोलिया लिए चलते हैं। नंदा देवी राजजात का दूसरा पड़ाव तोप गांव है।
➤ नंदा देवी के ससुराल क्षेत्र का पहला पड़ाव कुलसारी गांव है जो की यात्रा का नवा पड़ाव है।
➤ नंद केसरी यात्रा का दसवा पड़ाव है जहां पर कुमाऊं के लोग अपनी अपनी कुलदेवी के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं।
➤ नंदा देवी राजजात का 11 पड़ाव देवल गांव है, तेरहवां पड़ाव बाण गांव है इसके आगे कोई भी गांव/बस्ती नहीं है।
➤ बाण गांव में नंदा देवी का भार वाहक देवता लाटू इस यात्रा में शामिल होता है।
➤ नंदा देवी राजजात यात्रा जब बेदनी कुंड पहुंचती है, वहां मंदिर में ब्रह्म कमल से देवी की पूजा की जाती है। यात्रा का अंतिम पड़ाव होमकुंड है जो त्रिशूल पर्वत की तलहटी पर स्थित है।
➤ नंदा देवी राजजात यात्रा में शामिल लोग दूसरे रास्ते से होकर नौटी गांव लौटते हैं और यात्रा का समापन किया जाता है।
➤ वर्ष 2014 में नंदा देवी राजजात यात्रा 8 जुलाई से 6 अगस्त के बीच संपन्न कराई गई थी। इससे पूर्व यह यात्रा वर्ष 2000 में संपन्न हुई थी।
➤ नंदा देवी राजजात को हिमालय का महाकुंभ ही कहा जाता है।

प्रमुख दर्रे -
चमोली - तिब्बत -
➱ नीति, ➱ मांडा, ➱ किगरी विगरी, ➱ डूंगरी ला, ➱ बालचा, ➱ कोई, ➱ म्यूड़ार, ➱ शलशल, ➱ तंजुन, ➱ चोरहोती, ➱ लमलंग, ➱ घटरलिया, 
चमोली - पिथौरागढ़ - 
➱ मार्च योग, ➱ बाराहोती, ➱ टोपीधुंगा, ➱ लातूधूरा, (ट्रिक- लामा बाटो)
चमोली बागेश्वर -
➱ सुंदर ढूंगा,
चमोली उत्तरकाशी -
➱ कालिंदी दर्रा,

प्रमुख कुंड /ताल/झीलें /जलप्रपात -
➣ रूपकुंड- (रहस्य ताल) बेदनी के पास,
➣ होमकुंड- रूपकुंड के पास,
➣ भाप कुंड- तपोवन में, तप्त कुंड- बद्रीनाथ के पास गर्म जल के कुंड है।
➣ नंदी कुंड- चमोली में ठंडे जल का कुंड मधु गंगा नदी पर स्थित।
➣ लोकपाल/हेमकुंड ताल- लक्ष्मण गंगा का उद्गम स्थल,
➣ सतोपंथ ताल- त्रिकोण आकार का ताल, अलकनंदा का उद्गम स्थल, इसे क्षीर सागर भी कहा जाता है।
➣ विहरी ताल- गौना झील विहारी गंगा का उद्गम स्थल,
➣ बेनीताल - आदि बद्री के पास,
➣ विष्णु ताल- बद्रीनाथ के पास,
➣ चेनाब झील औली चमोली में स्थित है।
➣ साइलधार तपोवन औली में स्थित गर्म जल का कुंड है।
➣ चतर कुंड औली में स्थित है।
➣ लिंगा ताल और आंछरी ताल- फूलों की घाटी के पास,
➣ सुखताल, ➣ झलताल, ➣ काकभुषडी ताल (हाथी पर्वत के पास)
➣ गोहाना ताल, ➣ गुडयार ताल, ➣ आदि मृतका ताल,
➣ नरसिह ताल, ➣ मणिभद्र ताल, ➣ सिद्ध ताल, चमोली में ही स्थित है।

प्रमुख हिमनद/ग्लेशियर -
➠ दूनागिरी ग्लेशियर, ➠ हिपरा बमक ग्लेशियर, ➠ सतोपंथ ग्लेशियर या भागीरथी ग्लेशियर,
➠ बद्रीनाथ ग्लेशियर - 10 किलोमीटर में विस्तार,
➠ सतोपंथ और भागीरथी ग्लेशियर चमोली में आराम कुर्सी की भांति दिखाई देते हैं, दोनों ग्लेशियर के पास के क्षेत्र को अलकापुरी नाम से जाना जाता है।

