ऐतिहासिक दृष्टिकोणः राजनीतिक स्वतंत्रता और रंगभेद -
स्वतंत्र भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी सदस्यता को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने की एक महत्वपूर्ण गारंटी के रूप में देखा। भारत, संयुक्त राष्ट्र के उपनिवेशवाद और रंगभेद के विरूद्ध संघर्ष के अशांत दौर में सबसे आगे रहा। भारत औपनिवेशिक देशों और कौमों को आजादी दिए जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक घोषणा 1960 का सह-प्रायोजक था जो उपनिवेशवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों को बिना शर्त समाप्त किए जाने की आवश्यकता की घोषणा करती है। भारत राजनीतिक स्वतंत्रता समिति (24 की समिति) का पहला अध्यक्ष भी निर्वाचित हुआ था जहां उपनिवेशवाद की समाप्ति के लिए उसके अनवरत प्रयास रिकार्ड पर हैं।
भारत यह सुनिश्चित करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग कर रहा है कि सतत् विकास पर चर्चा गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित रहे और कि 2015 के पश्चात विकास की कार्यसूची को मूर्त रूप प्रदान करने से संबंधित वैश्विक संवाद में आरआईओ सिद्धांत अटल रहें। भारत समान और साझा किंतु अलग-अलग जिम्मेदारी के सिद्धांतों के आधार पर एक व्यापक, न्यायोचित और संतुलित परिणाम के जरिए जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सभी प्रकार के आतंकवाद के प्रति 'पूर्ण असहिष्णुता' के दृष्टिकोण का समर्थन करता रहा है। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक कानूनी रूपरेखा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत ने 1996 में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के संबंध में व्यापक कन्वेंशन का मसौदा तैयार करने की पहल की थी और उसे शीघ्र अति शीघ्र पारित किए जाने के लिए कार्य कर रहा है। शांति स्थापना और निरस्त्रीकरण, संयुक्त राष्ट्र के अत्यधिक विशेष प्रयासों में शामिल है क्योंकि वे इस दुनिया को बेहतर स्थान बनाने के लिए संगठन के आश्वासन और सहज संभावना को साकार करते हैं। 43 शांति स्थापना अभियानों में भागीदारी के साथ भारत का संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना अभियानों में भागीदारी का गौरवशाली इतिहास रहा है और यह 1950 के दशक से ही इन अभियानों में शामिल होता रहा है।
भारत, परमाणु हथियारों से संपन्न एक मात्र ऐसा राष्ट्र है जो परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने और उन्हें समाप्त करने के लिए परमाणु अस्त्र कन्वेंशन की स्पष्ट रूप से मांग करता रहा है। भारत समयबद्ध, सार्वभौमिक, निष्पक्ष, चरणबद्ध और सत्यापन योग्य रूप में परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है जैसा कि सन् 1998 में आम सभा के निरस्त्रीकरण से संबंधित विशेष अधिवेशन में पेश की गई राजीव गांधी कार्य योजना में प्रतिबिम्बित होता है।
आज भारत स्थायी और अस्थायी दोनों वर्गों में सुरक्षा परिषद के विस्तार के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सुधारों के प्रयासों में सबसे आगे है ताकि वह समकालीन वास्तविकताओं को प्रदर्शित कर सके।
संयुक्त राष्ट्र में भारत -
- भारत 7 बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है - 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-2012,
- भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है,
- भारत ने 1945 में सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में भाग लिया, इसके शिष्टमंडल का नेतृत्व सर सी पी रामास्वामी मुदलियार ने किया,
- भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना संबंधी अभियानों में योगदान करने वाला सबसे बड़ा देश है,
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना से संबंधित 64 अभियानों में से 43 अभियानों में 1,60,000 से अधिक सैनिकों का योगदान किया है,
- संयुक्त राष्ट्र के नीले झंडे के नीचे लड़ते हुए भारतीय सशस्त्र एवं पुलिस बल के 160 से अधिक कार्मिकों ने अपने जीवन की आहुति दी है।
- संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना के लिए चल रहे 14 मिशनों में से 7 मिशनों में भारतीय सशस्त्र बल भाग ले रहा है।
- भारत ने उपनिवेशी देशों एवं लोगों को आजादी प्रदान करने पर 1960 की महत्वपूर्ण घोषणा को सह प्रायोजित किया,
- इस घोषणा के कार्यान्वयन की देखरेख करने के लिए गठित विशेष समिति की सी.एस. झा ने अध्यक्षता की,
- भारत ऐसे देशों में से पहला देश था जिन्होंने 1946 में संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के मुद्दे को उठाया,
- भारत 1965 में अपनाए गए सभी रूपों के नस्लीय भेदभावों के उन्मूलन पर अभिसमय पर सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाले देशों में से एक था,
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण एवं अप्रसार के मुद्दे को आगे बढ़ाया है,
- यह परमाणु हथियारों से लैस एकमात्र ऐसा देश है जिसने परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन की मांग की है,
- 1996 में 20 अन्य देशों के साथ भारत ने परमाणु हथियारों के चरणबद्ध उन्मूलन के लिए कार्य योजना प्रस्तुत किया (1996 - 2020),
- भारत ने विकासशील देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र के ओ डी ए अनुमानों का सुनिश्चय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी,
- भारत ने ब्राजील, जापान और जर्मनी के साथ मिलकर 2005 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों की मांग करने के लिए जी-4 का गठन किया,
- 1996 में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक प्रारूप व्यापक अभिसमय (सी सी आई टी) प्रस्तुत किया,
- भारत ने 2005 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि का गठन किया तथा इसमें योगदान करने वाले प्रमुख देशों में से एक है,
भारत और संयुक्त राष्ट्र के संबंध में और जानकारी के लिए कृपया Click - >> www.un.int/india
साभार - विदेश मंत्रालय
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें