सम संख्याऐं -
वे संख्याऐं जिनमें दो का पुरा पुरा भाग जाता है।
उदा – 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16,
20, 150, 200, 356………..सम अनन्त
विषम संख्याऐं
-
वह संख्या जिसमें 2 का पुरा पुरा भाग नही जाये ।
उदाः- 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17,
19, 21, 25……विषम अनन्त ।
प्राकृत
संख्याऐं -
1. ये संख्याऐं जो एक से लेकर अनन्त तक लिखी जाती है। उदा:- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7,………. अनन्त ।
2. इन्हे N से दर्षाते
है।
3. सबसे छोटी प्राकृत संख्या धनात्मक 1 है।
4. सबसे बड़ी प्राकृत संख्या धनात्मक अनन्त है।
पूर्ण
संख्याऐं -
1. वे संख्याऐं जो 0 से लेकर अनन्त तक लिखी जाती है। जैसे:- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7,………….अनन्त ।
2. इन्हे W से दर्शाते
है।
3. सबसे छोटी संख्या 0 है।
4. सबसे बड़ी पूर्ण संख्या अनन्त है।
नोट :- पूर्ण संख्याओं का क्षेत्र व्यापक होता है अतः एक
प्राकृत संख्या सदैव पूर्ण संख्या होगी। लेकिन
एक पूर्ण संख्या प्राकृत संख्या हो यह आवष्यक नही है।
परिमेय
संख्याऐं -
वास्तविक संख्याऐं जिनको p/q के रूप में लिखा जाये वे परिमेय संख्याऐं होती है जहाँ Q का मान किभी भी 0
या 0 के बराबर
नही होगा अर्थात् Q ≠ 0 होगा ।
उदा:- 8/11, 75/89
अपरिमेय
संख्याऐं -
जब संख्याओं को p/q के रूप में नहीं लिखा जा सके अपरिमेय संख्याऐं होती है। जहाँ Q कभी भी 0 के बराबर
नहीं होगा । उदा:- √5, √8,
√15, √7/4, ά, β. γ, δ, 10, 15 आदि ।
नोट 2:- अपरिमेय संख्याऐं कभी भी पूर्ण वर्ग नहीं होती।
नोट 3:- दो परिमेय संख्याओं का योग = परिमेय संख्या होगा ।
नोट 4:- दो परिमेय संख्याओं की गुणा = परिमेय संख्या होगी ।
नोट 5:- एक परिमेय एवं एक अपरिमेय का योग = अपरिमेय संख्या होगी ।
नोट 6:- एक परिमेय एवं एक अपरिमेय की गुणा = अपरिमेय संख्या होगी ।
भाज्य
संख्याऐं -
वे संख्याऐं जिसमें स्वयं के अलावा किसी एक या अधिक अन्य संख्या
का भी पूरा-पूरा भाग जाता है।
अभाज्य
संख्याऐं -
वे संख्याऐं जिनमें स्वयं के अलावा अन्य किसी संख्या का
पूरा-पूरा भाग नही जाता है।
उदा. – 2, 3, 5,
7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 37, 41, 43, 47, 53, 59, 61, 67, 71, 73,
79, आदि ।
नोट 7 – प्रथम अभाज्य संख्या 2 है।
नोट 8 – केवल प्रथम अभाज्य सम है।
नोट 9 – प्रथम अभाज्य संख्या के अलावा अन्य सभी अभाज्य संख्या विषम है।
नोट 10 – संख्या एक न तो भाज्य है न ही अभाज्य है।
सह अभाज्य
संख्याऐं -
1. ऐसी संख्याओं का जोड़ा जिनमें उभनिष्ठ गुणनखड न हो अर्थात्
संख्याओं का ऐसा जोड़ा जिनको किसी एक
ही संख्या से विभाजित नही किया जा सकता ।
2. सह अभाज्य में 1 संख्या भाज्य भी हो सकती है।
3. उभनिष्ठ गुणनखण्ड में 1 नही माना जाता है
उदा.- 3, 8 5, 16 7, 20 आदि जोड़े सहअभाज्य है।
पूर्णाक
संख्याऐं -
1. संख्याओं का वह समूह जो 0 प्रारम्भ होकर दोनों तरफ अर्थात् धनात्मक एवं ऋणात्मक रूप से
गणना किया जा सके पूर्ण संख्याऐं होती है । उदा. – ( अनन्त…….., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,
……..अनन्त)
2. इन्हे I से दर्शाते
है।