कार्बनिक रसायन प्रमुख परिभाषा भाग - 9, - Study Search Point

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कार्बनिक रसायन प्रमुख परिभाषा भाग - 9,

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हाइड्रोजनीकरण किसे कह्ते है?
हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation) का अभिप्राय केवल असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों से हाइड्रोजन की क्रिया द्वारा संतृप्त यौगिकों के प्राप्त करने से है। उदाहरण के लिये, हाइड्रोजनीकरण द्वारा एथिलीन अथवा ऐंसेटिलीन से एथेन प्राप्त किया जाता है। मैलिक अम्ल (maleic acid) में हाइड्रोजन के योग से सक्सीनिक अम्ल (succinic acid) का निर्माण हाइड्रोजनीकरण का अच्छा उदाहरण है :
SuccPdH2.png
नवजात अवस्था में हाइड्रोजन कुछ सहज अपचेय यौगिकों के साथ सक्रिय है। इस भाँति कीटोन से द्वितीयक ऐल्कोहॉल तथा नाइट्रो यौगिकों से ऐमीन सुगमता से प्राप्त हो जाते हैं। आजकल यह मान लिया गया है कि कार्बनिक पदार्थों का उत्प्रेरक के प्रभाव से हाइड्रोजन का प्रत्यक्ष संयोजन भी हाइड्रोजनीकरण है। ऐतिहासिक दृष्टि से उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण से हाइड्रोजन (H2) तथा हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) के मिश्रण को प्लैटिनम कालिख पर प्रवाहित कर मेथिलऐमिन सर्वप्रथम प्राप्त किया गया था। पाल सैवैटिये (1854-1941) तथा इनके सहयोगियों के अनुसंधानों से वाष्प अवस्था में हाइड्रोजनीकरण विधि में विशेष प्रगति हुई। सन् 1905 ई. में द्रव अवस्था हाइड्रोजनीकरण सूक्ष्म कणिक धातुओं के उत्प्रेरक उपयोगों के अनुसंधान आरंभ हुए और उसमें विशेष सफलता मिली जिसके फलस्वरूप द्रव अवस्था में हाइड्रोजनीकरण औद्योगिक प्रक्रमों में विशेष रूप से प्रचलित है। बीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजनीकरण विधि में विशेष प्रगति की और उसके फलस्वरूप हमारी जानकारी बहुत बढ़ गई है। स्कीटा तथा इनके सहयोगियों ने निकेल, कोबाल्ट, लोहा, ताम्र और सारे प्लेटिनम वर्ग की धातुओं की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण का विशेष अध्ययन किया।
हाइड्रोजनीकरण में एथिल ऐल्कोहॉल, ऐसीटिक अम्ल, एथिल ऐसीटेड, संतृप्त हाइड्रोकार्बन जैसे हाइड्रोकार्बनों में नार्मल हेक्सेन (n-hexane), डेकालिन और साइक्लोहेक्सेन विलयाकों का प्रयोग अधिकता से होता है।

ऐसीटोन किसे कह्ते है
ऐसीटोन एक रंगहीन, अभिलाक्षणिक गंधवाला, ज्वलनशील द्रव है जो पानी, ईथर और अल्कोहल में मिश्रय है। ऐसीटोन काष्ठ के भंजक आसवन से प्राप्त पाइरोलिग्नियस अम्ल का घटक है। ऐसीटोन का मुख्य उपयोग विलायक़ के रूप में होता है। ऐसीटोन फ़िल्मों, शक्तिशाली विस्फोटकों, आसंजकों, काँच के समान एक प्लास्टिक और ओषधियों के निर्माण में काम आता है। अति शुद्ध ऐसीटोन का उपयोग इलेक्ट्रानिकी उद्योग में विभिन्न पुर्जो को सुखाने और उन्हें साफ़ करने के लिए होता है।

