विश्व में टेलीफोन का आविष्कार और इंटरनेट सेवाएं., - Study Search Point

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विश्व में टेलीफोन का आविष्कार और इंटरनेट सेवाएं.,

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अलेक्जेंडर ग्राहम बेल टेलीफोन के आविष्कारक.,
जीवन परिचय -
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जन्म 3 मार्च 1847 को स्कॉटलैंड के एडिनबर्न में एक साधारण परिवार में हुआ था।
इनके पिता अलेक्जेंडर मेलबेनी बेल स्वर ध्वनि विशेषज्ञ एवं बोलचाल की कला के अध्यापक थे।
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल की प्राथमिक शिक्षा एडिनबर्न में ही हुई, लंदन जाकर ग्राहम बेल ने स्नाकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की।
बेल 1871 में अमेरिका के बोस्टन शहर चले गए, 1872 में बेल ने बोस्टन में स्कूल ऑफ वोकल फिजियोलॉजी एंड मैकेनिक ऑफ स्पीच की स्थापना की।
सन 1873 में उन्हें बोस्टन के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया।
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह रखते थे, उन्होंने विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों को इकट्ठा कर उनमें रिसर्च की, और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए नित क्रियाशील रहे।
बेल ने 1872 में ध्वनि के सिद्धांत तथा टेलीग्राफ की कार्यप्रणाली पर नियमित कार्य करते हुए, सिर्फ 29 वर्ष की आयु में 1876 में टेलीफोन की खोज की
 ➲ अलेक्जेंडर Graham Bell ने सन 1877 में बेल टेलीफोन कंपनी की स्थापना की, जो आगे चलकर अमेरिका की सबसे बड़ी टेलीफोन और इंटरनेट कंपनी बनी।
सन 1915 में पहली बार हजारों किलोमीटर दूर से बात किया जाना टेलीफोन के द्वारा संभव हो पाया।
टेलीफोन के आविष्कार को अपने नाम पर पेटेंट कराने के लिए बेल को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सन 1876 बेल के द्वारा टेलीफोन के आविष्कार की घोषणा किए जाने के बाद तकरीबन 600 से ज्यादा लोगों ने इस पर दावा कर दिया।
बेल ने 1919 में जल पर दौड़ कर हवा में उड़ने वाले हवाई जहाज का भी अविष्कार किया।
इसके अलावा बेल ने ऑप्टिकल फाइबर सिस्टम, फोटोफोन बेल, डेसीबल यूनिट तथा मेटल डिटेक्टर का भी आविष्कार किया।
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का 2 अगस्त 1922 में निधन हो गया।
टेलीफोन का सफर -
सन 1844 में सैमुअल मोर्स ने एकल तार पर टेलीग्राफ प्रणाली तथा मोर्स कोड का आविष्कार किया, जिसने सभी महाद्वीपों को आपस में जोड़ने का कार्य किया।
सैमुअल मोर्स के टेलीग्राफ प्रणाली को ही आधार बनाकर सन 1876 में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया।
बेल की मां तथा पत्नी दोनों सुनने में असमर्थ थे, इसी कारण से बेल की बचपन से ही ध्वनि विज्ञान में गहरी रूचि रही थी।
बेल को विश्वास था कि टेलीग्राफ के जरिए ध्वनि सिग्नल भेजे जा सकते हैं, और इस पर शोध कार्य करने लगे टेलीग्राफ के माध्यम से शोध कार्य के रूप में बेल ने सहायक के तौर पर थॉमस वाटसन को अपने साथ रखा।
➲ 10 मार्च 1876 की एक घटना ने जब बेल तथा वाटसन अलग-अलग कमरों में टेलीग्राफ पर शोध कार्य कर रहे थे तो बेल पर अचानक एसिड गिर गया और वाटसन को मदद के लिए बेल के द्वारा बुलाया गया वाटसन का मदद के लिए आने पर वाटसन ने बताया कि उनके द्वारा मदद के लिए जो आवाज टेलीग्राफ के माध्यम से उन तक पहुंचाई गई थी, वह दूसरे कमरे में साफ सुनाई दी गई जिससे टेलीफोन का आविष्कार संभव हो पाया।
सन 1877 में बेल द्वारा खोली गई बेल टेलीफोन कंपनी 1885 में अमेरिका की टेलीफोन एवं इंटरनेट कंपनी at&t बन गई।

भारत में टेलीफोन -
आज से लगभग 100 वर्ष पहले टेलीफोन का आविष्कार ना होने के कारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सूचनाएं पहुंचाने के लिए पत्रों का प्रयोग किया जाता था।
पत्रों के माध्यम से सूचनाओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में कई समय लगता था, लेकिन टेलीफोन के आविष्कार ने इस समय अंतराल को बेहद सूक्ष्म कर दिया।
भारत में पहली बार टेलीफोन सेवा 1881-82 में कोलकाता में शुरू की गई।
स्वचालित टेलीफोन एक्सचेंज भारत में पहली बार शिमला में 1913-14 में शुरू किया गया, जिसकी क्षमता 700 लाइनों की थी।

