झारखंड यानि 'झार' या 'झाड़' जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और 'खंड' यानि टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलत: एक वनप्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फलस्वरुप (जिसे बाद में कुछ लोगों द्वारा वनांचल आंदोलन के नाम से जाना जाता है) सृजित हुआ। प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलबध्ता के कारण इसे भारत का 'रूर' भी कहा जाता है जो जर्मनी में खनिज-प्रदेश के नाम से विख्यात है। 15 नंवबर, 2000 को भारत संघ के 28वें राज्य के रूप में झारखण्ड राज्य का निर्माण हुआ।
झारखण्ड आदिवासियों की गृहभूमि है। एक प्राचीन कथा से ज्ञात होता कि उड़ीसा के राजा जयसिंह देव ने तेरहवीं शताब्दी में खुद को झारखण्ड का शासक घोषित कर अपना शासन लागू कर दिया था। झारखण्ड में मुख्य रूप से छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना के वन क्षेत्र शामिल हैं। यहाँ की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराएं हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 'झारखण्ड मुक्ति मोर्चा' ने नियमित आंदोलन किया, जिसके कारण से सरकार ने 1995 में 'झारखण्ड क्षेत्र परिषद' की स्थापना की और इसके पश्चात यह राज्य पूर्णत: अस्तित्व में आया। बाबूलाल मरांडी झारखंड राज्य के प्रथममुख्यमंत्री थे। इन्होंने 2006 में भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर 'झारखंड विकास मोर्चा' की स्थापना की थी।
झारखंड का इतिहास -
झारखंड का इतिहास -
झारखंड राज्य की मांग का इतिहास लगभग सौ साल से भी पुराना है जब 1900 इसवी के आसपास जयपाल सिंह जो भारतीय हाकी खिलाड़ी थे और जिन्होंने ओलोम्पिक खेलों में भारतीय हाकी टीम के कप्तान का भी दायित्व निभाया था, ने पहली बार तत्कालीन बिहार के दक्षिणी जिलों को मिलाकर झारखंड राज्य बनाने का विचार रखा था। लेकिन यह विचार 2 अगस्त सन 2000 में साकार हुआ जब संसद ने इस संबंध में एक बिल पारित किया और उसी साल 15 नवम्बर को झारखंड राज्य ने मूर्त रूप ग्रहण किया और भारत के 28 वें प्रांत के रूप में प्रतिष्ठापित हुआ।
इतिहासविदों का मानना है कि झारखंड की विशिष्ट भू-स्थैतिक संरचना, अलग सांस्कृतिक पहचान इत्यादि को झारखंड क्षेत्र को मगध साम्राज्य से पहले से भी एक अलग इकाई के रूप में चिन्हित किया जाता रहा। किंवदंतियों के अनुसार तेरहवीं सदी में उड़ीसा के राजा जयसिंह देव को इस प्रदेश के लोग अपना राजा मानते थे। झारखंड के प्रारंभिक इतिहास में इस राजवंश की काफी प्रभावशाली भूमिका रही है। इससे पूर्व इस क्षेत्र में मुख्य रूप से कबिलाई सरदारों का बोलबाला रहा करता था लेकिन काफी क्षेत्रों में निरंकुशता एवं उनकी मनमानी की वजह से लोगों ने यहाँ से बाहर के रजवाड़ों से मदद की अपील की जिन्हें उस समय न्यायिक दृष्टि से काफी हद तक निष्पक्ष माना जाता था। इस तरह पहली बार इस क्षेत्र में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप शुरु हुआ जब उड़ीसा एवं अन्य क्षेत्रों के राजाओं ने अपनी सेना के साथ यहाँ दखल देना शुरु किया। कुछ अच्छे कबिलाई सरदार जिनका काम अच्छा था एवं जिनका प्रजा से अच्छा संबंध था उनका प्रभाव इस क्षेत्र में बाद तक कायम रहा, जिनमें मुख्य रुप से बहुत से मुंडा सरदार थे और आज भी बहुत से ईलाकों में ये काफी प्रभावशाली हैं। (देखें: मुंडा मानकी प्रथा)। बाद में मुगल सल्तनत के दौरान झारखंड को कुकरा प्रदेश के नाम से जाना जाता था। 1765 के बाद यह ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया। ब्रिटिश दासता के अधीन यहाँ काफी अत्याचार हुए और अन्य प्रदेशों से आनेवाले लोगों का काफी दबदबा हो गया था। इस कालखंड में इस प्रदेश में ब्रिटिशों के खिलाफ बहुत से विद्रोह हुए जिसे आदिवासी विद्रोहों के नाम से सामूहिक रूप से जाना जाता है, इनमें से कुछ प्रमुख विद्रोह थे : -
