विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Hemophilia Day) प्रत्येक वर्ष 17 April को मनाया जाता है। यह दिवस World Federation of Hemophilia (WFH) की देखरेख में मनाया जाता है। यह संगठन इस दिन लोगों को हीमोफीलिया व दूसरे रक्त से जुडी हुई बीमारियों के बारे में जागरुक किया जाता है।
'शाही बीमारी' कहे जाने वाले रोग 'हीमोफ़ीलिया' का पता सर्वप्रथम उस वक्त चला था, जब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के वंशज एक के बाद एक इस बीमारी की चपेट में आने लगे।
शाही परिवार के कई सदस्यों के हीमोफ़ीलिया से पीड़ित होने के कारण ही इसे 'शाही बीमारी' कहा जाने लगा था। पुरुषों में इस बीमारी सम्भावना सबसे अधिक होती है। इस समय विश्वभर में लगभग 50 हज़ार से ज़्यादा लोग इस रोग से पीड़ित हैं। पूरे विश्व में इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए 17 अप्रैल को 'विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस' मनाया जाता है। 'विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस' का लक्ष्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और सभी के लिए उपचार उपलब्ध कराना है। हीमोफ़ीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति में ख़ून के थक्के आसानी से नहीं बन पाते हैं। ऐसे में जरा-सी चोट लगने पर भी रोगी का बहुत सारा ख़ून बह जाता है। दरअसल, इस बीमारी की स्थिति में ख़ून के थक्का जमने के लिए आवश्यक प्रोटीनों की कमी हो जाती है।
इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1989 से 'विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस' मनाने की शुरुआत की गई। तब से हर साल 'वर्ल्ड फ़ेडरेशन ऑफ़ हीमोफ़ीलिया' (डब्ल्यूएफएच) के संस्थापक फ्रैंक कैनेबल के जन्मदिन 17 अप्रैल के दिन 'विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस मनाया जाता है। फ्रैंक की 1987 में संक्रमित ख़ून के कारण एड्स होने से मौत हो गई थी। डब्ल्यूएफएच एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो इस रोग से ग्रस्त मरीजों का जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है। हीमोफ़ीलिया रक्त से जुड़ी ख़तरनाक बीमारी है। इस बीमारी में चोट लगने या किसी अन्य वजह से रक्त का बहना शुरू तो हो जाता है, लेकिन फिर उसे रोकना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग मरीजों में रोग की गंभीरता में अंतर होता है। कुछ मरीजों में रक्त के जमने की क्षमता कम होती है, जबकि बीमारी बिगड़ने पर यह बिल्कुल समाप्त हो जाती है। यह बीमारी लाइलाज जरूर है, पर सही इलाज द्वारा नियंत्रित की जा सकती है। इस रोग का एक कारण रक्त प्रोटीन की कमी बताई जाती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है। इस फैक्टर के कारण ही बहते हुए रक्त का थक्का जमता है और ख़ून बहना रुकता है।
प्रकार : -
हीमोफ़ीलिया दो प्रकार का होता है। इनमें से एक हीमोफ़ीलिया 'ए' और दूसरा हीमोफ़ीलिया 'बी' है। हीमोफ़ीलिया 'ए' सामान्य रूप से पाई जाने वाली बीमारी है। इसमें रक्त में थक्के बनने के लिए आवश्यक 'फैक्टर 8' की कमी हो जाती है। हीमोफ़ीलिया 'बी' में ख़ून में 'फैक्टर 9' की कमी हो जाती है। पांच हज़ार से दस हज़ार पुरुषों में से एक के हीमोफ़ीलिया 'ए' ग्रस्त होने का खतरा रहता है, जबकि 20,000 से 34,000 पुरुषों में से एक के हीमोफ़ीलिया 'बी' ग्रस्त होने का खतरा रहता है।
हीमोफिलिया (Haemophilia) एक आनुवांशिक (hereditary) बीमारी है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है और औरतों इसकी वाहक होती है। इस रोग के वाहक x-गुणसूत्र में पाए जाते है। हीमोफीलिया एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का मुख्य कारण एक रक्त में पायी जाने वाली एक प्रकार की प्रोटीन (Thromboplastin) की कमी से होती है, जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है। जैसे clotting Factor VIII, clotting Factor IX, और clotting Factor XI इन फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ में खून को शीघ्र थक्का जमा कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है।