टेलीफोन सेवा में 1G से 5G तक का सफर -
1G का सफ़र : आज से लगभग दो दशक पूर्व भारत में मोबाइल सेवा आरंभ की गई थी।
➲ 1G सेवा अमेरिका में 1980 के दशक की शुरुआत में पेश किया गया थाऔर इसे आवाज संचार के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया था।
➲ 1G में आवाज की खराब क्वालिटी की भारी समस्या रही थी।
हैंडसेट बड़ा होने से इसमें अनेक दिक्कतें आ रही थी।
➲ 1G की स्पीड 2.4 KBPS रही थी।

2G का सफ़र : 2G के सफर की शुरूआत 1991-92 में फिनलैंड देश से मानी जाती है।
➲ 2G सेवा में पहली बार डिजिटल सिग्नल का इस्तेमाल किया गया था, यह GSM कम्युनिकेशन तकनीक पर आधारित सेवा रही थी।
➲ 2G सेवा में पिक्चर मैसेज तथा मल्टीमीडिया मैसेज भेजें जाना संभव हो पाया था।
➲ 2G सेवा में शुरुआती डाउनलोड स्पीड 236 KBPS तक रही थी।

3G का सफ़र : 3G के सफर की शुरुआत 2001 के आस पास में जापान देश से मानी जाती है।
पहला पूर्व-वाणिज्यिक 3G नेटवर्क, मई 2001 में जापान द्वारा ब्रांडेड FOMA में NTT DoCoMo के द्वारा शुरू किया गया, इसका उदघाटन W-CDMA प्रौद्योगिकी की रिलीज पर किया गया।
➲ 3G के विकास के लिए पहला मुख्य कदम है, जनरल पैकेट रेडियो सर्विस (GPRS) की शुरुआत, इसलिए GPRS से युक्त सेल्यूलर सेवाएं '2.5G' बन गयीं।
जिसमें GSM EDGEUMTS और CDMA2000, साथ ही DECT और WiMAX भी शामिल है। इसकी सेवाओं में मोबाइल पर्यावरण में व्यापक क्षेत्र वायरलेस वोईस टेलीफोनवीडियो कॉल्स और वायरलेस डेटा शामिल हैं।
➲ 3G सेवा में 2G से आगे बढ़कर वीडियो मैसेजिंग, मोबाइल टेलीविजन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा प्रदान की गई इसमें इंटरनेट डाउनलोड स्पीड 21 MB तक चली गई थी।
यही वह दौर था जब मोबाइल फोन पर स्मार्ट ऐप बनाए जाने शुरू किए गए थे।

4G का सफर : 4G सेवाओं की शुरुआत भी 2011-2012 के आसपास दक्षिण कोरिया से मानी जाती है।
➲ 4G की तकनीक 3G से सस्ती हो गई, पर जटिल हार्डवेयर प्रणाली के चलते 3G फोन के मुकाबले 4G मोबाइल फोन महंगे हो गए।
भारत में 4G तकनीक वर्तमान समय में प्रचलित है, इसके तहत 100 MBPS तक डाटा डाउनलोड किया जा सकता है।
सन 2007-2008 के आसपास जब मोबाइल तकनीक का विकास हो रहा था तो लोग फीचर फोन से आगे बढ़कर मल्टीमीडिया तकनीक की तरफ अग्रसर होने लगे, तब स्पेक्ट्रम टेलीफोन कंपनियों की जरूरत बन गया था।
➲ 3G तकनीक जहां वाइड एरिया नेटवर्क पर काम करती है, वहीं 4G लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) और बेस स्टेशन वाइड एरिया नेटवर्क पर काम करती है।
➲ ओएफडीएम (आर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीपल एक्सेस) की वजह से बेहतर वीडियो क्वालिटी लोगों को मिल पाएगी।

5G का सफर : 5G तकनीक का सफर सन 2017-18 से माना जाता है।
➲ 5G तकनीक स्पीड तथा कनेक्टिविटी के चलते अन्य GSM सर्विस से भिन्न है। इसमें उच्च क्षमता के डाटा को डाउनलोड किया जा सकता है।
यह पूर्णत: रेडियो तकनीक पर कार्य करने वाली GSM सर्विस है, इसमें एक साथ कई डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है।
➲ 5G तकनीक 3400 मेगा हर्ट्ज, 3500 मेगाहर्ट्ज तथा 3600 मेगाहर्ट्ज में कार्य करने में सक्षम है।
मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम 5G में मुख्य भूमिका निभा सकता है, मिलीमीटर वेब की लेंथ 1 से 10 मिलीमीटर तक होती है।
अब तक यह तरंग सैटेलाइट नेटवर्क एवं रडार प्रणाली में प्रयोग की जाती हैं।
इसी आधार पर 2017 में पहली बार 3000 मेगा हर्ट्ज से ऊपर 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी की कोशिश की गई थी।
भारत में भी 5G सेवाओं के लिए शोध एवं कार्य जारी हैं।
विश्व के अनेक देशों में 5G सेवाओं को लेकर चीन, जापान, अमेरिका सहित अनेक देशों में ट्रायल किया जा रहा है।

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