अलकनंदा नदी -
➣ अलकनंदा नदी का उद्गम स्थल सतोपंथ शिखर के अल्कापुरी बांक ग्लेशियर से होता है, यह राज्य में सबसे अधिक जल प्रवाह वाली नदी है, अलकनंदा नदी को विष्णु गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
➣ अलकनंदा नदी सतोपथ ताल से होते हुए देवप्रयाग तक कुल 195 किलोमीटर बहती है। सतोपथ को शीर सागर भी कहा जाता है।
➣ अलकनंदा नदी में सर्वप्रथम लक्ष्मण गंगा या पुष्पा नदी मिलती है, चमोली के माणा के पास अलकनंदा नदी में सरस्वती नदी मिलती है, इसके संगम पर केशव प्रयाग स्थित है।
➣ सरस्वती नदी का उद्गम स्थल कामेट पर्वत के रतकोना शिखर है।
➣ राज्य के पांच प्रयाग में तीन चमोली जिले में स्थित है।
➣ अलकनंदा नदी और पश्चिमी धौली के मिलन स्थल पर - विष्णुप्रयाग,
➣ पश्चिमी धौली नदी धौलगिरी पर्वत के कुनलुन्न श्रेणी से निकलती है, पश्चिमी धौली नदी की प्रमुख सहायक नदी गिरथी और ऋषि गंगा है।
➣ वहीं अलकनंदा नदी में विहरी गंगा या बिरथी नदी और गरुण गंगा मिलती है।
➣ अलकनंदा और मंदाकिनी नदियां के संगम स्थल में - नंदप्रयाग।
➣ मंदाकिनी नदी त्रिशूल पर्वत के नंदा घुगटी नामक स्थान से उद्गमित होती है।
➣ अलकनंदा नदी और पिंडर नदी के संगम स्थल में - कर्णप्रयाग।
➣ अलकनंदा नदी और मंदाकिनी नदी के संगम स्थल में - रुद्रप्रयाग
➣ टिहरी जिले में अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी के संगम स्थल में - देवप्रयाग,

प्रमुख पर्वत शिखर -
➤ नंदा देवी पश्चिमी 7817 मीटर, ➤ कामेट 7756 मीटर (राज्य की दूसरी सबसे ऊंची चोटी), ➤ माणा 7272 मीटर, चौखंबा 7138 मीटर,
➤ त्रिशूल 7120 मीटर, ➤ हरदेवल पर्वत 70.. मीटर, ➤ सतोपथ 7084 मीटर, ➤ दूनागिरी 7066 मीटर, ➤ नीलकंठ 6597 मीटर, ➤ बद्रीनाथ 7140 मीटर, ➤ गंधमादन 6984 मीटर, ➤ हाथी पर्वत 6727 मीटर, ➤ देवस्थान पर्वत 6678 मीटर, ➤ नंदा घुंगटी पर्वत 6309 मीटर, ➤ गौरी पर्वत 6250 मीटर, ➤ नारायण पर्वत 5965 मीटर, ➤ नरपर्वत 5831 मीटर, ➤ तुंगनाथ/चंद्रशिला पर्वत 3690 मीटर, ➤ दूनागिरी (द्रोणगिरी) पर्वत,
➤ मुकुट पर्वत,
➤ स्लीपिंग लेडी पर्वत जोशीमठ में,
➣ पागल नाला नीति घाटी चमोली में,
➣ दयाली शेरा नामक स्थान औली चमोली में,
➣ ज्योरांगली घाटी - रूपकुंड चमोली में स्थित,
➣ खीरो घाटी चमोली में स्थित,
➣ सोल घाटी - चमोली जिले में
➣ टिम्मर सैन गुफा - चमोली में नीति घाटी में स्थित।
➣ हनुमान की गुफा - लगासु चमोली में स्थित है।
➣ मुचकुंद गुफा, व्यास गुफा, गणेश गुफा मांडा के पास स्थित।
➣ चिनाप घाटी - चमोली में स्थिति से दूसरी फूलों की घाटी भी कहा जाता है।