ऑक्साइड किसे कह्ते है?
ऑक्साइड वे रासायनिक यौगिक होते हैं, जिनमें कम से कम एक ऑक्सीजन परमाणु और कम से कम एक अन्य तत्त्व हो। पृथ्वी की सतह का अधिकांश भाग ऑक्साइड से से बना है। तत्त्वों की वायुमें ऑक्सीजन से ऑक्सीकरण अभिक्रिया से ऑक्साइड्स का निर्माण होता है। आक्साइड किसी तत्व के साथ आक्सीजन के यौगिक हैं। ये सर्वत्र बहुतायत से मिलते हैं। हाइड्रोजन का आक्साइड पानी (H2O) पृथ्वी पर बहुत बड़ी मात्रा में है। इसके अतिरिक्त हवा में कई प्रकार के गैसीय आक्साइड हैं, जैसे कार्बन डाइ आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड आदि। खनिजों, चट्टानों और धरती की ऊपरी तह में भी विभिन्न आक्साइड हैं। आक्सीजन कुछ तत्वों को छोड़कर लगभग सभी तत्वों से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष क्रिया करता है। इससे अनेक आक्साइड उपलब्ध हैं।
रासायनिक गुण के विचार से आक्साइड निम्नांकिंत वर्गों में विभक्त किए जा सकते हैं : -

अम्लीय आक्साइड

ये पानी से मिलकर अम्ल बनाते हैं अथवा क्षार या क्षारीय आक्साइड के लवण; जैसे कार्बन डाइ आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड। कुछ आक्साइड मिश्रित ऐनहाइड्राइड होते हैं, जैसे नाइट्रोजन पराक्साइड पानी के साथ नाइट्रस और नाइट्रिक अम्ल दोनों बनाता है।

क्षारीय आक्साइड

ये पानी से मिलकर क्षार बनाते हैं अथवा अम्ल या अम्लीय आक्साइड से लवण; जैसे सोडियम, पोटैशियम, कैलिशयम के आक्साड।

उदासीन आक्साइड

इनकी क्रिया से न लवण ही बनता है और न क्षार अथवा अम्ल; जैसे नाइट्रस आक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड। वैसे तो नाइट्रस आक्साइड हाइपोनाइट्रस अम्ल का ऐनहाइड्राइड है, परंतु पानी से मिलकर अम्ल नहीं बनाता।

उभयधर्मी (ऐंफोटरिक) आक्साइड

ये अम्ल से क्षारीय आक्साइड के सदृश तथा क्षार से अम्लीय आक्साइड के सदृश क्रिया करते हैं, जैसे ज़िंक आक्साइड अम्ल तथा क्षार दोनों से लवण देता है।

पराक्साइड

इनमें साधारण से अधिक आक्सीजन होता है। ऐसे (क्षारीय) पराक्साइड पानी अथवा अम्ल से हाइड्रोजन आक्साइड बनाते हैं (जैसे सोडियम या बेरियम पराक्साइड)। इनमें भी दो प्रकार हैं, पहला सुपर आक्साइड तथा दूसरा बहु (पॉली) आक्साइड।

दोहरे या मिश्रित आक्साइड

कुछ धातु के ऐसे दो आक्साइड, जिनमें से एक में आक्सीजन की मात्रा कम है तथा दूसरी में अधिक, मिलकर मिश्रित आक्साइड देते हैं। जैसे FeO तथा Fe2O3
आक्साइड के नामकरण में आक्सीजन की मात्रा के अनुसार मोनो (एक), डाई (द्वि), सेस्क्वी (अध्यर्द्ध) इत्यादि का प्रयोग होता है। आक्साइड़ों का उपयोग बहुत तरह के रासायनिक यौगिकों के बनाने में है। कई प्रकार के उत्प्रेरकों (कैटालिस्टों) तथा उनके उन्नायकों (प्रोमोटर्स) में आक्साइड का बहुत उपयोग होता है।
 क्षारीय ऑक्साइड किसे कह्ते है ?
Basic Oxide धात्वीय ऑक्साइड पानी के साथ अभिक्रिया करके जो क्षारक बनाते हैं उन्हें क्षारीय ऑक्साइड कहते हैं। इस प्रकार सोडियम (Na), ऑक्सीजन के साथ जलकर पहले सोडियम ऑकसाइड बनाता है जो पानी से क्रिया करके क्षारीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है।
(4Na) (सोडियम) + (O2) (ऑक्सीजन) = (2Na2O) (सोडियम ऑक्साइड)
(Na2O) (सोडियम ऑक्साइड) + (H2O) (जल) = (4NaOH) (सोडियम हाइड्रॉक्साइड)

