हैवलॉक द्वीप अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के उत्तर-पूर्व में लगभग 38 कि.मी. दूर स्थित है। यह द्वीप अनछुए समुद्र तट और अप्रदूषित पर्यावरण की गोद में आरामदेह रिसॉर्ट उपलब्ध कराता है। राधानगर समुद्र तट पर शिविर लगाने की भी सुविधा उपलब्ध है। पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग का अतिथिगृह 'डालफिन रिसॉर्ट' उपलब्ध है।
- हैवलॉक द्वीप सबसे अधिक पर्यटकों के आवागमन वाला और सबसे लोकप्रिय द्वीप है। इस द्वीप का समुद्र तट एशिया में सबसे सुंदर माना गया है। यहाँ की ख़ासियत है की समुद्र तट के किनारे-किनारे मैनग्रोव वृक्ष की ख़ूबसूरत कतारें है। एशिया का द्वितीय सबसे लम्बा और मशहूर राधानगर समुद्र तट भी यहीं है। यहाँ के पवित्र, अछूते तट अत्यंत सुंदर हैं और सभी प्रकृति प्रेमियों एवं उत्साही व्यक्तियों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। हैवलॉक द्वीप की रेत की ढलानें ज़्यादातर समकोण पर मिलती है, इससे मिलन बिंदु पर ज़्यादा पानी जमा होने की सम्भावना होती है। द्वीप की उष्णकटिबंधी हरियाली शहरी जीवन की भाग दौड़ से दूर एक पृथक आवास प्रदान करती है।
सागर द्वीप गंगा के डेल्टा का सुदूर पश्चिमी द्वीप है, जो पश्चिम बंगाल राज्य, पूर्वोत्तर भारत में हुगली नदी के मुहाने पर स्थित है, जिसकी एक शाखा इसे मुख्य भूमि से पूर्व दिशा में पृथक करती है। यह द्वीप ऐसे बिंदु पर स्थित है, जहां कभी गंगा 'बंगाल की खाड़ी' में मिलती थी। 'गंगासागर' के नाम से विख्यात इस स्थान को विशेष तौर पर पवित्र माना जाता है। यह एक प्रसिद्धहिन्दू तीर्थ केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष तीन दिवसीय स्नानोत्सव व एक बड़ा मेला आयोजित होता है। सागर द्वीप पर भयंकर चक्रवात आते हैं। इसके दक्षिण-पश्चिम तट पर हुगली नदी में यातायात को निर्देशित करने के लिए एक प्रकाश स्तंभ स्थापित है।
भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के तट पर बसा एक द्वीप है, भारत का एकमात्र उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र जो की सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (जिसे SHAR के रूप में भी जाना जाता है) में है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा प्रयोग किया जाता है जहाँ बहुचरण रॉकेट जैसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान और भूतुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण यान न का उपयोग कर उपग्रहों के प्रक्षेपण किया जाता है!
श्रीहरिकोटा चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) से 80 कि.मी. की दूरी पर उत्तर में, आन्ध्र प्रदेश के पूर्वी तट के नेल्लोर ज़िले में, पश्चिम में बकिंगघम कैनाल व पूर्व में बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है। श्रीहरिकोटा पुलिकट झील के निकट स्थित, 'इसरो' (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का प्रमुख प्रमोचन केन्द्र है। यह ठोस रॉकेट प्रणोदकों का वृहत पैमाने पर उत्पादन व चरणीय रॉकेटों में ठोस ईधन की भू-जांच करने वाला केन्द्र है। हाल ही में कार्टोसैट-2 का प्रमोचन श्रीहरिकोटा से किया गया।
सालसेट भारत के पश्चिमी तट पर मुम्बई के निकट स्थित एक द्वीप है। सालसेट को लेकर मराठों एवं पुर्तग़ालियों के बीच संघर्ष मार्च, 1739 में हुआ। इस समय मराठा शक्ति पेशवा बाजीराव के नेतृत्व में एक प्रगतिशील शक्ति थी। लेकिन मराठों को सालसेट के द्वीप और बेसिन लेने में पसीने आ गये। इस कार्य को पूर्ण किया, बाजीराव के भाई, चिमनाजी ने। बम्बई के अंग्रेज़ इस घटना से घबरा गये। अतः उन्होंने जुलाई, 1739 में मराठों से संधि कर ली और मराठों ने अंग्रेज़ों को दक्खिन में व्यापार करने की छूट दे दी।
सप्तद्वीप
सप्तद्वीप उन सात पौराणिक द्वीपों को कहा जाता है, जिनमें पृथ्वी बँटी हुई है। सप्तद्वीपों के निम्नलिखित नाम बताये गये हैं -
