राष्ट्रीय मतदाता दिवस -
भारत में जितने भी चुनाव होते हैं, उनको निष्पक्षता से संपन्न कराने की जिम्मेदारी 'भारत निर्वाचन आयोग' की होती है। 'भारत निर्वाचन आयोग' का गठन भारतीय संविधान के लागू होने से 1 दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हुआ था, क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतांत्रिक देश बनने वाला था और भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था इसलिए 25 जनवरी 1950 को 'भारत निर्वाचन आयोग' गठन हुआ।
दिवस की शुरुवात - चुनाव आयोग के 61वें स्थापना दिवस पर 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस की शुरूआत की थी। इस आयोजन के अवसर पर दो प्रमुख विषय साहिल किये गये थे : -
१- ‘समावेशी और गुणात्मक भागीदारी’ और,
२- ‘कोई मतदाता पीछे न छूटे’।
उद्देश्य - 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' का उद्देश्य लोगों की मतदान में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ मतदाताओं को एक अच्छा साफ-सुथरी छवि का प्रतिनिधि चुनने हेतु मतदान के लिए जागरूक करना और सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार सुनिश्चित करना है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस का विषय (थीम) -
• इस ( 2019 ) साल ये नौवां मतदाता दिवस है इस बार की थीम – ‘कोई भी मतदाता पीछे नहीं छूटना चाहिए, (No Voter to be Left Behind)’ रखी गई है।
अनिवार्य मतदान -
इंस्टीट्यूट आफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्ट्रोरल असिस्टेंस के अनुसार, दुनियाभर के 196 देशों में से 30 देशों में मतदान करना अनिवार्य है। इनमें से बेल्जियम, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अर्जेंटीना, आस्ट्रिया, साइप्रस, पेरू, ग्रीस और बोलीविया प्रमुख हैं।
सुधारों की राह -
तमाम लोकतंत्रों देशो में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था है। कुछ देशों में तो लोग देश में कहीं भी रहकर अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान करने में सक्षम हैं। भारत में ऐसा नहीं है, भारत देश की एक बड़ी आबादी, नौकरी, शिक्षा, शादी आदि के चलते आंतरिक विस्थापन की शिकार है। जिसकारण ये संभव नहीं हो सका है।
मतदान नहीं तो सजा -
मतदान न करने पर सजा देने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बेल्जियम, ब्राजील, चिली, साइप्रस, कांगो, इक्वाडोर, फिजी, पेरू, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, तुर्की, उरुग्वे प्रमुख देश हैं। ‘अनिवार्य मतदान’ नियम लागू वाले 33 देशों में से 19 में इस नियम को तोड़ने पर सजा भी दी जाती है।
सख्त और प्रभावी कानून -
ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील में मतदान न करने पर इससे अनुपस्थित रहने का प्रमाण सहित कारण बताना होता है।
अर्जेंटीना में पुलिस के पास इस बात का प्रमाण पत्र जमा कराना होता है कि मतदान के दिन आप कहां थे।
पेरू और यूनान में मतदान न करने वाले व्यक्ति को कुछ दिन के लिए सार्वजनिक सेवाओं जैसे परिवहन आदि से वंचित कर दिया जाता है। बोलीविया में वोट न देने वाले का तीन महीने का वेतन रोक दिया जाता है।
विशेष फैक्ट -
• अमेरिका में मतदान की तारीख से पहले और बाद में भी वोट दे सकते हैं हालांकि उसके लिए अनुमति लेनी होती है।
• ब्रिटेन में मतदान के समय अनुपस्थित रहने के बारे में पूर्व में ही जानकारी देनी होती है इसके बाद ही अन्य स्थान से मतदान दिया जा सकता है।
• जर्मनी में भी समय के बाद मतदान किया जा सकता है। इसके लिए वोटर कार्ड के साथ नगर निगम में आवेदन करना होता है।
• ऑस्ट्रेलिया का नागरिक मतदान वाले दिन ही जिस राज्य का निवासी है वहां से ऑनलाइन मतदान कर सकता है।
• न्यूजीलैंड में मतदान हो रहे स्थान पर उपस्थित न होने की स्थिति में चुनाव आयोग की टीम लोगों के घर या अस्पताल तक जाती है और लोगों से डाक की तरह मतदान प्राप्त करती है।
• जहां पर भी ‘कंपल्सरी वोटिंग’ प्रावधान लागू है वहां पर इसके अंतर्गत केवल 70 वर्ष तक के लोग आते हैं, उसके ऊपर के लोगों के लिए यह बाध्यता नहीं होती।
• मतदान है "नागरिक कर्तव्य" भारत समेत फिलीपींस, थाइलैंड, वेनेजुएला, लक्जमबर्ग आदि देश ऐसे हैं जहां पर मतदान केवल नागरिक कर्तव्य है, किसी प्रकार की बाध्यता नहीं है।
