“सूफी” शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द “सफा” से हुई है जिसके दो अर्थ हैं- पहला, ऐसे व्यक्ति जो ऊनी वस्त्र पहनते हैं और दूसरा, शुद्धता और पवित्रता| सूफीवाद कुरान की उदार व्याख्या, जिसे “तरीकत” कहा जाता है, के साथ जुड़ा हुआ है। शरीयत में कुरान की रूढ़िवादी व्याख्या की गई है। सूफीवाद का मानना है कि “हक” (ईश्वर) और “खलक” (आत्मा) एक ही है|
“सूफी” शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द “सफा” से हुई है जिसके दो अर्थ हैं- पहला, ऐसे व्यक्ति जो ऊनी वस्त्र पहनते हैं और दूसरा, शुद्धता और पवित्रता| सूफीवाद कुरान की उदार व्याख्या, जिसे “तरीकत” कहा जाता है, के साथ जुड़ा हुआ है। शरीयत में कुरान की रूढ़िवादी व्याख्या की गई है। सूफीवाद का मानना है कि “हक” (ईश्वर) और “खलक” (आत्मा) एक ही है|
सूफीवाद के सिद्धांत “ईश्वर की प्राप्ति” पर आधारित है, जिसे हिन्दू या मुसलमान में भेद किये बिना ईश्वर से प्रेम, उसकी प्रार्थना, उपवास और अनुष्ठानों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है| साथ ही सूफीवाद में इस बात पर बल दिया गया है कि ईश्वर और उसके भक्तों के बीच कोई मध्यस्थ नहीं होना चाहिए|
भारत में सूफी आंदोलन का संक्षिप्त विवरण -
1. इस मत के लोगों के विचार और प्रथाएं हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म और पारसी धर्म का मिलाजुला रूप था|
2. इस मत का उद्देश्य आध्यात्मिक आत्म विकास के माध्यम से मानवता की सेवा करना था|
3. ये लोग हिंदू-मुस्लिम एकता और सांस्कृतिक मेलजोल के इच्छुक थे|
4. इन्होनें ईश्वर के प्रति विश्वास और समर्पण के लिए कट्टरपंथियों के प्रचार का विरोध किया|
5. इस मत के लोगों ने भौतिकवादी जीवन का विरोध किया लेकिन वे पूर्ण त्याग के पक्ष में नहीं थे|
6. यह मत कई सिलसिलों में विभक्त था|
7. सूफियों के सिलसिले दो भागों में विभाजित थे: “बा-शरा” जो इस्लामी सिद्धांतों के समर्थक थे और “बे-शरा” जो इस्लामी सिद्धांतों से बंधे नहीं थे|
विभिन्न सूफी सिलसिले, उसके संस्थापक और उनके आदर्शों की सूची :
सिलसिला - संस्थापक - आदर्श
चिश्ती - ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती इस सिलसिले के संत एवं अनुयायी शासक वर्ग से अलग रहते थे| इस सिलसिले के संत महबूब-ए-इलाही ने संगीत गायन की विधा “शमां” को लोकप्रिय बनाया|
सुहरावर्दी - शेख शहाबुद्दीन सुहरावर्दी इन लोगों का शासक वर्ग से घनिष्ठ संबंध था|
कादिरी - शेख निजमतउल्लाह ये लोग इस्लाम की बुनियादी बातों का दृढ़ता से पालन करते थे|
नक्शबन्दी - ख्वाजा पीर मोहम्मद रूढ़िवादी सिलसिला| मुजद्दिद ने शिया के दर्शन वहादत-उल-शहदूद का विरोध किया था| उन्होंने “लाल-ए-खाफिद” नामक पुस्तक लिखी थी| उन्हें जहाँगीर ने गिरफ्तार किया था|
फिरदौसी - शेख सरफुद्दीन याह्या सुहरावादी सिलसिला की शाखा
रशानिया (अकबर के शासनकाल में) - मियां बयाजिद अंसारी (पीर रोशन) खैर-उल-बयान के लेखक
महदवी - मुल्ला मोहम्मद महदी रूढ़िवादी मुसलमानों का विरोध किया|
रिसी - नुरूद्दीन नूरानी (वली) रूढ़िवादी मुसलमानों का विरोध किया|
कलन्दरिया - अबू वली कलन्दर इस सिलसिले के घुम्मकड़ भिक्षुओं को “दरवेश” कहा जाता है|
सत्तारी - अब्दुल्लाह सत्तारी खुदा के साथ सीधे संपर्क का दावा किया|
सूफी मत से संबंधित शब्द -
सूफी शब्द अर्थ -
तसव्वुफ़ सूफीवाद
शेख/पीर/मुर्शिद धर्मगुरू
मुरीद शिष्य
खलीफा उत्तराधिकारी
खानकाह धर्मशाला (विशेष रूप से किसी मठ द्वारा संचालित)
शमां सांगीतिक कार्यक्रम
रक्स नृत्य
फ़ना स्वविनाश