प्रमुख बुग्याल -
➲ बेदनी बुग्याल- राज्य का सबसे बड़ा बुग्याल, लक्ष्मी वन बुग्याल, 
➲ क्वारी बुग्याल या क्वारी पास,
➲ गौरसो (गुरसो) बुग्याल,
➲ औली बुग्याल- शीतकालीन खेलों के लिए प्रसिद्ध,
➲ पांडू शेरा बुग्याल, ➲ बगजी बुग्याल, ➲ रुद्रनाथ बुग्याल, ➲ चित्रकांठा बुग्याल, ➲ नंद कानन बुग्याल, ➲ घस्तौली बुग्याल, ➲ रता कौण बुग्याल, ➲ चौमासी बुग्याल,
➲ कैला बुग्याल - बद्रीनाथ के चारों ओर विस्तार,
➲ औली गुरूसों बुग्याल - हाथी पर्वत पर स्थित,
➲ कल्पनाथ बुग्याल- चमोली में,
➲ चौफिट बुग्याल - मलारी के पास चौफिट पर्वत शिखर पर रुद्रनाथ बुग्याल- गोपेश्वर के पास
➲ खाटू बुग्याल, ➲ चंबा खर्क, ➲ देव तोली बुग्याल, ➲ लाता खर्च बुग्याल, ➲ डांग खरक बुग्याल,
➲ जली शेरा बुग्याल, ➲ मनये बुग्याल, ➲ राज खर्क बुग्याल, ➲ पुंग और पन्नार बुग्याल चमोली में,
➲ हुण्या बुग्याल- वसुंधरा प्रपात के पास,
➲ मनडी बुग्याल, ➲ कोरा खर्क बुग्याल, ➲ बागची बुग्याल, ➲ अविन खर्क बुग्याल, ➲ धामण सैंन बुग्याल, ➲ भेटी बुग्याल, ➲ अनवाल लोड़ी बुग्याल, ➲ सुठिग बुग्याल,

प्रमुख नदी परियोजनाएं -
➤ विष्णुप्रयाग परियोजना- अलकनंदा नदी में,
➤ देवसारी परियोजना- विहारी गंगा नदी में,
➤ बद्रीनाथ परियोजना- अलकनंदा नदी में,
➤ बावला नंदप्रयाग परियोजना- अलकनंदा नदी में,
➤ नंदप्रयाग लंगासू परियोजना- अलकनंदा नदी में,
➤ लाटा तपोवन परियोजना- अलकनंदा नदी में,
➤ तामक लाटा परियोजना- धौली गंगा नदी में,
➤ तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना- धौली गंगा नदी में,
➤ विष्णुगाड़ पीपलकोटी परियोजना- अलकनंदा नदी में,
➤ मलेरी झेलम परियोजना- धौली गंगा नदी में,
➤ झेलम तामक परियोजना- धौली गंगा नदी में,
➤ गोहाना ताल परियोजना- विहरी गंगा नदी में,
➤ ऋषि गंगा प्रथम परियोजना - ऋषि गंगा नदी में,
➤ ऋषि गंगा द्वितीय परियोजना- ऋषि गंगा नदी में,
➤ बगोली डैम परियोजना- पिंडर नदी में,
➤ मेलखेत डैम या पांडुली डैम - चमोली जिले में पिंडर नदी मे,
➤ उर्गम परियोजना - कल्प गंगा नदी मे,
➤ देवसारी परियोजना - बिहारी गंगा मे,
➤ मेल खेत परियोजना- पिंडर नदी में,
➤ राजवक्ती परियोजना - नंदाकिनी नदी में,

प्रमुख मठ -
➣ जोशीमठ, ➣ उखीमठ, ➣ लंगा पिलनमठ, ➣ अनिमठ,

प्रमुख संस्थान मुख्यालय -
➠ राजकीय विधि कॉलेज- गोपेश्वर चमोली में स्थापना 10 अप्रैल 2003, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1978 में विधि संकाय विभाग स्थापित किया गया।
➠ आत्मरक्षा कमेटी- स्थापना 1942 में इसके अध्यक्ष कृपाराम मिश्र थे।

जल प्रपात -
➣ वसुंधरा जल प्रपात- माणा के पास अलकनंदा नदी पर 112 मीटर ऊंचा प्रपात,

प्रमुख उद्यान अभ्यारण -
➠ नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान - चमोली में स्थापना 1982 में, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का मुख्यालय जोशीमठ में स्थित है।
➣ नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार 624 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तार है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को 1988 में यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर में शामिल किया गया।
➠ केदारनाथ वन्य जीव विहार - चमोली में, स्थापना 1972 में, केदारनाथ वन्य जीव विहार राज्य का सबसे बड़ा वन्य जीव विहार है। इसका क्षेत्रफल विस्तार 957 वर्ग किलोमीटर है।

