मुद्रा एक ऐसा मूल्यवान रिकॉर्ड है या आमतौर पर वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान के रूप में स्वीकार किया जाने वाला तथ्य है! यह सामाजिक-आर्थिक संदर्भ के अनुसार ऋण के पुनर्भुगतान के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है! एक देश की मुद्रा की आपूर्ति मुद्रा (सिक्के या पैसों) के रूप में होती है. जिसके अन्दर बैंक की मुद्राएं भी शामिल होती हैं! विकसित देशो में यह इसका रिकॉर्ड कागजी तौर ब्राड मनी के तौर पर रखा जाता है! ब्राड मनी से तात्पर्य यह है कि इसके अंतर्गत आमतौर पर वाणिज्यिक बैंकों में मांग जमाओं को शामिल किया जाता हैं! इसके अंतर्गत उस मुद्रा को भी शामिल किया जाता है जिस तक आसानी से पहुँच को बनाये रखा जा सकता हो! ब्राड मनी के अंतर्गत तरल मुद्रा और गैर-नकद घटक को शामिल किया जाता है जोकि आम तौर पर बहुत आसानी से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है! शब्द "मुद्रा" के सन्दर्भ में यह विश्वास किया जाता है कि यह हेरा के मंदिर से उत्पन्न हुआ है! जोकि रोम के सात पहाड़ियों में से एक कापितोलिने से सम्बंधित है! प्राचीन समय में हेरा का इस्तेमाल मुद्रा के रूप में किया जाता था!
मुद्रा बैंक भारत में 8 अप्रैल 2015 को आरम्भ हुआ। यह मुख्य रूप से सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों के वित्तपोषण पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। मुद्रा बैंक का मतलब है 'माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट्स रिफाइनेंस एजेंसी' (MUDRA)। मुद्रा बैंक का उद्देश्य युवा, शिक्षित और प्रशिक्षित उद्यमियों को मदद देकर मुख्यधारा में लाना है।
विशेषताएँ
- इस योजना के तहत छोटे उद्यमियों को कम ब्याज दर पर 50 हजार से 10 लाख रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा।
- केंद्र सरकार इस योजना पर 20 हजार करोड़ रुपये लगाएग। साथ ही इसके लिए 3000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी रखी गई है।
- मुद्रा बैंक छोटे फाइनेंस संस्थानों (माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशन) को री-फाइनेंस करेगा ताकि वे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत छोटे उद्यमियों को कर्ज दे सकें।
- मुद्रा बैंक के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों को प्राथमिकता पर कर्ज दिए जाएंगे।
- इसकी पहुंच का दायरा बढ़ाने के लिए डाक विभाग के विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा।
- मुद्रा बैंक देश भर के 5.77 करोड़ छोटी व्यापार इकाइयों की मदद करेगा। इन्हें अभी बैंक से कर्ज लेने में बहुत मुश्किल होती है।
- इस व्यवस्था के तहत तीन तरह के कर्ज दिए जाएंगे : शिशु, किशोर और तरुण।
- व्यापार शुरू करने वाले को 'शिशु' श्रेणी का ऋण दिया जाएगा। 'किशोर' श्रेणी के तहत 50 हजार से 5 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा। वहीं 'तरुण' श्रेणी के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा।
मुद्रा का मुख्य कार्य हैं :
• विनिमय का माध्यम
• खाते की एक इकाई(यूनिट ऑफ़ अकाउंट)
• मूल्य की एक दुकान(स्टोर ऑफ़ वैल्यू)
• आस्थगित भुगतान का एक मानक
• खाते की एक इकाई(यूनिट ऑफ़ अकाउंट)
• मूल्य की एक दुकान(स्टोर ऑफ़ वैल्यू)
• आस्थगित भुगतान का एक मानक
