अपने जन्म से हम जिस भाषा का प्रयोग करते हैं, वह हमारी मातृभाषा कहलाती है।
➠ भारतीय
नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों
के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा
के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया।
➠ मातृभाषा
के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने
कुछ इस तरह लिखा –
निज भाषा उन्नति लहै सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल॥
➠ भारतीय
संविधान में 22 भाषाएं
उल्लेखित है। जो संविधान के भाग 17 आठवीं अनुसूची में वर्णित है। भारत एक
ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक मातृभाषा बोली जाती है। 270 मातृभाषा
को 10 से
ज्यादा लोग बोलते हैं।
➠ वर्ष 1991 की
जनगणना के आधार पर 1576 मातृभाषा सूचीबद्ध की गई है। वर्ष 2011 की
जनगणना के मुताबिक 43.63% लोग अपनी मातृभाषा में बोलते हैं। विश्व की 20 मातृभाषाओं
में से सर्वाधिक बोली जाने वाली 6 भारतीय भाषाएं है।
भाषा का विकास -
➠ सन 1894 से 1928 के
दौरान औपनिवेशिक काल के समय जॉर्ज ए ग्रियर्सन के द्वारा भारत में भाषाई सर्वेक्षण
का कार्य किया गया। इसमें 179 भाषाएं
544 बोलियों
को की पहचान की गई। हालांकि उचित वैज्ञानिक दिशा निर्देश और अन्य संसाधनों की कमी
के कारण इसकी कुछ खामियां भी रही।
➠ वर्ष 1991 की
जनगणना में अलग से व्याकरण की संरचना के साथ 1576 सूचीबद्ध मातृभाषाओं तथा 1796 भाषिक
विविधताओं को मातृभाषा के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
➠ वर्ष 2011 की
जनगणना के आधार पर देश में 121 भाषाएं 1369 मातृभाषाएं,
इनमें 270 ऐसी
मातृभाषाएं हैं जिन्हें बोलने वालों लोगों की संख्या 10 हजार
से ज्यादा है।
➠ दुनिया
में 6 हजार
भाषाओं में से लगभग 41% भाषाएं
लुप्त होने के कगार में है।
➠ विश्व
में लगभग 40% लोगों
के पास अपनी मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध नहीं है, जिसे वह बोलते या समझते हैं।
➠ डिजिटल
दुनिया में मात्र 100 से भी
कम भाषाओं का उपयोग किया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास -
➠ यूनेस्को
ने 17 नवंबर 1999 को
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी।
➠ 21 फरवरी 1952 को
ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन
पाकिस्तान सरकार की भाषाई नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इस विरोध
प्रदर्शन में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां भी बरसाई, परंतु
लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्ला भाषा को दर्जा देना पड़ा।
➠ भाषा
आंदोलन में शहीद हुए युवाओं तथा भाषाई सांस्कृतिक, विविधता, एवं
बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय
मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
➠ पहली
बार वर्ष 2000 में 21 फरवरी
को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया।
➠ 2019 में यूनेस्को के महानिदेशक आंद्रे अजोले ने कहा कि
मातृभाषाओं को सार्वजनिक जीवन में पहचान दी जानी चाहिए।
➠ मातृभाषा
को राष्ट्रीय भाषा, आधिकारिक
भाषा, या
निर्देश की भाषा के रूप में दर्जा नहीं मिला है।
➠ वर्ष 2020 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का थीम (विषय) "लैंग्वेज विदाउट बॉर्डर्स" अर्थात
"सीमा से परे भाषा" को रखा गया है।
➠ यह थीम
स्वदेशी विरासत को संरक्षित करने में मददगार साबित होगी, साथ ही
देशों के मध्य शांतिपूर्ण बातचीत को भी इसे बढ़ावा मिलेगा।
➠ दक्षिण
अमेरिका में सह सहारा अफ्रीका और किचुवा के लोग
"स्वाहिली भाषा" बोलते हैं, तथा
