मणिपुर राज्‍य स्थापना दिवस 21 जनवरी, - Study Search Point

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मणिपुर राज्‍य स्थापना दिवस 21 जनवरी,

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मणिपुर स्थापना दिवस 21 जनवरी को मनाया जाता है। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्‍य की श्रेणी मिली और 60 निर्वाचित सदस्‍यों की विधानसभा का गठन किया गया।

मुख्य लेख : मणिपुर - 


मणिपुर भारत का एक पूर्वी राज्य है। मणिपुर राज्य की राजधानी इंफाल है। मणिपुर राज्य के उत्तर और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से म्यांमार लगा हुआ है। मणिपुर का क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी है। मेइती जनजाति, जो घाटी क्षेत्र में ही रहते हैं, वे ही यहाँ के मूल निवासी हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है। इसी भाषा को मणिपुरी भाषा कहते हैं। यह भाषा1992 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई। यहाँ के पर्वतीय भाग में नागा व कुकी जनजाति के लोग निवास करते हैं। मणिपुरी बहुत ही संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है।
ईस्वी युग के प्रारंभ होने के पहले से ही मणिपुर का लंबा और शानदार इतिहास है। यहाँ के राजवंशों का लिखित इतिहास सन् 33 ई. में पखंगबा के राज्‍यभिषेक के साथ मिलता है। उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया। मणिपुर की स्‍वतंत्रता और संप्रभुता 19वीं सदी के आरंभ तक बनी रही। उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी शासकों ने यहाँ पर कब्‍जा करके शासन किया। 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में देश के साथ स्‍वतंत्र हुआ। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्‍य आयुक्‍त के अधीन भारतीय संघ के भाग ‘सी’ के राज्‍य के रूप में सम्मिलित हुआ। कालांतर में एक प्रादेशिक परिषद का गठन किया गया जिसमें 30 सदस्य चयन के द्वारा और दो सदस्‍य मनोनीत थे। इसके पश्चात 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अधीन 30 सदस्य चयन द्वारा और तीन मनोनीत सदस्यों की विधानसभा स्‍‍थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का पद मुख्‍य आयुक्‍त स्थान पर उपराज्‍यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्‍य की श्रेणी मिली और 60 निर्वाचित सदस्‍यों की विधानसभा का गठन किया गया। इस विधानसभा में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए 19 सीट आरक्षित हैं। मणिपुर से लोकसभा के दो और राज्‍य सभा का एक प्रतिनिधि है।
पोलो और हॉकी यहाँ के लोकप्रिय खेल हैं। मणिपुर ने शास्त्रीय नृत्य की एक स्थानीय शैली मणिपुरी को भी जन्म दिया है। भारत के अन्य नृत्य रूपों के विपरीत इस नृत्य शैली में हाथ की मुद्राओं का उपयोग मूक अभिनय के बजाए सजावटी तोर पर ही किया जाता है, घुंघरुओं से स्वराघात उत्पन्न नहीं किया जा सकता और नर्तक व नर्तकी मिलकर यह नृत्य करते हैं। नृत्य नाटिकाएँ, जिनकी व्याख्या वाचक के द्वारा होती है, यहाँ के धार्मिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इन नाटिकाओं के विषय सामान्यत: हिन्दू धर्म के पशुपालक देवता कृष्ण के जीवन से लिए जाते हैं। लम्बे समय तक लगभग अज्ञात इस नृत्य का शेष भारत से परिचय महाकवि रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 1917 में करवाया। रास, संकीर्तन नृत्य और थांग-ता (मृदंग वादन) भी इनके सांस्कृतिक जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इसके अलावा मणिपुरी अच्छे योद्धा होते हैं और कुश्ती, तलवारबाज़ी और युद्ध कलाओं का अभ्यास करते हैं। वे पोलो भी खेलते हैं। काईना हिन्दुओं का तीर्थ स्थान है। कैबुल लाम्जाओ राष्ट्रीय उद्यान देश का अपने ढंग का एकमात्र तैरता अभयारण्य है। राज्य के अन्य उल्लेखनीय पर्यटन स्थलों में प्राचीन महल, वैष्णवों का श्रीगोविन्दजी मन्दिर, युद्ध शहीदों के क़ब्रिस्तान, पोलो मैदान के निकट राज्य संग्रहालय, लांगताबंद महल और ख्वैरामबंद बाज़ार शामिल हैं। महिलाओं के इस बाज़ार को नूपी केथल या ईमा मार्केट भी कहते हैं। राज्य में हर साल लगभग 91 हज़ार पर्यटक आते हैं।

पर्यटन केंद्र 

मणिपुर में जाने के लिए चाहे वह पर्यटक हो या उनका जन्म यहीं पर हुआ हो, प्रतिबंधित क्षेत्र का परमिट लेना आवश्यक होता है। यह परमिट मुख्य महानगरों में स्थित क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से मिलता है। यह परमिट दस दिन तक ही वैध होता है।
मनमोहक प्राकृतिक भू दृश्‍यों से मणिपुर पर्यटकों को आकर्षित करता है। मुख्‍य पर्यटन केंद्र हैं—कांगला, श्री गोविंद जी मंदिर, खारीम बंद बाज़ार (इमा कैथल) , युद्ध स्‍मारक, श‍हीद मीनार, नूपी लेन (स्त्रियो का युद्ध) स्‍मारक परिसर, खोगंमपट्ट उद्यान, विष्‍णु मंदिर, सेंदरा, मारह, सिरोय गांव, सिरोय पहाडिया, ड्यूको घाटी, लोकटक झील, दज़ुको घाटी, कैबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान, राज्‍यकीय संग्रहालय, केनिया पर्यटक आवास, खोग्‍जोम युद्ध स्‍मारक परिसर आदि है।
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