ऊर्ध्वपातन किसे कह्ते है?
ऊर्ध्वपातन वह प्रक्रिया है जिसमें कोई पदार्थ ठोस अवस्था से वाष्प अवस्था में बिना तरल अवस्था ग्रहण किए परिवर्तित हो जाता है। जैसे कपूर का ठोस अवस्था से सीधे वाष्प के रूप में उड़ जाना। Sublimation कुछ पदार्थ गर्म करने पर सीधे ठोस रूप से गैस बन जाते हैं, इसे ऊर्ध्वपातन कहते हैं। जैसे- आयोडिन, कपूर आदि। सामान्यतः ठोस पदार्थों को गर्म करने पर वे द्रवअवस्था में परिवर्तित होता हैं और उसके पश्चात्‌ गैसीय अवस्था में, लेकिन कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते हैं; जिन्हें गर्म किये जाने पर वे द्रव अवस्था में आने के बदले सीधे वाष्ण में परिणत हो जाते हैं और वाष्ण को ठंडा किये जाने पर पुनः ठोस अवस्था में हो जाते हैं।
गर्म करने पर
ठोस पदार्थ ←→ वाष्ण
ठंडा करने पर
ऐसे पदार्थों को ऊर्ध्वपातन कहा जाता है व इस प्रकार की क्रिया ऊर्ध्वपातन कहलाती है। रसायन विज्ञान में ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते हैं, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित हो, दूसरा नहीं। ऐसे ठोसों के मिश्रण को गर्म करने पर ऊर्ध्वपातन ठोस सिधे वाष्ण अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इस वाष्ण को अलग ठंडा कर लिया जाता है। इस प्रकार दोनों ठोस पृथक्‌ हो जाते हैं। इस विधि के द्वारा कपूर, नेफ्थलीन, अमोनियम कलोराइड, एंथ्रासीन, बेंज़ोइक अम्ल आदि पदार्थ शुद्ध किये जाते हैं।

 क्षारीय लवण किसे कह्ते है?
Basic Salts जब प्रबल क्षारक और दुर्बल अम्ल की क्रिया होती है तो परिणामस्वरूप प्राप्त लवण में क्षारीयता पाई जाती है। ऐसे लवण क्षारीय लवण कहलाते हैं। सोडियम ऐसीटेट (CH3COONa) क्षारीय लवण का उदहारण है। यह प्रबल क्षारक सोडियम हाइड्रोक्साइड और दुर्बल अम्ल ऐसीटिक ऐसिड की क्रिया से उत्पन्न होता है।
(NaOH) + (CH3COOH) → (CH3COONa) + (H2O)
सोडियम ऐसीटेट का विलयन लाल लिटमस पेपर को नीले रंग में परिवर्तित कर देता है। अतः यह एक क्षारीय लवण है। क्षारीय लवण के अन्य उदहारण:-
  1. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)
  2. कैल्सियम हाइड्रोक्सी क्लोराइड (Ca(OH)Cl)
उर्वरक किसे कह्ते है?
उर्वरक (Fertilizers) कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं। पौधे मिट्टी से जड़ों द्वारा एवं ऊपरी छिड़काव करने पर पत्तियों द्वारा उर्वरकों को अवशोषित कर लेते हैं। उर्वरक, पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के साधन हैं लेकिन इनके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हैं। ये लंबे समय तक मिट्टी में बने नहीं रहते हैं। सिंचाई के बाद जल के साथ ये रसायन जमीन के नीचे भौम जलस्तर तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी ये घातक साबित होते हैं। इसलिए उर्वरक के विकल्प के रूप में जैविक खाद का प्रयोग तेजी से लोकप्रीय हो रहा है। भारत में रासायनिक खाद का सर्वाधिक प्रयोग पंजाब में होता है। पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व निम्न है : - 

मुख्य तत्व

पौधों के लिये तीन प्रमुख पोषक तत्व हैं : -
  1. नाइट्रोजन या नत्रजन
  2. फॉस्फोरस
  3. पोटैशियम या पोटाश

द्वितीयक पोषक तत्व

  • कैल्शियम
  • गंधक या सल्फर
  • मैग्नीशियम

सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्युट्रिएन्ट्स)