फूलों की घाटी -
➣ फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान चमोली में नर एवं गंधमादन पर्वत के बीच स्थित है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 में की गई थी।
➣ फूलों की घाटी को 14 जुलाई 2005 में यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 87.5 वर्ग किलोमीटर है, इस राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से पुष्पावती नदी बहती है।
➣ फूलों की घाटी की खोज 1931 में फ्रैंक स्माइथ के द्वारा की गई, फ्रैंक की पुस्तक "द वैली ऑफ फ्लावर्स" में फूलों की घाटी की चर्चा की गई है। फ्रैंक स्माइथ फूलों की घाटी से लगभग 250 किस्म के फूलों के बीच अपने साथ ऑस्ट्रेलिया ले गए थे।
➣ फूलों की घाटी को स्कंद पुराण में नंद कानन कहा गया है। महाकवि कालिदास के मेघदूत में फूलों की घाटी को अलका कहा गया है।
➣ केदार ज्यू उपमान से ही फूलों की घाटी को जाना जाता है, फूलों की घाटी को बैकुंठ, म्यूडार, पुष्पावली और  फ्रैंक स्माइथ घाटी के नाम से भी जाना जाता है।
➣ 1939 में लंदन से मारग्रेट लेग फूलों की प्रजातियों का अध्ययन करने यहां आई थी।
➣ फूलों की घाटी में फूल खिलने का समय जुलाई से अक्टूबर माह के मध्य रहता है, यह समुद्र तल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
➣ अमेला (पॉलीगोन) नामक खरपतवार झाड़ी फूलों की घाटी में लगातार फैल रहा है, जो इस घाटी का विनाशक बन गया है।

औली -
➣ औली चमोली में स्थित एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
➣ औली अपनी शीतकालीन खलों लिए भी  सबसे लोकप्रिय स्थल में से एक है, औली नंदा देवी, कामेट, माणा, हाथी एवं गौरी पर्वतों के बीच घिरा हुआ है।
➣ गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा औली में 1987 से प्रत्येक वर्ष स्कीइंग महोत्सव आयोजित किया जाता है।
औली में शीतकालीन हिम क्रीड़ा स्थल तथा रज्जू मार्ग का निर्माण औली परियोजना के तहत किया गया है, औली परियोजना का शुभारंभ जुलाई 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा किया गया।
➣ अक्टूबर 1993 में शीतकालीन हिम क्रीड़ा और रज्जू मार्ग का कार्य पूरा किया गया। यहां 7 से 14 दिन के प्रशिक्षण सत्र भी चलाए जाते हैं।
➣ एशिया का सबसे लंबा और ऊंचा रोपवे औली है, जिसकी लंबाई 4 किलोमीटर है।
➣ वर्ष 2004 में औली में सैफ खेलों का आयोजन किया गया।
➣ गुरसो बुग्याल औली के पास स्थित है।

प्रमुख आंदोलन -
➤ डूंगी पैतोली आंदोलन - चमोली जिले में, बांज के जंगल काटे जाने के विरोध में किया गया आंदोलन।
➤ छीनो झपटो आंदोलन - चमोली जिले के लाता गांव में, 21 जून 1998 से आरंभ। आंदोलन का उद्देश्य नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क का प्रबंधन ग्रामीणों के हाथ दिलाना था। इस आंदोलन के तहत लोग अपने पशुओं को लेकर नंदा देवी पार्क में घुस गए थे।
➤ मैती आंदोलन - चमोली के ग्वालदम क्षेत्र में 1996 में शुरू किया गया, इस आंदोलन के प्रवर्तक ग्वालदम इंटर कॉलेज के शिक्षक कल्याण सिंह रावत थे।
➣ इस आंदोलन में विवाह अवसर पर वर-वधू द्वारा पौधरोपण किया जाता है, जिसकी रक्षा लड़की के मायके वाले करते हैं। मैती आंदोलन को मूर्त रूप देने के लिए का काम हिमालय वन्यजीव संस्थान ने किया। हिमालय वन्य जीव संस्थान की स्थापना 1974 में हुई थी।
➤ चिपको आंदोलन - चमोली के रैणी गांव से आरंभ, यह आंदोलन 1974 में शुरू किया गया। गौरा देवी को इस आंदोलन का प्रेणता कहा जाता है। (गौरा देवी के पति - मेहरबान सिह थे) 
➣ गौरा देवी ने इस आंदोलन की शुरुआत अपने साथियों 21 महिलाओं के साथ की थी। चिपको आंदोलन का उद्देश्य वनों की अवैध कटाई पर रोक लगाना था।
➣ चिपको आंदोलन के दौरान महिलाओं ने 1977 में एक प्रसिद्ध नारा दिया था - "क्या है इस जंगल के उपकार मिट्टी पानी और बयान जिंदा रहने के आधार"।
➣ गौरा देवी को 1986 में इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
➣ चिपको आंदोलन को अपने शिखर पर पहुंचाने का श्रेय सुंदरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट को जाता है। ➣ सुंदरलाल बहुगुणा ने हिमालय बचाओ देश बचाओ का प्रसिद्ध नारा भी दिया।

