प्रमुख नदी बाँध परियोजना - Study Search Point

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प्रमुख नदी बाँध परियोजना

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कोयना नदी परियोजना 
कोयना परियोजना भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। यह महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में देशमुखबाड़ी के निकट पोफली में स्थित है। यह परियोजना कोयना नामक नदी पर स्थापित जलविद्युत परियोजना है। कोयना परियोजना का आरंभ 1962-1963 में किया गया था। इस परियोजना के पहले चरण में भूमिगत विद्युतगृह की स्थापना की गई थी। इस विद्युतगृह से 5,40,000 किलोवाट का संप्रति उत्पादन हो रहा है। इसके अतिरिक्त 3,20,000 किलोवाट विद्युत के उत्पादन के निमित्त व्यवस्था की जा रही है।

कोलडैम नदी परियोजना
कोलडैम परियोजना हिमाचल प्रदेश में मंडी और बिलासपुर ज़िले की सीमा पर 'बरनामा' नामक स्थान पर बनाई जा रही है। इस परियोजना की शुरुआत सन 2004 में हुई थी। इसे 'कॉल बाँध' के नाम से भी जाना जाता है। कोलडैम परियोजना में 800 मेगावाट की विद्युत इकाई की स्थापना की गई है।


जायकवाड़ी नदी परियोजना

जायकवाड़ी परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना में महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में जायकवाड़ी गाँव के निकट गोदावरी नदी पर बाँध बनाया गया है। जायकवाड़ी बाँध की कुल लंबाई लगभग 10 कि.मी. है। बाँध के पीछे काफ़ी बड़ा जलाशय बन गया है, जिसे 'नाथसागर जलाशय' कहते हैं। इस बाँध का मुख्य उद्देशय महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में सिंचाई क्षमता में वृद्धि करना था। बाँध के बनने से औरंगाबाद, जलना, अहमदनगर और परभानी ज़िलों की सिंचाई होती है। यहाँ पर 12 मेगावाट की क्षमता का विद्युत गृह लगाया गया है।

कलपोंग जलविद्युत परियोजना अंडमान-निकोबार की पहली जलविद्युत परियोजना है। भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में यह एक ऐसी परियोजना है, जो किसी द्वीप पर बनी है। इस परियोजना में कलपोंग नदी पर 'डिग्लिपर' नामक स्थान पर कलपोंग बाँध बनाया गया है। यहाँ पर 5.2 मेगावाट विद्युत उत्पादन की इकाई लगाई गयी है।

उकाई नदी परियोजना
उकाई परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना के अंतर्गत उकाई बाँध ताप्ती नदी पर गुजरात राज्य के सूरत ज़िले में बनाया गया है। यहाँ 75x4=300 मेगावाट की विद्युत इकाई लगाई गयी है।

कामेरा नदी जलविद्युत परियोजना

कामेरा जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश में रावी नदी पर चम्बा ज़िले में बनाई जा रही है। इस परियोजना का निर्माण कनाडा के सहयोग से किया जा रहा है। परियोजना के प्रथम चरण में 180x3=540 मेगावाट, दूसरे चरण में 100x3=300 मेगावाट और तीसरे चरण में 77x3=231 मेगावाट की तीन विद्युत इकाइयाँ लगाई जा रही हैं।
ओंकारेश्वर परियोजना नर्मदा नदी की घाटी में बनाये गए 30 बाँधों में से एक है। इस परियोजना का क्षेत्र नर्मदा एवंकावेरी (नर्मदा की उपनदी) के तटीय इलाके में है। इस परियोजना का विचार सर्वप्रथम 1965 में आया था। इस परियोजना का उद्देश्य मध्य भारत में बिजली एवं सिंचाई की व्यवस्था करना है। ओंकारेश्वर बाँध से मध्य प्रदेश में बिजली वितरित की जाती है। इस जलविद्युत परियोजना से प्रथम चरण में अनुमानित 1.167 अरब यूनिट, दूसरे चरण में 69.60 करोड़ यूनिट एवं तीसरे चरण में 54 करोड़ यूनिट बिजली का वार्षिक उत्पादन होता है।


ओंकारेश्वर बाँध 949 मीटर लंबा तथा 33 मीटर ऊँचा है, जो कंक्रीट का बना है। बाँध में 520 मेगावाट की विद्युत उत्पादन क्षमता है। इसमें 20x17 मीटर के 23 रीडायल गेट लगे हैं। यह देश में 2004 से 2006 में सबसे तेजी से पूरी की जाने वाली जल विद्युत परियोजना है। बाँध ने 2007 से कार्य करना शुरू किया था।


कोयल-कारो नदी परियोजना

कोयल-कारो परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजना है। यह परियोजना झारखण्ड में राँची के निकट सिंहभूमि ज़िले में है। इस परियोजना में कोयल और कारो नदी पर बाँध बनाए गये हैं। दक्षिणी कोयल नदी पर बसिया गाँव के निकट एक बाँध और उत्तरी कारो नदी पर लोहज़िमा के निकट दूसरा बाँध बनाया गया है। यहाँ रायतोली के निकट 115X6=690 मेगावाट और 20 मेगावाट की एक यूनिट लगाई गयी है। यह परियोजना वर्ष 1974 में शुरू की गयी थी, परंतु आदिवासियों के विरोध के कारण इस परियोजना का निर्माण अभी भी चल रहा है।

उर्मिल नदी सिंचाई परियोजना
उर्मिल सिंचाई परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजना है। यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है, जो छतरपुर-कानपुर मार्ग पर उर्मिल नदी पर बनाई गई है। उर्मिल बाँध का निर्माण उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा कराया गया है तथा नहरों का निर्माण मध्य प्रदेश शासन ने किया है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से रवि की फ़सलों के लिए सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है।

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