विश्व जल दिवस : 22 मार्च., - Study Search Point

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विश्व जल दिवस : 22 मार्च.,

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22 मार्च विश्व जल दिवस -

तिथि - विश्व जल दिवस (World Water Day) प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। आज विश्व में जलका संकट कोने-कोने में व्याप्त है। लगभग हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। दुनिया औद्योगीकरण की राह पर चल रही है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना कठिन हो रहा है।
शुरुआत - 'विश्व जल दिवस' मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में 22 मार्च को की थी। 'विश्व जल दिवस' की अंतरराष्ट्रीय पहल 'रियो डि जेनेरियो' में 1992 में आयोजित 'पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन' (यूएनसीईडी) में की गई थी, जिस पर सर्वप्रथम 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में 'जल दिवस' के मौके पर जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरुकता फैलाने का कार्य किया गया।
उद्देश्य (संकल्प) - विश्व जल दिवस का दिन जल के महत्व को जानने का और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन है।
इस वर्ष (2019) के विश्व जल दिवस का विषय (थीम) - "किसी को पीछे नहीं छोड़ना" (Leaving no one behind)  => इस थीम के जरिए यह बताया जा रहा है कि साफ और स्वच्छ जल सभी का अधिकार है। इससे कोई भी वंचित नहीं रहना चाहिए, ’जो सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा का केंद्रीय वादा है: सतत विकास के रूप में, सभी को लाभ होना चाहिए।
वर्ष 2017 के विश्व जल दिवस उत्सव का विषय (थीम) - "अपशिष्ट जल" था। 
वर्ष 2018 के लिए विश्व जल दिवस का विषय (थीम) - "जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान" था।
जानना जरुरी -
आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है।  प्रकृति इंसान को जीवनदायी संपदा जल एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, इंसान भी इस चक्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। इस चक्र के थमने का अर्थ है, जीवन का थम जाना।
⭆ यदि हम भारत की बात करें तो देखेंगे कि एक तरफ दिल्ली, मुंबई जैसे महानगर हैं, जहाँ पानी की किल्लत तो है, किंतु फिर भी यहाँ पानी की समस्या विकराल रूप में नहीं है। लेकिन देश के कुछ ऐसे राज्य भी हैं, जहाँ आज भी कितने ही लोग साफ़ पानी के अभाव में या फिर रोग जनित गन्दे पानी से दम तोड़ रहे हैं। राजस्थान, जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज़्यादा कीमती है। पीने का पानी इन इलाकों में बड़ी कठिनाई से मिलता है। कई-कई किलोमीटर चल कर इन प्रदेशों की महिलाएँ पीने का पानी लाती हैं। इनकी ज़िंदगी का एक अहम समय पानी की जद्दोजहद में ही बीत जाता है।
⭆ मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
⭆ दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की ख़राबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
⭆ इज़राइल में औसतन मात्र 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है। इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है। पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
⭆ भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) सफ़र पैदल ही तय करती है। जल जनित रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
जागरुकता की आवश्यकता -
पानी का महत्व भारत के लिए कितना है, यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी पर आधारित कई मुहावरे और लोकोक्तियाँ हैं। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है, उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षा जल का संरक्षण करके जो मिसाल क़ायम की है, उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि पानी की समस्या से हम जीत नहीं सकते। अगर सही ढ़ंग से पानी का सरंक्षण किया जाए और जितना हो सके पानी को बर्बाद करने से रोका जाए तो इस समस्या का समाधान बेहद आसान हो जाएगा। लेकिन इसके लिए जरुरत है- जागरुकता की। एक ऐसी जागरुकता की, जिसमें छोटे से छोटे बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े भी पानी को बचाना अपना धर्म समझें।
2.1 बिलियन लोग घर पर सुरक्षित पानी के बिना रहते हैं।
➥ चार प्राथमिक विद्यालयों में से एक में पीने के पानी की सेवा नहीं है, पुतलियों के साथ असुरक्षित स्रोतों का उपयोग करके या प्यासे रहकर।
➥ असुरक्षित पानी और खराब स्वच्छता से जुड़े दस्त से हर साल पांच साल से कम उम्र के 700 से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है।
➥ वैश्विक स्तर पर, असुरक्षित और असुरक्षित जल स्रोतों का उपयोग करने वाले 80% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
➥ दस में से आठ घरों में पानी के जमाव के साथ जल संग्रहण के लिए महिलाएं और लड़कियां जिम्मेदार हैं।
➥ 68.5 मिलियन लोग जो अपने घरों से भागने के लिए मजबूर हो गए हैं, के लिए सुरक्षित जल सेवाओं तक पहुंचना अत्यधिक समस्याग्रस्त है।
➥ लगभग 159 मिलियन लोग अपने पीने के पानी को तालाबों और नदियों के पानी की सतह से इकट्ठा करते हैं।
लगभग 4 बिलियन लोग - दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई - वर्ष के कम से कम एक महीने के दौरान पानी की गंभीर कमी का अनुभव करते हैं।
➥ गर्भावस्था और प्रसव में जटिलताओं से हर दिन 800 से अधिक महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।
➥ 2030 तक दुनिया भर में 700 मिलियन लोग पानी की तीव्र कमी से विस्थापित हो सकते हैं।
➥ कई अलग-अलग कारणों से लोग सुरक्षित पानी के बिना पीछे रह जाते हैं। निम्नलिखित 'भेदभाव के लिए कुछ आधार' हैं, जिनके कारण कुछ लोगों को विशेष रूप से वंचित होना पड़ता है, जब पानी तक पहुँचना आता है: लिंग और लिंग जाति, जातीयता, धर्म, जन्म, जाति, भाषा और राष्ट्रीयता विकलांगता, आयु और स्वास्थ्य की स्थिति संपत्ति, कार्यकाल, निवास, आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर्यावरणीय क्षरण, जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, संघर्ष, जबरन विस्थापन और प्रवास के प्रवाह जैसे अन्य कारक भी पानी पर प्रभाव के माध्यम से हाशिए के समूहों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

विशेष -
>> पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, जिसे "रियो डी जनेरियो अर्थ समिट", रियो शिखर सम्मेलन, रियो सम्मेलन और पृथ्वी शिखर सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है, 3 से 14 जून 1992 तक रियो डी जनेरियो में आयोजित एक प्रमुख संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन था। 
स्थान : रियो डी जनेरियो, रियो डी जनेरियो, ब्राजील
दिनांक : 3 जून 1992 - 14 जून 1992

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