21 जनवरी को मेघालय स्थापना दिवस - Study Search Point

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21 जनवरी को मेघालय स्थापना दिवस

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मेघालय स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 21 जनवरी को मनाया जाता है, क्योंकि 21 जनवरी, 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था। त्रिपुरा और मणिपुर की पूर्व रियासतों को वर्ष 1949 में भारत में मिलाया गया था। 21 जनवरी, 1972 तक पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने तक यह केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर जाने जाते थे। मेघालय को 2 अप्रैल1970 को स्वायत्त राज्य का दर्जा प्रदान किया गया और फिर असम से अलग होने के बाद यह 21 जनवरी, 1972 में पूर्ण राज्य बना।

 मुख्य लेख : मेघालय - 


मेघालय भारत के उत्तर पूर्व में एक राज्य है। मेघालय का निर्माण असम के अंतर्गत 2 अप्रैल, 1970 को एक स्‍वतंत्र राज्‍य के रूप में किया गया। इसे पूर्व का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है। पूर्ण राज्‍य मेघालय 21 जनवरी, 1972 को बना। इसकी उत्तरी और पूर्वी सीमाएं असम से और दक्षिणी तथा पश्चिमी सीमाएं बांग्लादेश से मिलती हैं। मेघालय का शाब्दिक अर्थ है मेघों का आलय अर्थात बादलों का घर।
मेघालय मूलत: एक पहाड़ी राज्‍य है। यहाँ खासीजैंतिया और गारों आदिवासी समुदाय के लोग मुख्यत: रहते हैं। मेघालय के मध्‍य और पूर्वी भाग में खासी और जैंतिया पहाड़ियाँ और एक विशाल पठारी क्षेत्र है। यहाँ विस्‍तृत मैदान, पहाडियां और नदी, घाटियां हैं। पहाड की तलहटी पर समतल भूमि की संकरी पट्टी बांग्लादेश की अंतरराष्‍ट्रीय सीमा के साथ लगी है। मेघालय का क्षेत्रफल लगभग 22,429 वर्ग किलोमीटर है। सन् 2000 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 2,175,000 है। इसके उत्तर में असम है जिसकी सीमा ब्रह्मपुत्र नदी से विभाजित होती है, और दक्षिण में बांग्लादेश है। मेघालय की राजधानी शिलांग है। यह एक बहुत ही ख़ूबसूरत नगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 260,000 है। मेघालय पहले असम राज्य का अंग था जिसको विभाजित करके 21 जनवरी 1972 को एक नया प्रान्त बनाया गया। मेघालय भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक राज्य है। मेघालय का निर्माण असम के अंतर्गत 2 अप्रैल, 1970 को एक स्‍वतंत्र राज्‍य के रूप में किया गया। इसे पूर्व का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है। मेघालय को 21 जनवरी, 1972 को पूर्ण राज्य बनाया गया था। इसकी उत्तरी और पूर्वी सीमाएँ असम से और दक्षिणी तथा पश्चिमी सीमाएँ बांग्लादेश से मिलती हैं। मेघालय का शाब्दिक अर्थ है- "मेघों का आलय" अर्थात "बादलों का घर"। मेघालय मूलत: एक पहाड़ी राज्‍य है। यहाँ खासीजैंतिया और गारों आदिवासी समुदाय के लोग मुख्यत: रहते हैं। राज्य के मध्‍य और पूर्वी भाग में खासी और जैंतिया पहाड़ियाँ और एक विशाल पठारी क्षेत्र है। यहाँ विस्‍तृत मैदान, पहाडियाँ और नदी, घाटियाँ हैं। पहाड़ की तलहटी पर समतल भूमि की संकरी पट्टी बांग्लादेश की अंतरराष्‍ट्रीय सीमा के साथ लगी हैं।
यह क्षेत्र जनजातीय संस्कृति और लोक परम्परा से समृद्ध है। भैंस के सींगों, बाँसुरी और मृदंगों से निकली स्वर लहरियों के साथ नृत्य और मदिरापान यहाँ के सामाजिक समारोहों व धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न अंग है। विवाह सम्बन्ध अपने कुल-गोत्र के बाहर होते हैं। 19वीं सदी के मध्य में ईसाईयत के आगमन और उसके साथ जुड़ी सख़्त नैतिकता ने अनेक जनजातीय और सामुदायिक संस्थाओं को क्षति पहुँचाई है। गारो जाति के लोगों में एक विचित्र प्रथा यह है कि शादी के बाद सबसे छोटा दामाद अपने सास-ससुर के घर आकर रहने लगता है और उसकी सास के मायके में उसके ससुर का प्रतिनिधि नोकरोम बन जाता है। यदि ससुर की मौत हो जाती है तो, नोकरोम की उसकी विधवा सास की शादी कर दी जाती है (और इस विवाह को दाम्पत्य की सम्पूर्णता भी प्रदान की जाती है) और इस तरह वह माँ और बेटी, दोनों का पति बन जाता है। यह रिवाज अब ख़त्म होता जा रहा है। ख़ासियों में पहले नरबलि की प्रथा भी थी। मेघालय राज्य में अनेक गुफ़ाएँ, पर्वत शिखर, बाग़, झील-रिज़ॉर्ट स्थल, ख़ूबसूरत दृश्यावलियाँ, गर्म पानी के सोते और जलप्रपात हैं। प्रमुख पर्यटक स्थल हैं- शिलांगउमियाम झील, चेरापूँजी, मॉसिनराम, जाक्रीयम, माईरांग, जोवाई, नार्तियांग, थदलाशीन, तुरा, सीजू और बलपाक्रम राष्ट्रीय उद्यान। 1993 में लगभग 1,57,000 पर्यटक राज्य में आए।

पर्यटन स्‍थल - 

मेघालय में बहुत से ऐसे पर्यटन स्‍थल हैं, जहां पर प्रकृति अपने भव्‍य रूप में उपस्थित है। राजधानी शिलांग में भी अनेकसुन्दर स्‍थल हैं। जिनमें वार्डस लेकउमियाम झीललेडी हैदरी उद्यान, पोलो ग्राउंड, मिनी चिडियाघर, हाथी झरना, और शिलांग की पर्वत चोटी प्रमुख हैं। शिलांग की पर्वत चोटी से पूरे नगर का दृश्य दिखाई देता है। यहाँ का गोल्‍फ कोर्स देश के अच्छे गोल्‍फ कोर्स मैदानों में से एक है। राज्य सरकार पर्यटन को पर्याप्त बढ़ावा देती है किन्तु अलगाववादी संगठन 'उल्फा' और 'बोडो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा', गारो पहाड़ियों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बनाते रहे हैं । घने जंगल और बांग्लादेश की सीमा समीप होने के कारण ये लोग इसे गुप्तवास की भाँति प्रयोग करते हैं।
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