हमें उनसे कोई शिकायत नहीं; शायद हमारी ही किस्मत में चाहत नहीं; हमारी तक़दीर को लिख कर तो ऊपर वाला भी मुकर गया; पूछा जो हमने तो बोला यह मेरी लिखावट नहीं। मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी है; ये कागज, ये कलम, ये गजल आख़िरी है; फिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभी; क्योंकि तेरे दर्द का अब ये सितम आख़िरी है। |
हर रोने वाला तो गमगीन नही होता;
एक ही दिल को कोई कब तक तोड़ता रहेगा;
अब कोई जोड़ता भी है तो यकीन नही होता।
कभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रे; वो सब समय जो तेरे ध्यान से नहीं गुज़रे; ये और बात है कि उनके दरमियाँ मैं भी; ये वाकिये किसी तकरीब से नहीं गुज़रे। |
हसीनो ने हसीन बन कर गुनाह किया; औरों को तो ठीक पर हमें भी तबाह किया; अर्ज़ किया जब ग़ज़लों में उनकी बेवफाई का; औरों ने तो ठीक उन्होंने भी वाह-वाह किया।
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