- बॉक्सर विद्रोह (1898-1900) :-
- चीन में विदेशी शक्तियों के विरुद्ध शान्तुंग प्रदेश से प्रारम्भ हुआ इस आन्दोलन का नेतृत्व ‘समरस मुक्कों का संगठन’ या ‘बॉक्सर दल’ ने किया। इसलिए पश्चिमी विद्वानों द्वारा इसे बॉक्सर विद्रोह नाम दिया गया। चीनी लोग इस विद्रोह को ‘यी हो तुहान’ कहते हैं, जिसका अर्थ होता है – ‘सदाचारिता और तालमेल।’ विदेशियों के विरुद्ध चीन की शाही सरकार द्वारा विरोधियों का बहुत देर से समर्थन करने के कारण यह विद्रोह असफल रहा। इस विद्रोह के विरोध में रूस, इंग्लैण्ड, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और जापान की सम्मिलित सेनाओं ने चीन पर आक्रमण कर दिया। चीन को विदेशी राज्यों के साथ समझौता कर 50 करोड़ रुपया हर्जाना देना स्वीकार करना पड़ा।
- विली-निकी पत्र-व्यवहार (Willy-Nicky correspondence) :-
- 1904 से 1906 के मध्य जर्मन सम्राट विलियम द्वितीय द्वारा रूस के जार निकोलस के साथ किया गया पत्र-व्यवहार, जिसमें जर्मनी का उद्देश्य रूस को फ्रांसीसी पक्ष में जाने से रोकने के स्थान पर अपने पक्ष में जाने से रोकने के स्थान पर अपने पक्ष में मिलाना था।
- माजी:-
- माजी विद्रोह – 1905 से 1907 तक जर्मन पूर्वी अफ्रीका में स्थानीय लोगों द्वारा किया गया विद्रोह, जिसे बड़ी कठिनाई से दबाया गया।
- बाल्कन संघ :-
- 1912 में रूस की प्रेरणा से सर्बिया, बुल्गारिया, यूनान तथा मांटिनेग्रो ने मिलकर बाल्कन संघ का निर्माण किया। इस संघ की स्थापना का उद्देश्य तुर्की साम्राज्य में गैर तुर्की जातियों पर हो रहे अत्याचारों को रोकना था।
- कार्नेबी सूची :-
- प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व फ्रांसीसी सरकार द्वारा तैयार की गई उग्र समाजवादी नेताओं की सूची, जिन्हें यह नाम क्रुप शस्त्र घराने की उत्तराधिकारिणी फ्रॉ बर्था क्रुप फॉन बोहलन के नाम पर पड़ा था।
- श्लीफेन योजना :-
- जर्मन सेना के प्रमुख काउण्ट अल्फ्रेड वॉन श्लीफेन द्वारा 1905 में बनाई गई युद्ध योजना, जिसमें रूस व फ्रांस दोनों के एक साथ युद्ध किया जाना था और बेल्जियम की तटस्थता का उल्लंघन कर पहले फ्रांस पर आक्रमण करने का प्रबन्ध था। जर्मन सरकार द्वारा 1912 में इस योजना को स्वीकार कर लिया गया।
- साइक्स :-
- पीको समझौता (1916) – तुर्की शासन से अरब देशों की आजादी का समर्थन करने का दिखावा करते हुए ब्रिटिश कार्यालय के सर मार्क साइक्स और फ्रांस के जार्जेस पिको के बीच 1916 में हुआ गुप्त समझौता, जिसमें अरब देशों को दोनों शक्तियों के बीच बाँटने की व्यवस्था थी। इसके अनुसार रूस को तुर्की साम्राज्य के दो प्रान्त अर्मीनिया व जार्जिया, फ्रांस को सीरिया एवं एशिया माइनर का भाग देने का निश्चय किया गया।
- बाल्फोर घोषणा (1917) :-
- प्रथम महायुद्ध के समय फिलिस्तीन का विस्तृत भू-भाग अंग्रेजों के अधिकार में आने के बाद यहूदी आन्दोलन के प्रति राजनीतिक स्वार्थों से प्रेरित होकर 2 नवम्बर 1917 को ब्रिटिश विदेशमंत्री लॉर्ड बाल्फोर द्वारा संसद में की गई घोषणा, जिसमें कहा गया था कि ‘ब्रिटिश सरकार फिलिस्तीन में यहूदी जाति के लिए एक राष्ट्रीय निवास स्थान की स्थापना के पक्ष में है और इस उद्देश्य की सिद्धि के लिए भरसक प्रयत्न करेगी।
