लवणों का निर्माण निम्नलिखित रीतियों से होता है : -
(1) धातुओं पर अम्लों की क्रिया से, जैसे यशद पर सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से ज़िंक सल्फेट प्राप्त होता है।
(2) क्षार, या क्षारकों तथा कार्बोनेटों पर अम्लों, या अम्लीय ऐनहाइड्राइडों की क्रिया से, जैसे पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की क्रिया से पोटैशियम क्लोराइड बनता है।
(3) तत्वों के सीधे संयोग से, जैसे सोडियम एवं क्लोरीन के सीधे संपर्क से सोडियम क्लोराइड बनता है।
(4) अम्लीय ऑक्साइडों और क्षारक ऑक्साइडों के संयोजन से, जैसे सल्फर ट्राइऑक्साइड (अम्लीय) एवं पोटैशियम ऑक्साइड (क्षार) के संयोजन से पोटैशियम सल्फेट बनता है।
(5) किसी लवण की एक धातु को दूसरी धातु से विस्थापित करने से, जैसे कॉपर सल्फेट को लोहे के संपर्क में लाने से ताँबे का स्थान लोहा ले लेता है, जिससे फेरस सल्फेट बनता है।
(6) किसी लवण एवं कम वाष्पशील अम्ल की परस्पर अभिक्रिया द्वारा, जैसे सोडियम क्लोराइड पर अल्प वाष्पशील सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से सोडियम हाइड्रोजन सल्फेट बनता है।
(7) लवण पर क्षार की क्रिया से, जैसे अमोनियम क्लोराइड पर पोटैश की क्रिया से पोटैशियम क्लोराइड बनता है।
(8) दो क्षारों की परस्पर क्रिया से, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड पर ज़िंक हाइड्रॉक्साइड की क्रिया से सोडियम ज़िंकेट बनता है।
(9) धातु एवं क्षारक की परस्पर क्रिया से, जैसे ज़िंक पर पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड की क्रिया से पोटैशियम ज़िंकेट बनता है।
(10) दो लवणों के बीच उभय अपघटन से, जैसे पोटैशियम क्लोराइड तथा सोडियम नाइट्रेट से पोटैशियम नाइट्रेट एवं सोडियम क्लोराइड बनते हैं। इस रीति से जल में विलेय दो लवणों, जैसे सिल्वर नाइट्रेट तथा पोटैशियम क्लोराइड, के उभय अपघटन से जल में अविलेय सिल्वर क्लोराइड तथा जल में विलेय पोटैशियम नाइट्रेट प्राप्त होते हैं। सामान्यतः जल में अविलेय लवण की प्राप्ति में इस रीति का विशेष रूप से उपयोग होता है।
(11) लवणों के उपचयन, या अपचयन से, जैसे लेड सल्फाइड के उपचयन से लेड सल्फेट तथा बेरियम सल्फेट के अपचयन से बेरियम सल्फाइड प्राप्त होता है।
- अम्लों के साथ धातु या धातु के आक्साइडों की क्रिया से-
- क्षारों या क्षारीय आक्साइडों पर अम्लीय आक्साइडों की क्रिया से-
- लवणों की अम्लों या अन्य लवणों से क्रिया द्वारा-
- साधारण तत्वों की क्रिया से
- क्षारों की अधातुओं से क्रिया द्वारा-
लवण के गुण
सामान्यत: नॉर्मल लवण के विलयन उदासीन होते हैं, पर अनेक नॉर्मल लवण के विलयन अम्लीय अथवा क्षारीय भी होते हैं। नॉर्मल लवण के विलयन का यह प्रभाव जल के साथ लवण के आयन की क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। इस क्रिया को जल अपघटन (Hydrolysis) कहा जाता है। सोडियम साइनाइड लवण को जल में घोलने पर विलयन में जलअपघटन की क्रिया होती है, जिसके फलस्वरूप विलयन में सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षार) तथा हाइड्रोजन साइनाइड (हाइड्रोस्यानिक अम्ल) बने हैं और चूँकि सोडियम हाइड्रॉक्साइड तीव्र क्षार है, अत: लवण का विलयन क्षारीय होता है। अमोनियम क्लोराइड लवण का जलीय विलयन जल अपघटन क्रिया के कारण अम्लीय होता है।
आधुनिक काल में अम्ल तथा क्षार के सामान्य सिद्धांत में विकास होने के फलस्वरूप, लवण के ज्ञान के संबंध में बहुत विस्तार हो गया है। इस दिशा में ब्रौंस्टेड नामक वैज्ञानिक का सिद्धांत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सिद्धांत में क्रिया के अंतिम उत्पाद लवण की अपेक्षा अम्ल तथा क्षार के प्रक्रियाक्रम पर अधिक बल दिया गया है।
रासायनिक गुण
लवणों के रासायनिक गुण उनमें उपस्थित धनायन एवं ऋणायन पर निर्भर करतीं हैं।
- अम्लों के साथ क्रिया
- धातुओं के साथ क्रिया
- लवणों की लवणों से क्रिया
- कुछ लवण गरम करने पर विघटित हो जाते हैं।