विश्व कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस : जनवरी महीने के अंतिम रविवार., - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

विश्व कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस : जनवरी महीने के अंतिम रविवार.,

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विश्व कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस -
विश्व कुष्ठ दिवस प्रतिवर्ष जनवरी महीने के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। 27 जनवरी, 2019 को पूरे विश्व में ‘विश्व कुष्ठ दिवस’ (World Leprosy Day) मनाया गया। कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है।


उद्देश्य - यह दिवस शीघ्रातिशीघ्र रोग उन्मूलन/निवारण के लिए प्रयास बढ़ाने और प्रतिबद्धता नवीकृत करने का अवसर प्रदान करता है । यह बच्चों में कुष्ठ रोग से संबंधित विकलांगताओं के शून्य मामलों के लक्ष्य पर केंद्रित है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोग का जल्दी पता लगाने के साथ-साथ कुष्ठ संचारण रोकने के लिए हस्तक्षेप को मज़बूत बनाना महत्वपूर्ण केंद्र है।

इस (2019) वर्ष हेतु इसकी थीम (विषय) - ‘भेदभाव, कलंक और पूर्वाग्रह को समाप्त करना’ (Ending Discrimination, Stigma and Prejudice) है।

स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान, वर्ष 2018
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान वर्ष 2018 का आयोजन किया।

कुष्ठ रोग क्या है?
कुष्ठ रोग दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो कि बेसिलस, माइकोबैक्टेरियम लेप्री (एम. लेप्री) के कारण होता है। संक्रमण होने के बाद, औसतन पांच वर्ष की लंबी अवधि के बाद सामान्यत: रोग के लक्षण दिखाई देते है, क्योंकि एम. लेप्री धीरे-धीरे बढ़ते है। यह मुख्यत: मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
माइकोबैक्टेरियम लेप्री (एम. लेप्री) के प्रकार -

१- पॉसीबैसीलरी (Paucibacillary)     ट्युबरक्युलॉइड (“टीटी”) ("TT"), बॉर्डरलाइन ट्युबरक्युलॉइड (“बीटी”) ("BT")     A30.1, A30.2     ट्युबरक्युलॉइड     इसे त्वचा पर उपरंजकयुक्त (hypopigmented) एक या अधिक धब्बों व असंवेदक धब्बों के द्वारा पहचाना जाता है, जहां त्वचा की संवेदनाएं समाप्त हो जाती हैं क्योंकि मानवीय मेजबान की प्रतिरक्षी कोशिकाओं द्वारा आक्रमण किये जाने के कारण सतही नसें क्षतिग्रस्त हो गईं हैं।     सकारात्मक     दण्डाणु (टीएच1) (Th1)


२- मल्टिबैसीलरी     मिड-बॉर्डरलाइन या बॉर्डरलाइन (“बीबी”) ("BB")     A30.3     बॉर्डरलाइन     बॉर्डरलाइन कुष्ठरोग की तीव्रता मध्यम होती है और यह सबसे आम रूप है। त्वचा के धब्बे ट्युबरक्युलॉइड कुष्ठरोग के समान दिखाई देते हैं, लेकिन वे बहुत अधिक संख्या में और अनियमित होते हैं; बड़े धब्बे पूरे अंग को प्रभावित कर सकते हैं और कमजोरी तथा संवेदना में कमी के साथ सतही नसों का शामिल होना आम है। यह प्रकार अस्थिर होता है और लेप्रोमेटस (लेप्रोमेटस) कुष्ठरोग जैसा बन सकता है या इसमें एक प्रतिवर्ती प्रतिक्रिया हो सकती है, जिसके कारण यह ट्युबरक्युलॉइड रूप जैसा बन सकता है।


३- मल्टीबैसीलरी     बॉर्डरलाइन लेप्रोमेटस (“बीएल”) ("BL") और लेप्रोमेटस (“एलएल”) ("LL")     A30.4, A30.5     लेप्रोमेटस     यह त्वचा के सममित घावों, ग्रंथियों, प्लाक, आंतरिक त्वचा (dermis) की मोटाई बढ़ने और नाक के श्लेष्म की नियमित सहभागिता, जिसके परिणामस्वरूप नाक में रक्त का जमाव और एपिस्टैक्सिस (नाक से खून आना) की समस्या हो जाती है, से जुड़ा होता है, लेकिन विशिष्ट रूप से नसों की क्षति को पहचान पाने में देर लगती है।     नकारात्मक     दण्डाणु के भीतर स्थित प्लाज्मिड (टीएच2) (Th2)