- एन्तरनेसियोनाल :- अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर संघ का गान।
- तनाका स्मरण :-
- पत्र (1917) – 1927 में जापानी प्रधानमंत्री बैरन तनाका की घोषणा, जिसमें कहा गया था – संसार को विजय करने के लिए पहले एशिया को विजित करना चाहिए, एशिया को विजित करने के लिए पहले चीन पर आधिपत्य करना चाहिए, चीन पर आधिपत्य करने के लिए पहले मंचूरिया को विजित करना चाहिए।
- ड्रांग नाख ऑस्टेन :-
- हिटलर द्वारा ‘पूर्व (रूस) की ओर आगे बढऩे की नीति’।
- राइख (राइक) :-
- शार्लमैन द्वारा आठवीं शताब्दी में स्थापित ‘पवित्र रोमन साम्राज्य’ को प्रथम राइख (साम्राज्य) और उसके पश्चात 1871 से 1918 तक जर्मनी का शासन काल ‘द्वितीय राइख’ माना जाता है। 1933 में प्रधानमंत्री बनने के बाद हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ शब्द का प्रयोग अपने द्वारा स्थापित जर्मन राज्य के लिए किया। हिटलर द्वारा ‘तृतीय राइख’ की स्थापना पोट्सडम के एक चर्च में 5 मार्च 1933 को की गई थी।
- पोलिश गलियारा :-
- वर्साय की संधि के द्वारा नवनिर्मित स्वतंन्त्र पोलैण्ड के राज्य को बाल्टिक सागर के तट पर पहुँचने के लिए जर्मनी के बीचों-बीच कुछ भू-भाग दिया गया था, जिसे ‘पोलिश गलियारा’ कहा जाता है। डेजिंग के जर्मन बन्दरगाह पर इस गलियारे का दरवाजा खुलता था। इसलिये इस जर्मन नगर को जर्मनी से अलग करके राष्ट्रसंघ की प्रशासनिक देखरेख में रखा गया। इससे जर्मनी में असंतोष पैदा हुआ।
- क्रीस्टाल नाख्ट (Kristallnacht – टूटे कांच की रात) :-
- 9 नवम्बर 1938 को हिटलर ने याहूदियों के घरों, दुकानों और उपासना गृहों पर हमला करने का आदेश दिया। इतिहास में यह कार्यवाही ‘क्रीस्टाल नाख्ट’ के नाम से कुख्यात है।
- ब्लैक शर्ट (काली कुर्ती दल) :-
- इटली में फांसीवादी दल के सदस्यों की वेशभूषा।
- रेड शर्ट (लाल कुर्ती दल) :-
- इटली के एकीकरण के दौरान गैरबाल्डी के अनुयायी सैनिकों का दल।
- मीन कैम्फ (मेरा संघर्ष) :-
- 1923 में हिटलर ने जनरल ल्यूडेनफोर्ड के साथ मिलकर म्यूनिख में ‘बीयरहाल विद्रोह’ द्वारा जर्मन गणतंत्र का तख्ता पलटने का असफल प्रयास किया, जिसके कारण हिटलर को पाँच वर्ष की सजा हुई, लेकिन एक वर्ष और दस दिन बाद ही उसे मुक्त कर दिया गया। उसने इस कारावास के समय लान्डेसबर्ग जेल में ‘मीनकैम्फ’ नामक अपनी आत्मकथा का प्रथम खण्ड लिखा, जिसमें उसने अपने दल की नीति, भावी कार्यक्रम एवं विकास का वर्णन किया। इसे ‘नाजी दल की बाइबिल या गीता’ कहा गया।
- हिटलर्स ज्वीट्स बुक :-
- मीन कैम्फ के बाद हिटलर की दूसरी पुस्तक। हिटलर ने नाजी दल की ओर से वाल किश्कर विओबेक्टर (Vol Kischer Beobachter) नामक एक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया था।
- गेस्टापो :-
- हिटलर द्वारा हेनरिख हिमलर के नेतृत्व में स्थापित विशेष पुलिस संगठन, नागरिक पुलिस से स्वतंत्र इस संगठन का मुख्य उद्देश्य राज्य विरोधी लोगों का पता लगाना और उनका दमन करना था।
- गोइबल्स :-
- नाजीदल का प्रचारमंत्री व हिटलर का सहयोगी, जिसका सिद्धान्त था ‘झूठी बात को इतना दोहराओ की वह सत्य ही बन जाए’।
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