- जम्बू द्वीप
- प्लक्ष द्वीप
- शाल्मल द्वीप
- कुश द्वीप
- क्रौंच द्वीप
- शाक द्वीप
- पुष्कर द्वीप
शाल्मल द्वीप
शाल्मल द्वीप पौराणिक भूगोल की संकल्पना के अनुसार पृथ्वी के सप्तद्वीपों में से एक है। शाल्मल द्वीप के सात वर्ष - श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस और सुप्रभ माने गये हैं। इक्षुरस का समुद्र इसको परिवृत करता है। इसके सात पर्वत हैं - कुमुद, उन्नत, बलाहक, द्रोणाचल, कंक, महिष, कुकुद्मान। इस की सात ही नदियाँ, जिनके नाम हैं- योनि, तोया, वितृष्णा, चंद्रा, मुक्ता, विमोचनी और निवृति। इसमें कपिल, अरुण, पीत और कृष्ण वर्ण के लोग रहते हैं। शाल्मलि के एक महान वृक्ष के यहाँ स्थित होने के कारण इस महाद्वीप को शाल्मल कहा जाता है! शाल्मल को महाभारत में शाल्मलि कहा गया है । श्री नंदलाल डे के अनुसार यह असीरिया या चाल्डिया है।
सिंक द्वीप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में राजधानी पोर्ट ब्लेयर से कुछ दूरी पर स्थित है। यह जलगत प्रवाल उद्यान का भण्डार और अप्रदूषित समुद्री तट है, विशेषकर दो द्वीपों को जोड़ती यहाँ की रेत की पट्टी बड़ी ही मनमोहक है। स्कूबा डाईविंग, तैराकी, फ़िशिंग और शिविर आदि के लिए यह द्वीप सर्वोत्तम स्थान है। एक पिकनिक स्पॉट के रूप में यह स्थान बहुत प्रसिद्ध है। सिंक द्वीप सबसे बेहतरीन डाईव स्थल है। यहाँ का पानी बहुत स्वच्छ है, जिसमें 80 फीट तक स्पष्ट देखा जा सकता है। गहरे डाइव के द्वारा समुद्री जीवन की विविधता इस द्वीप में देखी जा सकती है, जिसमें काले प्रवाल शार्क मछलियों को देखना डाईवरों को अद्भूत अनुभव प्रदान करता है। यहाँ के नार्थ प्वाइंट स्थल पर मुख्य आकर्षण स्पोंज्स छोटे प्रवाल तथा मछलियों की विविधताएँ हैं। सिंक द्वीप में साउथ ईस्ट रीफ़ नौसिखियों के लिए एक अच्छा स्थल है। इस साउथ ईस्ट भाग में सख्त और कोमल प्रवाल है और ये चट्टान पर लगभग 16 मी. (53 फीट) तक बहुत घने हैं।
विष्णुपुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से किया था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। प्रियव्रत के पुत्र मेधादिति ने इस द्वीप को सात वर्षों, देशों में विभाजित करके अपने सात पुत्रों में बाँट दिया था। इन वर्षों के सीमा रूप ईशान, उरु, श्रृंग, बलभद्र, शतकेसर, देवपालन, महानश आदि पर्वत हैं। यह जम्बूद्वीप से दुगुना और क्षीर सागर से घिरा है। यहाँ मेरु, मलय, जलधार, रैवतक, श्याम, दुर्गशैल तथा केशरी नामक मणिविभूषित विस्तृत पर्वत हैं। पुण्यतोया गंगा, कावेरका, महानदी, मणिजला, इक्षुवर्धनिका नदियाँ हैं। लोकसम्मत-मग, मशक, मानक, मंदक चार जनपद हैं। यहाँ मृत्यु भय नहीं है। दुर्भिक्ष नहीं पड़ता। यहाँ तेजस्वी, क्षमाशील लोग हैं। यहाँ सिद्ध, चारण और देवगणों का वास है। एन.एल. डे ने इसे शकदेश बताया है, जिसमें तुर्किस्तान सम्मिलित है। ग्रीक भूवेत्ताओं ने इसे समरकंद और बुखारा के मध्य बताया है।
यह द्वीप भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंदमान एवं निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर यहां किसी जमाने में गुलाम भारत से लाए गए बंदियों को पोर्ट ब्लेयर के पास वाइपर द्वीप पर उतारा जाता था। अब यह द्वीप एक पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। यहां के टूटे-फूटे फांसी के फंदे निर्मम अतीत के साक्षी बनकर खड़े हैं।
यहां पर इस द्वीप की सबसे पहली अंग्रेजों द्वारा बनाई गई जेल थी। इसके ऊपर ही तब का बना फांसी घर भी है। यहीं पर शेर अली को भी फांसी दी गई थी, जिसने 1872 में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड मेयो की हत्या की थी। वाइपर द्वीप का नामकरण उस जहाज़ के नाम पर पड़ा, जिसमें सवार होकर ले. आर्किबेल्ड ब्लेयर यहाँ पर अंडमान में नौसेना की बुनियाद स्थापित करने की खोज में आया था। माना जाता है कि यह जहाज़ इसी द्वीप के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे इसका नामकरण उसी जहाज़ के नाम पर कर दिया गया।
