सदिश राशि
जिस भौतिक राशि में मात्रा (परिमाण) तथा दिशा दोनो निहित होते हैं उन्हें सदिश राशि कहते है। सदिश राशियों के उदाहरण हैं - वेग, बल, संवेग इत्यादि। जिन राशियों में सिर्फ परिमाण होता है उन्हें अदिश राशि कहते हैं, जैसे - चाल, दूरी, द्रव्यमान, आयतन इत्यादि। सदिश राशियों को अदिश से अलग समझने का कारण यह है कि हम कभी-कभी किसी राशि की दिशा का ज्ञान करना आवश्यक होता है। जैसे कि जमीन पर रखे बक्से पर बल किस दिशा में लग रहा है - कितना लग रहा है यह स्पष्टतटा नहीं बताता कि बक्सा खिसकेगा या नहीं। अगल हम बल उपर से नीचे की ओर लगाएं तो बक्सा कितना भी बल लगाने से नहीं खिसकेगा। पर यदि हम इसको क्षैतिज रूप से लगाएं तो एक नियत मात्रा के बल के बाद यह खिसकने लगेगा। गणित तथा भौतिक विज्ञान में सदिशों के बहुत उपयोग हैं।
अदिश राशि
Scaler Quanities कुछ भौतिक राशियों जैसे द्रव्यमान, चाल, आयतन आदि को निरूपित करने के लिए, केवल उसके परिमाण की आवश्यकता होती है। इनके निरूपण में दिशा की कोई आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी पिण्ड का द्रव्यमान पाँच किग्रा., वस्तु की चाल दस किलोमीटर प्रति घण्टा आदि। अतः जिन भौतिक राशियों को पूर्णतः निरूपित करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है, दिशा की नहीं, उन्हें अदिश राशियाँ कहते हैं। जैसे—समय, चाल, द्रव्यमान, कार्य, ऊर्जा, कोण, आवेग, आयतन, घनत्त्व,दाब, वैद्युत धारा, ताप, आवृति, विशिष्ट ऊष्मा आदि। जिन राशियों में सिर्फ परिमाण होता है उन्हें अदिश राशि कहते हैं, जैसे - चाल, दूरी, द्रव्यमान, आयतन इत्यादि। जिस भौतिक राशि में मात्रा (परिमाण) तथा दिशा दोनो निहित होते हैं उन्हें सदिश राशि कहते है। सदिश राशियों के उदाहरण हैं - वेग, बल, संवेग इत्यादि।
आवृत्ति
कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है।
एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं।
आवर्त काल = 1 / आवृति
अर्थात, T = 1 / f