सूफीवाद इस्लाम के रूढ़िवादी प्रथा के खिलाफ एक आध्यात्मिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य बिना किसी मध्यस्थ के मानवजाति को ईश्वर की प्राप्ति करवाना है|
“सूफी” शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द “सफा” से हुई है जिसके दो अर्थ हैं- पहला, ऐसे व्यक्ति जो ऊनी वस्त्र पहनते हैं और दूसरा, शुद्धता और पवित्रता| सूफीवाद कुरान की उदार व्याख्या, जिसे “तरीकत” कहा जाता है, के साथ जुड़ा हुआ है। शरीयत में कुरान की रूढ़िवादी व्याख्या की गई है। सूफीवाद का मानना है कि “हक” (ईश्वर) और “खलक” (आत्मा) एक ही है|
सूफीवाद के सिद्धांत “ईश्वर की प्राप्ति” पर आधारित है, जिसे हिन्दू या मुसलमान में भेद किये बिना ईश्वर से प्रेम, उसकी प्रार्थना, उपवास और अनुष्ठानों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है| साथ ही सूफीवाद में इस बात पर बल दिया गया है कि ईश्वर और उसके भक्तों के बीच कोई मध्यस्थ नहीं होना चाहिए|
भारत में सूफी आंदोलन का संक्षिप्त विवरण -
1. इस मत के लोगों के विचार और प्रथाएं हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म और पारसी धर्म का मिलाजुला रूप था|
2. इस मत का उद्देश्य आध्यात्मिक आत्म विकास के माध्यम से मानवता की सेवा करना था|
3. ये लोग हिंदू-मुस्लिम एकता और सांस्कृतिक मेलजोल के इच्छुक थे|
4. इन्होनें ईश्वर के प्रति विश्वास और समर्पण के लिए कट्टरपंथियों के प्रचार का विरोध किया|
5. इस मत के लोगों ने भौतिकवादी जीवन का विरोध किया लेकिन वे पूर्ण त्याग के पक्ष में नहीं थे|
6. यह मत कई सिलसिलों में विभक्त था|
7. सूफियों के सिलसिले दो भागों में विभाजित थे: “बा-शरा” जो इस्लामी सिद्धांतों के समर्थक थे और “बे-शरा” जो इस्लामी सिद्धांतों से बंधे नहीं थे|
स्रोत - https://www.jagranjosh.com/ |
सिलसिला - संस्थापक - आदर्श
चिश्ती - ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती इस सिलसिले के संत एवं अनुयायी शासक वर्ग से अलग रहते थे| इस सिलसिले के संत महबूब-ए-इलाही ने संगीत गायन की विधा “शमां” को लोकप्रिय बनाया|
सुहरावर्दी - शेख शहाबुद्दीन सुहरावर्दी इन लोगों का शासक वर्ग से घनिष्ठ संबंध था|
कादिरी - शेख निजमतउल्लाह ये लोग इस्लाम की बुनियादी बातों का दृढ़ता से पालन करते थे|
नक्शबन्दी - ख्वाजा पीर मोहम्मद रूढ़िवादी सिलसिला| मुजद्दिद ने शिया के दर्शन वहादत-उल-शहदूद का विरोध किया था| उन्होंने “लाल-ए-खाफिद” नामक पुस्तक लिखी थी| उन्हें जहाँगीर ने गिरफ्तार किया था|
फिरदौसी - शेख सरफुद्दीन याह्या सुहरावादी सिलसिला की शाखा
रशानिया (अकबर के शासनकाल में) - मियां बयाजिद अंसारी (पीर रोशन) खैर-उल-बयान के लेखक
महदवी - मुल्ला मोहम्मद महदी रूढ़िवादी मुसलमानों का विरोध किया|
रिसी - नुरूद्दीन नूरानी (वली) रूढ़िवादी मुसलमानों का विरोध किया|
कलन्दरिया - अबू वली कलन्दर इस सिलसिले के घुम्मकड़ भिक्षुओं को “दरवेश” कहा जाता है|
सत्तारी - अब्दुल्लाह सत्तारी खुदा के साथ सीधे संपर्क का दावा किया|
सूफी मत से संबंधित शब्द -
सूफी शब्द अर्थ -
तसव्वुफ़ सूफीवाद
शेख/पीर/मुर्शिद धर्मगुरू
मुरीद शिष्य
खलीफा उत्तराधिकारी
खानकाह धर्मशाला (विशेष रूप से किसी मठ द्वारा संचालित)
शमां सांगीतिक कार्यक्रम
रक्स नृत्य
फ़ना स्वविनाश
सूफीवाद इस्लाम के रूढ़िवादी प्रथा के खिलाफ एक आध्यात्मिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य बिना किसी मध्यस्थ के मानवजाति को ईश्वर की प्राप्ति करवाना है|
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