भाषा साहित्य पत्रिका व्यक्ति विशेष -
➤ नगपुरिया बोली चमोली जिले में बोली जाती है।
➤ अनिकेतन नामक समाचार पत्र चमोली जिले से प्रकाशित किया जाता है।
➤ उत्तराखंड भाषा बोली संस्थान का गठन वर्ष 2016 में चमोली के गोचर स्थान पर किया गया।
➤ दसौल्या चमोली के दसोली पट्टी में बोली जाती है।
➤ लोहव्या बोली गैरसैण के आसपास के क्षेत्र में बोली जाती है।
➤ बधाण बोली मंदाकिनी नदी के क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली है।
➤ शैलजा दर्शन समाचार पत्र जोशीमठ से प्रकाशित किया जाता है।
➤ देवभूमि समाचार पत्र नंदप्रयाग से प्रकाशित किया जाता है।
➤ वर्ष 2010 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित शतरंज खिलाड़ी परिमार्जन सिंह नेगी का संबंध चमेली जिले से है।

ऐतिहासिक घटनाएं -
➥ 1803 में बद्रीनाथ में 9.0 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था, जो राज्य का सबसे बड़ा भूकंप था।
➥ गौना झील विहरी गंगा पर वर्ष 1895 में बनी थी जो 1970 में स्वयं टूट कर समाप्त हो गई।
➥ 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में 6.8 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था।
➥ गोपेश्वर एकमात्र ऐसा पर्वतीय नगर है जहां ना ज्यादा गर्मी और ना ज्यादा सर्दी पड़ती है।
➥ जुलाई 1970 में अलकनंदा नदी में आई बाढ़ के कारण जिले को काफी क्षति उठानी पड़ी थी।
➥ चमोली जिले का मुख्यालय गोपेश्वर में है।
➥ तोप गढ़, बधाण गढ़, लोहाब गढ़, दशोली गढ़ चमोली जनपद में स्थित है।
➥ दसौली और पोखरी विकासखंड चमोली में है।।
➥ थराली, घाट, नारायणगढ़ एवं  तहसील  जनपद में स्थित।
➥ थराली विधानसभा क्षेत्र आरक्षित है। चमोली जनपद से 6 जिलों की सीमाएं स्पर्श करती है।
➥ द्वितीय विधानसभा भवन भराड़ी सैन में बनाया जा रहा है जो कि चमोली जनपद में स्थित है।
➥ चमोली जनपद में राज्य की सर्वाधिक उसर भूमि पाई जाती है। प्रतिशत की दृष्टि से चमोली जनपद में राज्य का सबसे कम सिंचित क्षेत्र (क्षेत्रफल) आता है।
➥ सर्वाधिक खुले वनों के मामले में चमोली राज्य में दूसरे स्थान पर है।
➥ राज्य का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 7 है। जिसकी लंबाई 379 किलोमीटर है, यह राष्ट्रीय राजमार्ग रुड़की से होकर ऋषिकेश होते हुए, श्रीनगर से होकर मांडा तक जाता है।
➥ ग्वालदम चमोली और बागेश्वर जनपदों की सीमा में स्थित पर्यटक स्थल है, ग्वालदम प्राकृतिक सुषमा के लिए प्रसिद्ध है।
➥ लेडी वेलिंगटन ने गोचर में चरागाह निर्माण के लिए किसानों को प्रेरित किया था।
➥ उत्तराखंड राज्य में तीन केवल चमोली जनपद से ही प्राप्त होता है।
➥ मोहन खान तांबे की खान के लिए प्रसिद्ध स्थल चमोली जनपद में।
➥ माणा गांव में भोटिया जनजाति की मारछा जाति का ग्रीष्मकालीन आवास स्थान है।
➥ माणा चमोली जनपद का अंतिम गांव है। माणा को पुराणों में मणिभद्र पुरी कहा गया है।
➥ माणा के पास सरस्वती और अलकनंदा नदी का संगम स्थल है, जिसे केशव प्रयाग के नाम से जाना जाता है, सरस्वती नदी पर बना पाषाण शिला पुल जिसे भीम पुल भी कहा जाता है माणा के पास स्थित है।

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