लक्षण : -
शरीर में नीले नीले निशानों का बनना
नाक से खून का बहना
आँख के अंदर खून का निकलना
जोड़ों (joints) की सूजन
खून के थक्का होने का समय (clotting time) बढ़ जाता है
Hemophilia_in_perspective_thoughtlibrary
उपचार : - इस बीमारी का कोई मुख्य उपचार नहीं है, इसमें बार-बार रुधिर-देना (repeated blood transfusion) अच्छा होता है।
‘रिप्लेसमेंट थेरैपी’ हीमोफीलिया का सबसे महत्वपूर्ण इलाज है। इसके अंतर्गत उन क्लॉटिंग फैक्टर्स को रिप्लेस किया जाता है जो या तो कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं। ये फैक्टर रोगी को नियमित रूप से दिए जाते है।
'शाही बीमारी' कहे जाने वाले रोग 'हीमोफ़ीलिया' का पता सर्वप्रथम उस वक्त चला था, जब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के वंशज एक के बाद एक इस बीमारी की चपेट में आने लगे।
शाही परिवार के कई सदस्यों के हीमोफ़ीलिया से पीड़ित होने के कारण ही इसे 'शाही बीमारी' कहा जाने लगा था। पुरुषों में इस बीमारी सम्भावना सबसे अधिक होती है। इस समय विश्वभर में लगभग 50 हज़ार से ज़्यादा लोग इस रोग से पीड़ित हैं। पूरे विश्व में इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए 17 अप्रैल को 'विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस' मनाया जाता है। 'विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस' का लक्ष्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और सभी के लिए उपचार उपलब्ध कराना है। हीमोफ़ीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति में ख़ून के थक्के आसानी से नहीं बन पाते हैं। ऐसे में जरा-सी चोट लगने पर भी रोगी का बहुत सारा ख़ून बह जाता है। दरअसल, इस बीमारी की स्थिति में ख़ून के थक्का जमने के लिए आवश्यक प्रोटीनों की कमी हो जाती है।
प्रकार : -
हीमोफ़ीलिया दो प्रकार का होता है। इनमें से एक हीमोफ़ीलिया 'ए' और दूसरा हीमोफ़ीलिया 'बी' है। हीमोफ़ीलिया 'ए' सामान्य रूप से पाई जाने वाली बीमारी है। इसमें रक्त में थक्के बनने के लिए आवश्यक 'फैक्टर 8' की कमी हो जाती है। हीमोफ़ीलिया 'बी' में ख़ून में 'फैक्टर 9' की कमी हो जाती है। पांच हज़ार से दस हज़ार पुरुषों में से एक के हीमोफ़ीलिया 'ए' ग्रस्त होने का खतरा रहता है, जबकि 20,000 से 34,000 पुरुषों में से एक के हीमोफ़ीलिया 'बी' ग्रस्त होने का खतरा रहता है।
हीमोफिलिया (Haemophilia) एक आनुवांशिक (hereditary) बीमारी है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है और औरतों इसकी वाहक होती है। इस रोग के वाहक x-गुणसूत्र में पाए जाते है। हीमोफीलिया एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का मुख्य कारण एक रक्त में पायी जाने वाली एक प्रकार की प्रोटीन (Thromboplastin) की कमी से होती है, जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है। जैसे clotting Factor VIII, clotting Factor IX, और clotting Factor XI इन फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ में खून को शीघ्र थक्का जमा कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है।
लक्षण : -
शरीर में नीले नीले निशानों का बनना
नाक से खून का बहना
आँख के अंदर खून का निकलना
जोड़ों (joints) की सूजन
खून के थक्का होने का समय (clotting time) बढ़ जाता है
Hemophilia_in_perspective_thoughtlibrary
उपचार : - इस बीमारी का कोई मुख्य उपचार नहीं है, इसमें बार-बार रुधिर-देना (repeated blood transfusion) अच्छा होता है।
‘रिप्लेसमेंट थेरैपी’ हीमोफीलिया का सबसे महत्वपूर्ण इलाज है। इसके अंतर्गत उन क्लॉटिंग फैक्टर्स को रिप्लेस किया जाता है जो या तो कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं। ये फैक्टर रोगी को नियमित रूप से दिए जाते है।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 17 अप्रैल 2017 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!