अष्टछाप कवि : परमानन्ददास, - Study Search Point

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अष्टछाप कवि : परमानन्ददास,

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परमानन्ददास (जन्म संवत् 1606) वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक कवि जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। इनका जन्म काल संवत 1606 के आसपास है।
अष्टछाप के कवियों में प्रमुख स्थान रखने वाले परमानन्ददास का जन्म कन्नौज (उत्तर प्रदेश) में एक निर्धन कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके 835 पद "परमानन्दसागर" में हैं। अष्टछाप में महाकवि सूरदास के बाद आपका ही स्थान आता है। इनके दो ग्रंथ प्रसिद्ध हैं। ‘ध्रुव चरित्र’ और ‘दानलीला’। इनके अतिरिक्त ‘परमानन्द सागर’ में इनके 835 पद संग्रहीत हैं। यह वल्लभाचार्य जी के शिष्य और अष्टछाप कवियों में से एक थे। परमानंद जी अत्यंत तन्मयता के साथ और बड़ी ही सरल कवितायें करते थे। कहते हैं कि इनके किसी एक पद को सुनकर आचार्यजी कई दिनों तक बदन की सुध भूले रहे। इनके फुटकल पद कृष्ण भक्तों के मुँह से प्राय: सुनने में आते हैं।
कृतियाँ -
परमानंदसागर
‘ध्रुव चरित्र
दानलीला

Prmananddas : -
Prmananddas (born 1606 resolutions) Vallabh Sect (Pustimarg) eight poets (Ashtchhap poet) various pastimes of Lord Krishna, the poet who described their positions. His birth is around 1606 times era.
Ashtchhap poets born in the dominant position with a Prmananddas Kannauj (Uttar Pradesh), was born in a poor Brahmin family Kanyakubj. 835 The term "Prmanandsagr" are in. Poet in your own ranks after Ashtchhap surdaas. The two texts are noted. 'Pole character' and 'Danleela. Besides' bliss Sea are stored in these 835 posts. It was one of Vallabhacharya G disciple and Ashtchhap poets. Bliss live with utmost devotion and great poems were simple. Listening to them, one post says Acharya body in charge of several days are forgotten. The term Krishna devotees Futkl mouth often come to hear.
Works -
Prmanandsagr
'Pole character
Danleela

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