तारकीय स्पेक्ट्रमों की व्याख्या - Study Search Point

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तारकीय स्पेक्ट्रमों की व्याख्या

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किसी अवशोषण रेखा की तीव्रता परमाणुओं की उस संख्या पर निर्भर करती है जो रेखा का अवशोषण करने में समर्थ है। रेखा की तीव्रता जानने के लिए हमें किसी तत्व के सभी परमाणुओं का ज्ञान होना चाहिए तथा यह भी ज्ञान होना चाहिए कि उसका कितना भाग किसी विशेष रेखा का अवशोषण करने में समर्थ है। बोल्ट्समैन (Boltzmann) के सूत्र (जो ऊष्मागतिक संतुलन को मान लेने पर ही वैध है) से किसी स्तर में परमाणुओं की संख्या और क्षेत्र (ground) में उनकी संख्या का अनुपात स्तर के ताप और उद्दीपन विभव के फलन के रूप में प्राप्त होता है। 1920-21 ई. में साहा ने क्रमबद्ध निबंधों में एक या अधिक बार आयनित परमाणुओं का विभिन्न अचर दशाओं में विकिरण के सुलझाने का प्रथम बार प्रयास किया। साहा ने सिद्धांत रूप से गैसों के आयनन और उद्दीपन को ताप और दबाव के फलन के रूप में ज्ञात किया। उन्होंने व्यक्त किया कि विभिन्न स्पेक्ट्रमी वर्गों के तारों के अवशोषणरेखाओं के स्पेक्ट्रमों में अंतर का मुख्य कारण परिमंडल के ताप में अंतर है। साहा के आयनन समीकरण की परिशुद्ध व्युत्पत्ति आर. एच. फाउलर द्वारा प्रस्तुत की गई जिन्होंने मिल्न के संग स्पेक्ट्रम वर्ग के साथ रेखाशाक्ति के परिवर्तन सिद्धांत को विकसित किया जिससे कई पक्षों में साहा के प्रारंभिक कार्यों में महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तुत हुआ। इस सिद्धांत को सहायता से किसी तत्व की सभी अचर दशाओं में परमाणुओं के वितरण को ताप और इलेक्ट्रान के दबाव के फलन के रूप में ज्ञात किया जा सकता है।

इस प्रकार उष्णतम तारों में धात्विक रेखाएँ नहीं प्रकट होतीं, क्योंकि उच्च ताप पर धातुएँ दोहरी और तेहरी आयनित हो जाती हैं और इन आयनित परमाणुओं की रेखाएँ पाराबैंगनी क्षेत्र में दूरी पर स्थित होती हैं। ठंढे तारों में कोई हीलियम रेखा नहीं दिखाई देती क्योंकि रेखाओं को उत्तेजित करने के लिए ताप पर्याप्त नहीं होता है। फिर यदि हम लगभग समान ताप के दानव (giant) और वामन (Dwart) तारों के स्पेक्ट्रमों की तुलना करें तो हमें कुछ अंतर मिलते हैं जिनकी व्याख्या तारों के परिमंडलों के घनत्वों के अंतर से की जा सकती है। दानव तारों का परिमंडल विरलित और विस्तृत होता है जबकि वामन तारों का परिमंडल हल्का और संपीडित होता है। एक ही ताप के दानव और वामन तारों के स्पेक्ट्रमों में एक ही तत्व के आयनित और उदासीन परमाणुओं की रेखाओं की तुलना करने पर हमें यह ज्ञात होता है कि उदासीन परमाणुओं की रेखाएँ दानव की अपेक्षा वामन में तो अधिक प्रबल होती हैं जब कि आयनित परमाणुओं की रेखाएँ दानव तारे में प्रबल होती हैं। इस प्रकार एक निर्दिष्ट ताप के दानव तारे का स्पेक्ट्रम कुछ उच्च ताप के वामन तारे के लगभग अनुरूप होता है। वामन तारे का उच्च ताप कुछ हद तक दानव तारे के परिमंडल में न्यून घनत्व का पूरक है।
तारों का रासायनिक संघटन
1927 ई. में रसेल ने रोलैंड तीव्रताओं (Rowland intensities) के अंशशोधन (Calibration) द्वारा सूर्य के रासायनिक संघटन को ज्ञात करने का प्रयास किया। पेनेगेपोश्किन ने, जिन्होंने हार्वर्ड वेधशाला के लिए गए वस्तुनिष्ठ प्रिज़्म प्लेट पर साहा के आयनित सिद्धांत और रेखा तीव्रता के दृष्टि अनुमान (eye estimation) का उपयोग किया, यह प्रदर्शित किया कि अधिकांश तारों का रासायनिक संघटन मुख्यत: सूर्य जैसा ही है। उसी समय से परिच्छेदिक (Profile) और वृद्धि के वक्र पर आधारित परिमाणात्मक प्रक्रिया ने रेखातीव्रता और सक्रिय परमाणुओं की संख्या के बीच के संबंधों के गुणात्मक विचारों का स्थान ग्रहण कर लिया। इन दोनों उपगमनों में रेखानिर्माण के निश्चित सिद्धांत निहित हैं। धातुओं की आपेक्षिक प्रचुरता का ज्ञान उतना ही यथार्थ हो सकता है जितना यथार्थ ज्ञान उनके ढ के मानों का (f-values) है और हाइड्रोजन के अनुपात का ज्ञान सूर्य जैसे तारों के लिए भी प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि सतत अवशोषण के रूप में ऋणात्मक हाइड्रोजन आयन ही उत्तरदायी है। हाइड्रोजन और हीलियम की तुलना में ऑक्सीजन समूह, कार्बन, नाइट्रोजन और निऑन इत्यादि की प्रचुरता का ज्ञान उष्ण तारों के आँकड़ों से भी प्राप्त हो सकता है। इन तारों के स्पेक्ट्रमों से, जिनमें हल्के तत्वों की रेखाओं की प्रचुरता होती है, हल्के तत्वों की प्रचुरता भी निर्धारित की जा सकती है।
विश्लेषणों से ज्ञात हुआ कि अधिकांश तारों का संघटन एक सा ही है। अन्य तारों का संघटन भिन्न है। एम (M) वर्ग के तारों में कार्बन की अपेक्षा ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में है जब कि आर (R) और एन (N) वर्ग के तारों में ऑक्सीजन की अपेक्षा कार्बन प्रचुर मात्रा में है। एस (S) वर्ग में जिरकोनिय ऑक्साइड की पट्टियों की प्रमुखता है जबकि एम (M) तारों में टाये (Tio) पट्टियाँ प्रबल हैं। उच्च तापवाले वोल्फ राये तारों के एक वर्ग की विशिष्टता हीलियम कार्बन एव ऑक्सीजन रेखाओं के कारण है और दूसरे वर्ग में हीलियम तथा नाइट्रोजन प्रमुख रूप से पाए जाते हैं परंतु कार्बन निर्बल है। ग्रहीय नीहारिकाएँ और नवतारों का संघटन साधारण तारों के समान ही है। असामान्य संघटन के पदार्थों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विस्तृत खोज की आवश्यकता है। कुछ तारों का संघटन क्यों असाधारण है, विशेषत: जहाँ कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन संबंधित हैं? ऐसे प्रश्नों का उत्तर ब्रह्मांडोत्पत्तिक संबंधी अभिरुचि का है।

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