मानचित्र कला
- नकशा बनाना
- नाप, कम्पास
- दिक्सूचक
- मापन, पैमाइश करना
- आकाशी मानचित्र
- समोच्च रेखी
- भू- वैज्ञानिक मानचित्र
- आधार मानचित्र
- समोच्च नक्शा
- कार्नो प्रतिचित्र
- बिट प्रतिचित्र प्रोटोकॉल
- खंड प्रतिचित्र सारणी
- नक्शानवीसी
- मानचित्र
पृथ्वी के सतह के किसी भाग के स्थानों, नगरों, देशों, पर्वत, नदी आदि की स्थिति को पैमाने की सहायता से कागज पर लघु रूप में बनाना मानचित्रण कहलाता हैं। मानचित्र दो शब्दों मान और चित्र से मिल कर बना है जिसका अर्थ किसी माप या मूल्य को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना है। जिस प्रकार एक सूक्ष्मदर्शी किसी छोटी वस्तु को बड़ा करके दिखाता है, उसके विपरीत मानचित्र किसी बड़े भूभाग को छोटे रूप में प्रस्तुत करते हैं जिससे एक नजर में भौगोलिक जानकारी और उनके अन्तर्सम्बन्धों की जानकारी मिल सके। मानचित्र को नक्शा भी कहा जाता है। आजकल मानचित्र केवल धरती, या धरती की सतह, या किसी वास्तविक वस्तु तक ही सीमित नहीं हैं। उदाहरण के लिये चन्द्रमा या मंगल ग्रह की सतह का मानचित्र बनाया जा सकता है; किसी विचार या अवधारणा का मानचित्र बनाया जा सकता है; मस्तिष्क का मानचित्रण (जैसे एम आर आई की सहायता से) किया जा रहा है।
भौगोलिक सूचना तंत्र
भौगोलिक सूचना तंत्र
भौगोलिक सूचना तंत्र या भौगोलिक सूचना प्रणाली अथवा संक्षेप में जी॰आई॰एस॰, ( Geographic information system (GIS)) कंप्यूटर हार्डवेयरऔर सॉफ्टवेयर को भौगोलिक सूचना के साथ एकीकृत कर इनके लिए आंकड़े एकत्रण, प्रबंधन, विश्लेषण, संरक्षण और निरूपण की व्यवस्था करता है।
भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली को मुख्यत: तीन तरीकों से देखा जा सकता है।
- डेटाबेस : यह डेटाबेस संसार का अनन्य तरीके का डेटाबेस होता है। एक तरह से यह भूज्ञान की सूचना प्रणाली होती है। बुनियादी तौर पर जी॰आई॰एस॰ प्रणाली मुख्यत: संरचनात्मक डाटाबेस पर आधारित होती है, जो कि विश्व के बारे में भौगोलिक सूचकों के आधार पर बताती है।
- मानचित्र : यह ऐसे मानचित्रों का समूह होता है जो पृथ्वी की सतह सबंधी बातें विस्तार से बताते है। यह डेटाबेस के लिये इंटरफेस का कार्य भी करते हैं और इनके जरिये स्थानिक पृच्छा (spatial query) की जा सकती है।
- प्रतिरूप : यह सूचना परिवर्तन उपकरणों का समूह होता है जिसके माध्यम से वर्तमान डाटाबेस द्वारा नया डाटाबेस बनाया जाता है।
- भूसूचनाविज्ञान
भूसूचनाविज्ञान अथवा भू सूचना विज्ञान एक नवीन विज्ञान है जो सूचनाविज्ञान की अवसंरचना और तकनीकों का प्रयोग भौगोलिक सूचनाओं और स्थानिक आँकड़ों के प्रबंधन और विश्लेषण द्वारा भूगोल और अन्य भूवैज्ञानिक विषयों की समस्याओं के समाधान हेतु करता है। वस्तुतः यह सुदूर संवेदन, भौगोलिक सूचना तंत्र, भूमिति विज्ञान, भूसांख्यिकी इत्यादि नवीन शाखाओं का समेकित रूप है।
सुदूर संवेदन
मानचित्रकला
मानचित्र तथा विभिन्न संबंधित उपकरणों की रचना, इनके सिद्धांतों और विधियों का ज्ञान एवं अध्ययन मानचित्रकला (Cartography) कहलाता है। मानचित्र के अतिरिक्त तथ्य प्रदर्शन के लिये विविध प्रकार के अन्य उपकरण, जैसे उच्चावचन मॉडल, गोलक, मानारेख (cartograms) आदि भी बनाए जाते हैं। मानचित्रकला में विज्ञान, सौंदर्यमीमांसा तथा तकनीक का मिश्रण है। 'कार्टोग्राफी' शब्द ग्रीक Χάρτης, chartes or charax = कागज तथा graphein = 'लिखना' से बना है।
भूसांख्यिकीय विधियाँ
भूसांख्यिकी भूगोल की वह परिवर्धित शाखा है जो भौगोलिक प्रतिरूपों की सांख्यिकीय व्याख्या एक जी आई एस प्लेटफोर्म पर करती है।
भूमिति
ज्यामिति या रेखागणित (en:Geometry) गणित की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। इसमें बिन्दुओं, रेखाओं, तलों और ठोस चीज़ों के गुणस्वभाव, मापन और उनके अन्तरिक्ष में सापेक्षिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है। ज्यामिति, ज्ञान की सबसे प्राचीन शाखाओं में से एक है। ज्यामिति गणित की वह शाखा है जिसमें बिंदुओं, रेखाओं, वक्रों, समतलों इत्यादि का अध्ययन होता है। भूमि के नाप संबंधी कार्यों से इस विज्ञान की उत्पत्ति हुई, इसलिये इस गणित को भूमिति भी कहते हैं। आरंभ में यह अध्ययन रेखाओं तथा रेखाओं से घिरे क्षेत्रों के गुणों तक ही सीमित रहा, जिसके कारण ज्यामिति का नाम रेखागणित भी है।
सर्वेक्षण
- प्रत्याशा सर्वेक्षण
- आर्थिक सर्वेक्षण
- खेत प्रबंध सर्वेक्षण
- भूमिगत जल सर्वेक्षण
- जल सर्वेक्षण
- प्रायोगिक सर्वेक्षण
- ग्राम सर्वेक्षण
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