भारत में जितने भी चुनाव होते हैं, उनको निष्पक्षता से संपन्न कराने की जिम्मेदारी 'भारत निर्वाचन आयोग' की होती है। 'भारत निर्वाचन आयोग' का गठन भारतीय संविधान के लागू होने से 1 दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हुआ था, क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतांत्रिक देश बनने वाला था और भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था इसलिए 25 जनवरी 1950 को 'भारत निर्वाचन आयोग' गठन हुआ।
दिवस की शुरुवात - चुनाव आयोग के 61वें स्थापना दिवस पर 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस की शुरूआत की थी। इस आयोजन के अवसर पर दो प्रमुख विषय साहिल किये गये थे : -
१- ‘समावेशी और गुणात्मक भागीदारी’ और,
२- ‘कोई मतदाता पीछे न छूटे’।
उद्देश्य - 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' का उद्देश्य लोगों की मतदान में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ मतदाताओं को एक अच्छा साफ-सुथरी छवि का प्रतिनिधि चुनने हेतु मतदान के लिए जागरूक करना और सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार सुनिश्चित करना है।
• इस ( 2019 ) साल ये नौवां मतदाता दिवस है इस बार की थीम – ‘कोई भी मतदाता पीछे नहीं छूटना चाहिए, (No Voter to be Left Behind)’ रखी गई है।
अनिवार्य मतदान -
इंस्टीट्यूट आफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्ट्रोरल असिस्टेंस के अनुसार, दुनियाभर के 196 देशों में से 30 देशों में मतदान करना अनिवार्य है। इनमें से बेल्जियम, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अर्जेंटीना, आस्ट्रिया, साइप्रस, पेरू, ग्रीस और बोलीविया प्रमुख हैं।
सुधारों की राह -
तमाम लोकतंत्रों देशो में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था है। कुछ देशों में तो लोग देश में कहीं भी रहकर अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान करने में सक्षम हैं। भारत में ऐसा नहीं है, भारत देश की एक बड़ी आबादी, नौकरी, शिक्षा, शादी आदि के चलते आंतरिक विस्थापन की शिकार है। जिसकारण ये संभव नहीं हो सका है।
मतदान नहीं तो सजा -
मतदान न करने पर सजा देने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बेल्जियम, ब्राजील, चिली, साइप्रस, कांगो, इक्वाडोर, फिजी, पेरू, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, तुर्की, उरुग्वे प्रमुख देश हैं। ‘अनिवार्य मतदान’ नियम लागू वाले 33 देशों में से 19 में इस नियम को तोड़ने पर सजा भी दी जाती है।
सख्त और प्रभावी कानून -
ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील में मतदान न करने पर इससे अनुपस्थित रहने का प्रमाण सहित कारण बताना होता है।
अर्जेंटीना में पुलिस के पास इस बात का प्रमाण पत्र जमा कराना होता है कि मतदान के दिन आप कहां थे।
पेरू और यूनान में मतदान न करने वाले व्यक्ति को कुछ दिन के लिए सार्वजनिक सेवाओं जैसे परिवहन आदि से वंचित कर दिया जाता है। बोलीविया में वोट न देने वाले का तीन महीने का वेतन रोक दिया जाता है।
विशेष फैक्ट -
• अमेरिका में मतदान की तारीख से पहले और बाद में भी वोट दे सकते हैं हालांकि उसके लिए अनुमति लेनी होती है।
• ब्रिटेन में मतदान के समय अनुपस्थित रहने के बारे में पूर्व में ही जानकारी देनी होती है इसके बाद ही अन्य स्थान से मतदान दिया जा सकता है।
• जर्मनी में भी समय के बाद मतदान किया जा सकता है। इसके लिए वोटर कार्ड के साथ नगर निगम में आवेदन करना होता है।
• ऑस्ट्रेलिया का नागरिक मतदान वाले दिन ही जिस राज्य का निवासी है वहां से ऑनलाइन मतदान कर सकता है।
• न्यूजीलैंड में मतदान हो रहे स्थान पर उपस्थित न होने की स्थिति में चुनाव आयोग की टीम लोगों के घर या अस्पताल तक जाती है और लोगों से डाक की तरह मतदान प्राप्त करती है।
• जहां पर भी ‘कंपल्सरी वोटिंग’ प्रावधान लागू है वहां पर इसके अंतर्गत केवल 70 वर्ष तक के लोग आते हैं, उसके ऊपर के लोगों के लिए यह बाध्यता नहीं होती।
• मतदान है "नागरिक कर्तव्य" भारत समेत फिलीपींस, थाइलैंड, वेनेजुएला, लक्जमबर्ग आदि देश ऐसे हैं जहां पर मतदान केवल नागरिक कर्तव्य है, किसी प्रकार की बाध्यता नहीं है।
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