कोई भी चीज जो उपरोक्त मानकों को पूरा करता है उसे हम मुद्रा के रूप में मान सकते हैं! मुद्रा ऐतिहासिक वस्तु के रूप में स्वीकार की जाती है! यह बाजार का मापक होती है! ऐतिहासिक रूप से ही इसका आस्तित्व रहा है. लेकिन व्यावहारिक रूप से सभी समकालीन मुद्रा फिएट प्रणाली पर आधारित होती है! फ़िएट मुद्रा का अर्थ है कोई चेक या उधारी की राशि जोकि आंतरिक रूप से मुल्यरहित हो और उसे भौतिक रूप से स्वीकार किया जा सकता है! यह अपने मूल्य की स्वतः ही खोज करती है! अर्थात इसके मूल्य का निर्धारण सरकारों द्वारा किया जाता है जोकि एक कानूनी विधा है! अर्थात यह वह है कि जोकि देश के परिसर के भीतर भुगतान के एक फार्म के रूप में स्वीकार किया जाता है! एक देश की मुद्रा की आपूर्ति मुद्रा (सिक्के या पैसों) के रूप में होती है. जिसके अन्दर बैंक की मुद्राएं भी शामिल होती हैं. विकसित देशो में यह इसका रिकॉर्ड कागजी तौर ब्राड मनी के तौर पर रखा जाता है! ब्राड मनी से तात्पर्य यह है कि इसके अंतर्गत आमतौर पर वाणिज्यिक बैंकों में मांग जमाओं को शामिल किया जाता हैं! इसके अंतर्गत उस मुद्रा को भी शामिल किया जाता है जिस तक आसानी से पहुँच को बनाये रखा जा सकता हो, ब्राड मनी के अंतर्गत तरल मुद्रा और गैर-नकद घटक को शामिल किया जाता है जोकि आम तौर पर बहुत आसानी से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है!
मुद्रा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है लेनदेन को सुविधाजनक बनाना. इसका इस्तेमाल लेनदेन के सन्दर्भ में आसानी से किया जा सकता है! बिना मुद्रा के किसी भी प्रकार के लेनदेन को संभव नहीं बनाया जा सकता है! साथ ही अगर हम किसी भी वस्तु के बदले कोई वस्तु न लेना चाहे तो यह मुद्रा ही है जिसके माध्यम से हम व्यापारिक गतिविधियों को संपन्न कर सकते हैं! वस्तु विनिमय प्रणाली के अंतर्गत एक वस्तु का किसी अन्य वस्तु से तभी हस्तांतरण किया जा सकता है जब दोनों दलों की तरफ से किये जाने वाले लेनदेन का मूल्य बराबर हो और उनकी मांग समान हो, मुद्रा इन्हीं समस्याओं को समाप्त करता है और दोनों तरफ के विनिमय को संभव बनाता है! इसके द्वारा दोनों दलों को किसी भी प्रकार की समस्या से न केवल निजात मिलेगी बल्कि वस्तुओ और सेवाओ के लेनदेन की प्रक्रिया आसन होगी!
मुद्रा खाते की एक इकाई के रूप में भी कार्य करता है! यह वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापने का एक आम उपाय भी है.!इसके माध्यम से किसी भी वस्तु या सेवा के मूल्य को जाना जा सकता है! साथ ही कोई खरीदार या बेंचने वाला किसी वस्तु की कितनी कीमत अदा कर रहा है या कितनी कीमत वसूल कर रहा है यज सब कुछ मुद्रा के मूल्य के आधार पर ही निर्धारित किया जा सकता है!
मूल्य की एक दुकान के रूप में मुद्रा कोई अद्वितीय चीज नहीं है! उल्लेखनीय है की हर चीज की मूल्य में वृद्धि होती है और घटती भी है जैसे कला, भूमि, डाक टिकटों आदि मनी के रूप में मूल्यांकित नहीं किये जा सकते हैं लेकिन मुद्रा का मूल्य मुद्रा स्फीति पर कम होता है! इसके माध्यम से किसी भी चीज तक आसानी से पहुंचा जा सकता है!
स्थगित भुगतान के मानक
इसका इस्तेमाल किसी भी ऋण को देने में किया जा सकता है! साथ ही न्यायलय में वैध निविदा के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है! बैंको में भी इसका इस्तेमाल ऋण देने और व्याज से मुक्ति हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है!
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