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स्कैबीज़ (बड़ी खुजली) | ||
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इसमें मुख्य शिकायत खुजली की होती है। खुजली शाम के समय शुरू होती है और आमतौर पर दिन के समय में कम होती है। शरीर पर केवल कुछ ही कीड़े होने पर भी खुजली होती है। स्कैबीज़ अक्सर हाथ से शुरू होती है। बाद में ये कीड़े कलाइयों, कोहनियों, बगलों, धड़, कमर, जनन अंगो,चूतड़ों और औरतों में स्तनों में भी पहुँच जाते हैं। वयस्कों में चेहरा और खोपड़ी आमतौर पर इसके प्रकोप से बच जाते हैं। आपके त्वचा पर बिल दिख सकते है। परन्तु कीड़े बहुत छोटे होते हैं और त्वचा के अन्दर घुसे रहते है। घावों में खासतौर पर शाम को बहुत भयंकर खुजली होती है।स्कैबीज़ के घाव सूखे हुए होते है। अगर उनमें बैक्टीरिया से कोई संक्रमण हो जाए तो वो काफी खराब से दिखने लगते हैं क्योकि उनमें पीप होती है। संक्रमण से बुखार भी हो जाता है। स्कैबीज़ एक सामाजिक समस्या है और आमतौर पर साफ रहन-सहन के अभाव में हो जाती है। व्यक्तिगत सफाई का अभाव, पानी की कमी, थोड़ी सी जगह में बहुत से लोगों का रहना, बिस्तरे व कपड़े मिल-बॉंट कर इस्तेमाल करना और स्वास्थ्य पर ध्यान न देना स्कैबीज़ के फैलाने के मुख्य कारण है। साफ है कि अस्पताल में एक या दो रोगियों को इलाज करना काफी नहीं है। हमें पूरे समूह का ही इलाज करना पड़ेगा यही तरीका पूरे समुदाय में स्कैबीज़ के चक्र को तोड़ सकेगा। | ||
सफाई और स्कैबीज़ की दवा (परमेथ्रीन 5%) का एक घोल त्वचा पर लगाना असरकारी होता है। यह दवा लगाते हुए आँखें को बचाना चाहिए। दवाई शरीर पर 8-12 घण्टे लगी रहने दें और फिर धो लें। कपड़ो व बिस्तरों को साफ करने को लेकर भी सलाह दें या तो कपड़े पानी में 15 मिनट के लिए उबाले जा सकते हैं या फिर दिन भर धूप में रखे जा सकते हैं या फिर इन्हें गामा बीएचसी पाउडर छिडककर बाद में धो ले। सम्पर्क में आने वाली अन्य चीज़ों का शोधन भी इसी तरह करें नहीं तो स्कैबीज़ दो सप्ताह में फिर से हो जाएगी। परमेथ्रीन मल्हम मेहंगा होता है, इसलिए अधिकांश मरीजों को अभी भी लिंडेन लोशन से ही इलाज कराया जाता है| इसे आँख और मुँह के आस पास न लगाएँ| गर्भवती महिला और शिशुओं में परमेथ्रीन ज्यादा बेहतर होता है| अधिक जानकारी के लिए दवाओं का अध्याय देखे| | ||
खुजली के इलाज के लिए सीपीएम की गोलियॉं लें (देखें दवाइयों वाली सारणी)। स्कैबीज़ में संक्रमण होने पर पॉंच दिनो का एन्टीबैक्टीरियल दवाइयों का कोर्स दे। जैसे कोट्रीमाक्साजोल या एमोक्सीसिलीन या टैट्रासाइक्लीन और उसके बाद परमेथ्रीन लगाएँ। बच्चों का इलाज भी इसी तरह करें परन्तु उन्हे टैट्रासाइक्लीन न दे। | ||
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त्वचा में खुजलीवाली बीमारियॉं,
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# सेहतनामा
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