पड़ोसी देशों के समुदायों के साथ एक ही संस्कृति को साझा करते हैं।
भारत में मातृभाषा -
➠ लगभग 50 मातृभाषाएं
भारत में पिछले 5 दशकों
में लुप्त हो चुकी है।
➠ संविधान
के भाग 17 और
आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं
वर्णित है, जिसे
जिसमें संस्कृत, तमिल
और कन्नड़ को विशेष भाषा का दर्जा तथा श्रेष्ठ प्राचीन भाषा की मान्यता दी गई है।
➠ इन
भाषाओं का 1000 वर्ष से अधिक का लिखित तथा मौखिक इतिहास रहा है।
➠ 2001 में हिंदी भाषा को मातृभाषा बताने वाले लोगों का प्रतिशत 41.03% रहा था
तो वहीं वर्ष 2011 की जनगणना में यह प्रतिशत 41.63% पहुंच गया।
➠ बांग्ला
भाषा दूसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा रही है, वहीं मराठी तीसरे नंबर पर
सर्वाधिक बोली जाने वाली मातृभाषा रही।
➠ उर्दू 2001 में
छठे स्थान पर थी तो वहीं 2011 की जनगणना में यह सातवें स्थान पर पहुंच गई।
➠ मातृभाष
बोलने के स्थान पर गुजराती भाषा छठे स्थान पर, जिसे कुल भारतीय जनसंख्या
प्रतिशत का 4.74% लोगों द्वारा बोला जाता है।
➠ संस्कृत
सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है जो संविधान की 22 सूचीबद्ध भाषाओं में शामिल
है।
➠ वर्ष 2011 में
गैर सूचीबद्ध भाषाओं में अंग्रेजी को 2.6 लाख लोगों ने अपनी मातृभाषा
बताया, जिसमें
सर्वाधिक संख्या में 1.06 लाख लोग महाराष्ट्र से, दूसरे स्थान पर तमिलनाडु तथा
तीसरे स्थान पर कर्नाटक रहा था।
➠ गैर
सूचीबद्ध भाषाओं में राजस्थान क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा भिली - भिलौड़ी
पहले स्थान पर है, इसे
लगभग 0.40 (40 लाख) करोड़ लोगों द्वारा बोला जाता है।
➠ गोंडी
भाषा दूसरे स्थान पर 29 लाख
लोगों के द्वारा बोली जाती है।
➠ वर्ल्ड
लैंग्वेज डेटाबेस की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 20 से ज्यादा बोली जाने वाली
भाषाओं में 6 भारतीय
भाषाएं शामिल है। जिसमें हिंदी तीसरे स्थान पर इसे 61.5 करोड़ लोगों के द्वारा प्रयोग
मे लाया जाता है।
➠ बंगाली
सातवें स्थान पर जिसे 26.5 करोड़ लोग बोलते हैं, 11 वे स्थान पर उर्दू जिसे 17 करोड़
लोगों द्वारा बोला जाता है।
➠ 15वें स्थान पर मराठी इसे 9.5 करोड़ लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है। 16 स्थान पर तेलुगु और 19वें स्थान पर तमिल भाषा शामिल है।
संसद की पहल -
➠ भारतीय
संसद के द्वारा वर्ष 2018 में संसद में पहली बार यह पहल की गई कि सांसद सदस्य भारतीय
संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भारतीय भाषाओं में से किसी भी
भाषा में अपने विचारों को प्रकट या बोल सकता है।
➠ वर्ष 2019 में
मानसून सत्र के दौरान पहली बार सांसद "सरोजनी हेमब्रम ने
संथाली भाषा" में अपना भाषण दिया, जिसे सभापति वेंकैया नायडू के
द्वारा सराहा गया।
➠ राज्यसभा ने संविधान में वर्णित 22 भाषाओं की व्याख्या के लिए कई इंटरप्रेटर्स को भी शामिल किया है।
उत्तराखंड मे मातृभाषा -
➠ यूनेस्को
के एटलस ऑफ द वॉइस लैंग्वेज इन डेंजर की रिपोर्ट के आधार पर अकेले उत्तराखंड में
ही 10 से
अधिक बोलियां खतरे में है।
➠ उत्तरकाशी
की बंगाडी (बंगारी) बोली को बोलने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 12 हजार
तक रह गई है, जो
पहले एक लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती थी। वहीं दारमा बोली को 1761 लोग, व्यासी
बोली को 1764 लोग, जाड
बोली को 2000 लोगों के द्वारा बोला जाता है।
➠ इसी
तरह जौनसारी भाषा को लगभग एक लाख से अधिक लोग ही समझ पाने में सक्षम है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें