क्या है? यू.ए.पी.ए (UAPA) काननू., - Study Search Point

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क्या है? यू.ए.पी.ए (UAPA) काननू.,

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गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून

 हाल ही में जम्मू कश्मीर में सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाने और संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त होने के बाद यूएनपीए कानून चर्चा में रहा है।

 प्रॉक्सी सर्वर के जरिए सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया गयाजिसमें वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिए अफवाहें फैलाई जा रही थी।

 कश्मीर में करीब 6 महीने से इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध हैहालांकि सरकार ने इसमे कुछ ढील दी थीजिसमें लोगों को केवल वेबसाइट देख सकते थेजिसके तहत लगभग 300 वेबसाइट को एक्सेस किए जाने की अनुमति प्रदान की गई थी।

 कश्मीर में केवल वॉइस मेलएसएमएस और 2जी इंटरनेट कनेक्टिविटी की अनुमति प्रदान की गई है।

सरकार के 14 जनवरी के आदेश को जारी करने के बाद सभी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

 घाटी में सरकारी नेटवर्क का इस्तेमाल कर अपना एक निजी नेटवर्क तैयार किया गयाऔर वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिए अफवाहें फैलाने का कार्य किया गया। इसके तहत पुलिस ने तीन अलग अलग तरह के केस दर्ज किए गए हैंजिसमें एक यू.ए.पी.ए. के अन्तर्गत दूसरा इंडियन पीनल कोर्ट के अंतर्गत देशद्रोह का मामला (धारा 188 के तहततथा तीसरा सूचना प्रौद्योगिकी (धारा 66 Aके तहत केस दर्ज किया गया है।

यू.ए.पी.ए. यह कानून आतंकवादी घटनाओं में कमी लाने तथा इन्हें पनाह देने वालों पर कारगर और त्वरिक कार्यवाही के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

क्या है यू.ए.पी.ए. कानून ?

 गैर कनूनी गतिविधियां रोकथाम कानून सबसे पहले वर्ष 1967 में बनाया गया था।

 इस कानून का मकसद देश की संप्रभुता और एकता की रक्षा करना था।

 सन 1967 में यू.ए.पी.ए. कानून के प्रावधान से सरकार ऐसे किसी भी संगठन या गैरकानूनी संगठन को आतंकी घोषित कर सकती थीजो भारत को तोड़नेभारत से अलग होने की बात करता हो।

 सन 1967 के  यू.ए.पी.ए कानून को वर्ष 2019 में संशोधित किया गया।

 जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को व्यक्तिगत आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान किया गया।

 संशोधित यू.ए.पी.ए कानून को 24 जुलाई 2019 को लोकसभा मेंतथा 2 अगस्त 2019 को राज्यसभा में पारित किया गयाऔर 8 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के इसे मंजूरी प्रदान की।

 संशोधित यू.ए.पी.ए काननू के जरिए आतंकवादी घटनाओं में कमी लानाआतंकी घटनाओं की त्वरित जांच करनागुनहगारों को सजा दिलाना है।

 यह कानून देश की एकताअखंडता पर चोट करने वालों के खिलाफ सरकार को असीमित अधिकार देता है।

यू.ए.पी.ए कानून के प्रावधान -

 यू.ए.पी.ए काननू के तहत आतंकवादियों की गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों की या व्यक्ति विशेष से संबंधित संपत्ति को ज़ब्त करने का भी अधिकार प्रावधान किया गया है। इसके लिए पुलिस महानिदेशक से मंजूरी लेनी होगी।

 यदि घटना की जांच एनआईए कर रही हो तो संपत्ति जप्त के लिए एनआईए महानिदेशक से पूर्व मंजूरी लेनी आवश्यक होगी।

 मामलों की जांच डीएसपी या असिस्टेंट कमिश्नर या इससे उच्च पद के अधिकारी द्वारा की जाएगी।

 एनआईए के इंस्पेक्टर या इससे अधिक ऊंचे पद के अधिकारियों द्वारा जांच किए जाने का प्रावधान है।

 यू.ए.पी.ए के संशोधन कानून के बाद पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर।

 मुंबई हमले (26/11) के आरोपी हाफिज सईद।

 मुंबई बम कांड 1993 के आरोपी दाऊद इब्राहिम तथा जाकिर उर रहमान लखवी को आतंकवादी घोषित किया गया है।

 इससे पूर्व केवल संगठन को ही आतंकवादी घोषित किया जाता था।

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) 1980 -

 वर्ष 1980 में पूरे देश में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू किया गया यह कानून जम्मू कश्मीर को छोड़कर के सभी राज्यों में लागू किया गया था।

 जम्मू कश्मीर में वर्तमान में सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम कानून लागू हैयह (PSA) अधिनियम 1978 यूपीए सरकार सोनिया गांधी के समय में जम्मू कश्मीर के लिए बनाया गया।

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के कानूनी प्रावधान -

 पीएससी (सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम)  कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना ट्रायल के 2 वर्ष तक जेल में रखा जा सकता हैयह कार्य व्यक्ति को गलत कार्य करने से पहले रोकने के लिए किया जाता है। (केवल जम्मू कश्मीर के लिए)

 रासुका कानून के तहत धारा 3(1) के अंतर्गत व्यक्ति को किसी संदिग्ध या शांति भंग करने वाले कार्य को करने से रोकने के लिए राज्य सरकार के द्वारा उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया जा सकता है। (पूरे देश के लिए कश्मीर को छोड़कर)

 इसके अलावा व्यक्ति को सरकारी कार्य को रोकनेआंतरिक शांति भंग करने सेवाओं की आपूर्ति में बाधा डालनेकानून व्यवस्था में बाधा पहुंचानेदेश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा बननेजमाखोरी करनेदंगा करने वालों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

 रासुका की धारा 3(3) में जिलाधिकारीपुलिस आयुक्त और राज्य सरकार इसका उपयोग सीमित दायरे में रहकर कर सकती हैं। इसके तहत किसी व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा 3 माह के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है इसके उपरांत गिरफ्तार व्यक्ति को कोर्ट में हाजिर करना आवश्यक है।

 धारा 9(1) में राज्य तथा केंद्र आवश्यक आवश्यकता पड़ने पर इसके लिए एक या उससे अधिक सलाहकार बोर्ड का गठन करने का अधिकार भी रखती हैं।

 साथ ही रासुका की धारा 14 के तहत आरोपी को अधिकार है कि वह उनके खिलाफ की गई कार्यवाही के लिए केंद्रराज्य सरकार के समक्ष अपना आवेदन कर सकता है।

 धारा 15 के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को कुछ शर्तों के साथ छोड़ा भी जा सकता हैऔर आवश्यकता पड़ने पर उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

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