  1. बोरॉन
  2. क्लोरीन
  3. मैगनीज
  4. लोहा
  5. जस्ता (जिंक)
  6. ताँबा (कॉपर)
  7. मॉलीब्लेडनम्
  8. सेलेनियम (केवल कुछ देशों में)
उदासीन लवण किसे कह्ते है?
Neutral Salts प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक की उदासीनीकरण क्रिया से बनने वाला लवण उदासीन होता है। उदाहरण के लिए, एक प्रबल यानि खतरनाक अम्ल लेते हैं जो अपने की समान प्रबल यानि खतरनाक क्षारक के साथ क्रिया करके खतरों से मुक्त लवण और पानी बनाते हैं।
(HCl) + (NaOH) → (NaCl) + (H2O)
यहाँ सोडियम क्लोराइड (NaCl), जो कि उदासीन लवण है, बनता है जब कि प्रबल अम्ल हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड (HCl) की प्रबल क्षार सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) से उदासीनीकरण क्रिया होती है। सोडियम क्लोराइड का विलयन लाल अथवा नीले लिटमस पेपर का रंग परिवर्तित नहीं करता है। यह उदासीन लवण है। कुछ अन्य उदासीन लवण हैं।
  1. सोडियम सल्फेट (Na2SO4)
  2. कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3)
  3. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)


उदासीन ऑक्साइड किसे कह्ते है?
इनकी क्रिया से न लवण ही बनता है और न क्षार अथवा अम्ल; जैसे नाइट्रस आक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड। वैसे तो नाइट्रस आक्साइड हाइपोनाइट्रस अम्ल का ऐनहाइड्राइड है, परंतु पानी से मिलकर अम्ल नहीं बनाता। पानी भी हाइड्रोजन का एक ऑक्साइड है। जब अधात्विक हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के साथ जलती है तो पानी बनता है। लाल अथवा नीले लिटमस पेपर पर जल की कोई क्रिया नहीं होती है। अतः जन न ही अम्लीय है और न ही क्षारीय। अतः जल उदासीन ऑक्साइड है। कुछ अन्य ऑक्साइड जैसे कार्बन मोनो-ऑक्साइड (CO), नाइट्रिक ऑक्साइड (<NO) आदि भी उदासीन ऑक्साइड होते हैं।


मंड किसे कह्ते है?
मंड (स्टार्च) कैस # 9005-25-8, रासायनिक सूत्र (C6H10O5), एक पॉली सैकेराइडकार्बोहाइड्रेट है, जिसका निर्माण ग्लूकोज मोनोसैकेराइड की इकाइयों की एक बड़ी संख्या के आपस में ग्लाइकोसिडिक बंधों द्वारा जुड़ने के कारण होता है। यह सिर्फ पादपों में पाया जाता है। सभी पादपों के बीजों और फलियों मे मंड अमाइलोज या अमाइलोपेप्सिन के रूप मे उपस्थित होता है। मंड मे पादप की प्रकृति के अनुसार, आमतौर पर 20 से 25 प्रतिशत अमाइलोज और 75 से 80 प्रतिशत अमाइलोपेप्सिन उपस्थित होता हैं। इसे आम भाषा मे मांड (जैसे चावल का मांड) कहा जाता है। जब इसका उपयोग कपडोँ पर किया जाता है तब यह कलफ कहलाता है।

मंड भोजन में

मंड के कुछ अच्छे खाद्य स्रोतों मे अनाज, चावल, आलू, मटर और सेम हैं। खाना पकाने में मंड का उपयोग शोरबे को गाढा़ करने मे किया जाता है। यह एक बेस्वाद और गंध रहित सफेद पाउडर के रूप मे उपलब्ध होता है।

कलफ किसे कहते है?

मंड का एक प्रकार कलफ कहलाता है। कलफ लगा एक कपडा़ एक चिकना और कडा़ महसूस होता है। कलफ के कारण एक व्यक्ति का पसीना और धूल कलफ की परत से चिपक जाते है खासकर के कलाई और गर्दन से सटे कपड़े और कपड़े के रेशे गंदे नहीं होते, धोने पर यह कलफ धुल जाता है, इसे धुलाई के बाद फिर से कपडे़ पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

अपररूप किसे कहते  है?
Allotropy जब एक ही तत्त्व भिन्न-भिन्न रूपों में पाया जाता है तो ये रूप उस तत्त्व के अपररूप कहलाते हैं तथा इस गुण को अपररूपता कहते हैं। हीरा व ग्रेफाइट कार्बन के दो अपररूप हैं। अपररूपों के भौतिक व रासायनिक गुण एक दूसरे से भिन्न होते हैं। हीरा बहुत ही कठोर व कुचालक है जबकि ग्रेफाइट मुलायम व सुचालक पदार्थ हैं।

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