शिवसमुद्रम कर्नाटक के मैसूर में स्थित है। सोमनाथपुर से लगभग 17 मील की दूरी पर कावेरी की दो शाखाओं के मध्य में बसा यह छोटा-सा द्वीपनगर है। 'गगनचक्की' और 'बराचक्की' नामक दो झरने द्वीप के निकट प्रकृति की रम्य छटा उपस्थित करते हैं। शिव और विष्णु के दो विराटकाय और भव्य मंदिर इस स्थान के मुख्य स्मारक हैं। शिवसमुद्रम एक प्राचीन स्थान है। यह मैसूर नगर से क़रीब 56 किलोमीटर उत्तर-पूरब में कावेरी नदी के दोआब में बसा है। इस स्थान पर कावेरी का जल, पहाड़ की बनावट के कारण, विशाल झील की तरह दिखाई देता है।
इसी झील से थोड़ी दूर आगे कावेरी तीन सौ अस्सी फुट की ऊंचाई से जल-प्रपात के रूप में गिरती है। कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंटकर फिर से एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बन गए हैं। ये द्वीप हैं- 'आदिरंगम', 'शिवसमुद्रम' तथा 'श्रीरंगम'। सन 1902 में भारत की सबसे पहली जलविद्युत परियोजना भी शिवसमुद्रम में ही स्थापित की गयी थी। भारतीय इतिहास में दक्षिण की विजय के समय राजा कृष्णदेव राय ने शिवसमुद्रम के युद्ध में ही कावेरी के प्रवाह को परिवर्तित करके अपूर्व रण-कौशल का परिचय दिया था और उस अजेय जल दुर्ग को जीत लिया था।
रेड स्किन द्वीप अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित एक द्वीप है। रेड स्किन द्वीप को रेड स्की द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के स्वच्छ निर्मल पानी का सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेता है। रेड स्किन द्वीप में कई बार तेरती हुई डाल्फिन मछलियों के झुंड देखे जा सकते हैं। शीशे की तरह साफ़ पानी के नीचे जलीय पेड़-पौधे व रंगीन मछलियों को तेरते हुए देखे जा सकता है। रेड स्किन द्वीप में स्कूबा डाइविंग के अलावा स्कीइंग, सेलिंग, पैरा सेलिंग, विंड सर्फिंग, स्नॉर्केलिंग और मछलियों के शिकार जैसे रोमांचक खेलों का आनंद भी ले सकते हैं।
रॉस द्वीप
रॉस द्वीप अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के निकट स्थित एक द्वीप है| यह द्वीप ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है। रॉस द्वीप200 एकड़ में फैला हुआ है। फीनिक्स उपसागर से नाव के माध्यम से चंद मिनटों में रॉस द्वीप पहुंचा जा सकता है। सुबह के समय यह द्वीप पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। यह द्वीप 1858-1941 तक अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी भी रहा, पर जापानियों ने इस पर कब्ज़ा करने के बाद इसे ग्रेट अंडमानीज की स्थली होने के कारण इसे 'पीपुल ऑफ़ वारष् साइट' में तब्दील कर दिया। द्वीप अब ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ अभी भी चर्च और चीफ कमिश्नर के बंगले के अवशेष देखे जा सकते हैं। सुबह के समय रॉस द्वीप पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। द्वीप में समुद्रिका म्यूजियम का भी ख़ासा प्रभाव है। भारतीय नौसेना द्वारा संचालित यह म्यूजियम अंडमान के हर पहलू को क़रीब से दिखाता है। अंग्रेज़ी शासन काल के दौरान अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का मुख्यालय रॉस द्वीप में था। अंग्रेज़ी शासन काल के दौरान इसे 'पूरब का पेरिस' कहते थे, लेकिन 1941 में आए भूकंप ने इसे बुरी तरह उजाड़ दिया। अब यहाँ कुछ अवशेषही बचे हैं, लेकिन पर्यटकों की दिलचस्पी इनमें भी रहती है।
वरुणद्वीप का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है! महाभारत के उपरोक्त उल्लेख के अनुसार 'वारुण' (या वरुण) द्वीप को अन्य द्वीपों के साथ, शक्तिशाली सहस्त्रबाहु ने जीत लिया था। यह द्वीप संभवतः बोर्नियो (इंडोनेशिया) है। 'ताम्रद्वीप' लंका का ही नाम है। बोर्नियों का एक अन्य नाम संभवत: 'बर्हिण' भी था। 'मार्कण्डेय पुराण' में वारुण के साथ भारत के व्यापार का उल्लेख है।