कुष्ठ रोग कैसे फैलता है?
बैक्टीरिया संचारण के लिए अनुपचारित कुष्ठ रोग- से पीड़ित व्यक्ति एकमात्र ज्ञात स्रोत है।
• श्वसन पथ विशेषकर नाक, संक्रामक व्यक्तियों के शरीर से जीव के बाहर निकलने का प्रमुख मार्ग है।
• रोग का कारण अनुपचारित मामलों के साथ नज़दीकी और लगातार संपर्क के दौरान नाक व मुंह से उत्सर्जित बूंदों द्वारा शरीर में श्वसन प्रणाली के माध्यम से जीव का प्रवेश होता है।
• शरीर में प्रवेश करने के बाद जीव तंत्रिका और त्वचा में चला जाता है।
• यदि शुरुआती चरणों में रोग का पता नहीं लगाया जाता है, तो इससे नसों को नुकसान हो सकता है तथा यह स्थायी विकलांगता उत्पन्न करता है।
कुष्ठ रोग के संकेत और लक्षण क्या हैं?
यदि किसी व्यक्ति में निम्नलिखित संकेत व लक्षण दिखाई देते है, तो कुष्ठ रोग हो सकता है:
• सांवली-चमड़ी वाले लोगों की त्वचा पर हल्के पैच हो सकते हैं, जबकि सफ़ेद, गोरी-चमड़ी के लोगों में गहरे या लाल रंग के पैच हो सकते है।
• त्वचा के चकत्तों/धब्बों में संवेदना की कमी या समाप्ति।
• हाथ या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी।
• हाथों, पैरों या पलकों की कमजोरी।
• दर्दनाक नसें।
• लोलकी या चेहरे में सूजन या गांठ।
• दर्दरहित घाव या हाथ या पैर जल जाते है।


कुष्ठ रोग के संदेहास्पद के मामलों में क्या किया जाना चाहिए?
कुष्ठ रोग के संकेत एवं लक्षणों की उपस्थिति के मामले में कृपया अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करंक या नज़दीकी अस्पताल में जाएं। कुष्ठ रोग का उपचार भारत के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों (डिस्पेंसरी) में नि:शुल्क उपलब्ध है।
 
एमडीटी (बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी) क्या है?

एमडीटी विभिन्न दवाओं का संयोजन है, क्योंकि किसी एकल एंटीलेप्रोसी दवा के साथ कभी भी कुष्ठ रोग का उपचार नहीं किया जाना चाहिए।
•    किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग के टाईप के अनुसार प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा प्रस्तावित एमडीटी का पूरा कोर्स करना चाहिए।
•    दूरदराज के क्षेत्रों सहित अधिकांश सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में एमडीटी नि:शुल्क उपलब्ध है।

क्या खाएं -
- कुष्ठ रोगी को प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
- नीम के पत्तों को जल में उबालकर स्नान करें।
- आंवले का प्रतिदिन तीन ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।
- फूलगोभी की सब्जी और अंकुरित चने प्रतिदिन खाएं।
- जिमीकंद की सब्जी, नीम की पकी निबौली भी खाएं।

क्या न खाएं -
- फास्ट फू ड व चाइनीज व्यंजनों का सेवन न करें।
- चाय, कॉफी व शराब बहुत हानि पहुंचाती है।
- तेल, घी, मक्खन आदि से बनी चीजें न खाएं।
- मांस, मछली व अंडे के साथ साथ तेज मिर्च मसालों से बनी तली हुई चीजों का सेवन न करें।

दूर करें भ्रांतियां -
- यह रोग असाध्य नहीं है
- कुष्ठ रोग अनुवांशिक नहीं है
- पिछले जन्म के पापों का फल नहीं है
- यह रोगी को छूने से नहीं फैलता है

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) -
वर्ष 1955 में सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया था। वर्ष 1982 से मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत के बाद, देश से रोग का उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1983 में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के रूप में बदल दिया गया।
वर्ष 2005 में हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग का उन्मूलन किया गया है; लेकिन अब भी विश्व के लगभग 57% कुष्ठ रोगी भारत में रहते हैं। कुल 682 जिलों में से 554 जिलों (81.23%) ने मार्च 2017 तक उन्मूलन प्राप्त कर लिया हैं।
रोग के मामले की शीघ्र जानकारी और उपचार रोग उन्मूलन की कुंजी है, क्योंकि समुदाय में जल्दी कुष्ठ रोगियों का पता लगाने से समुदाय में संक्रमण के स्रोतों मं  कमी आएगी और रोग का संचारण भी रूकेगा। आशा रोग के मामलों का पता लगाने में मदद कर रही है और सामुदायिक स्तर पर संपूर्ण उपचार भी सुनिश्चित कर रही है; इसके लिए उसे प्रोत्साहन भुगतान दिया जा रहा है।

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