अष्टछाप कवि : चतुर्भुजदास, - Study Search Point

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अष्टछाप कवि : चतुर्भुजदास,

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चतुर्भुजदास वल्ल्भ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक। इनका जन्म 1530 ई० में हुआ। ये कुम्भनदास के पुत्र और गोसाईं विट्ठलनाथ जी के शिष्य थे। इनकी भाषा चलती और सुव्यवस्थित है। इनके तीन ग्रंथ मिलते हैं- द्वादशयश, भक्तिप्रताप तथा हितजू को मंगल। इनका निधन 1585 ई० में हुआ। चतुर्भुजदास की भाषा शुद्ध ब्रजभाषा नहीं है, उस पर बैसवाड़ी और बुन्देली का गहरा प्रभाव है। वे संस्कृत भाषा के भी विद्वान थे, उन्होंने अपने ग्रन्थ की टीका स्वयं संस्कृत में लिखी है।
उनकी संस्कृत भाषा में अच्छा प्रवाह है। 'द्वादश यश' के अध्ययन से यह भी विदित होता है कि भक्ति को जीवन का सर्वस्व स्वीकार करने पर भी उन्होंने दम्भ और पाखण्ड का पूरे ज़ोर के साथ खण्डन किया है। कुछ स्थलों पर अपने युग के दुष्प्रभावों का भी वर्णन है। गुरु सेवा आदि पर बल दिया गया है। राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध भक्त चतुर्भुजदास का वर्णन नाभा जी ने अपने 'भक्तमाल' में किया है। उसमें जन्मस्थान, सम्प्रदाय, छाप और गुरु का भी स्पष्ट संकेत है। ध्रुवदास ने भी 'भक्त नामावली' में इनका वृत्तान्त लिखा है। इन दोनों जीवन वृत्तों के आधार पर चतुर्भुजदास गोंडवाना प्रदेश, जबलपुर के समीप गढ़ा नामक गाँव के निवासी थे। इन्होंने अपनी प्रसिद्ध कृति 'द्वादश यश' में रचना संवत दिया है।  कुछ स्थलों पर अपने युग के दुष्प्रभावों का भी वर्णन है। गुरु सेवा आदि पर बल दिया गया है। काव्य की दृष्टि से बहुत उच्चकोटि की रचना इसे नहीं कहा जा सकता, किन्तु भाव-वस्तु की दृष्टि से इसका महत्त्व है। इन्हें भी अष्टछाप के कवियों में माना जाता है । इनकी भाषा चलती और सुव्यवस्थित है ।

Cturbhujdas
Cturbhujdas Vllb sect (Pustimarg) eight poets (Ashtchhap poet) a. His birth took place in 1530 AD 0. These Kumbndas Gosain's son and disciple of Vittlnath live. Their language is moving and streamlined. These three books are: Dwadsyash meet, Tue to Bktipratap and Hitju. His death occurred in 1585 AD 0. Cturbhujdas braj language is not pure, it is strongly influenced by Baswadi and Bundeli. He also was a scholar of Sanskrit language, his texts written in Sanskrit is the vaccine itself.
His fluency in Sanskrit language is good. 'Twelve' Kudos' study is also known that the devotion to accept life's supreme arrogance and hypocrisy, he is contradicted with the Full Tilt. Some sites also describes the effects of his era. Etc. Emphasis is placed on the master service. Radhavallabha community famous devotee describes Cturbhujdas Nabha live his "Bktmal 'done. The birthplace, creed, the impression and the master of the obvious signs. Dhruvdas a 'devout roll' is inscribed in them. Based on these two life histories Cturbhujdas Gondwana Pradesh, Jabalpur were residents of the nearby village called wrought. He his famous masterpiece 'twelve' fame 'is the creation era. Some sites also describes the effects of his era. Etc. Emphasis is placed on the master service. In terms of poetic composition, it can not be said very noble, but the price is worth it in terms of content. Also Ashtchhap poets are considered. Their language is moving and streamlined.

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