- 1772-1780 पहाड़िया विद्रोह
- 1780-1785 तिलका मांझी के नेतृत्व में मांझी विद्रोह जिसमें भागलपुर में 1785 में तिलका मांझी को फांसी दी गयी थी।
- 1795-1800 तमाड़ विद्रोह
- 1795-1800 मुंडा विद्रोह विष्णु मानकी के नेतृत्व में
- 1800-1802 मुंडा विद्रोह तमाड़ के दुखन मानकी के नेतृत्व में
- 1819-1820 मुंडा विद्रोह पलामू के भूकन सिंह के नेतृत्व में
- 1832-1833 खेवर विद्रोह भागीरथ, दुबाई गोसाई, एवं पटेल सिंह के नेतृत्व में
- 1833-1834 भूमिज विद्रोह वीरभूम के गंगा नारायण के नेतृत्व में
- 1855 लार्ड कार्नवालिस के खिलाफ सांथालों का विद्रोह
- 1855-1860 सिद्धू कान्हू के नेतृत्व में सांथालों का विद्रोह
- 1856-1857 शहीदलाल, विश्वनाथ सहदेव, शेख भिखारी, गनपतराय एवं बुधु बीर का सिपाही विद्रोह के दौरान आंदोलन
- 1874 खेरवार आंदोलन भागीरथ मांझी के नेतृत्व में
- 1895-1900 बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा विद्रोह
इन सभी विद्रोहों के भारतीय ब्रिटिश सेना द्वारा फौजों की भारी तादाद से निष्फल कर दिया गया था। इसके बाद 1914 में ताना भगत के नेतृत्व में लगभग छब्बीस हजार आदिवासियों ने फिर से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था जो बाद में महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का हिस्सा बन गया।
झारखण्ड 21°58'10" उत्तरी अक्षांश से 25°19'15" उत्तरी अक्षांश तथा 83°20'50" पूर्वी देशांतर 88°4'40" पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है। झारखण्ड का कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किमी. जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। इसमें 152 शहर एवं 32,615 गाँव है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से पूरे राज्य को पाँच प्रमण्डलों एवं 24 ज़िलों में विभाजित किया गया है। झारखण्ड का प्रमुख भौतिक लक्षण छोटा नागपुर पठार है, जो पठारों, पहाड़ियों व घाटियों की शृंखला है। यह लगभग समूचे राज्य में फैला है और अधिकांशतः स्फटकीय (क्रिस्टल) चट्टनों से बना है। हज़ारीबाग़ व राँची, ये दो मुख्य पठार दामोदर नदी के भ्रंशित और कोयला युक्त अवसादी बेसिन से विभाजित हैं। इनकी ऊँचाई औसतन लगभग 610 मीटर है। पश्चिम में 300 से अधिक विच्छेदित, लेकिन सपाट शिखर वाले पठार हैं, जिनकी ऊँचाई लगभग 914 मीटर है और ये पाट कहलाते हैं। झारखण्ड में उच्चतम बिंदु हज़ारीबाग़ स्थित पारसनाथ की शंक्वाकार ग्रेनाइट चोटी है, जिसकी ऊँचाई 1,369 मीटर है। जैन मतावालंबी और संथाल जनजाति, दोनों ही इसे पवित्र मानते हैं। झारखण्ड प्रदेश उष्णकटिबंधीत क्षेत्र में स्थित है।
झारखण्ड की जलवायु सामान्यताः उष्णकटिबंधीत है किन्तु ऊँचे पठारी भाग होने के कारण यहाँ की जलवायु की स्थिति आस-पास से भिन्न है। यह क्षेत्र मॉनसूनी जलवायु के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक मौसम के उतार-चढ़ाव को झेलता है। अतः यहाँ की जलवायु 'उष्ण मॉनसूनी' मानी जाती है।
झारखण्ड राज्य के 79,714 वर्ग किमी क्षेत्र में से 18,423 वर्ग किमी क्षेत्र में वन हैं। कृषि और कृषि सम्बंधित गतिविधियां झारखण्ड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल केवल 38 लाख हेक्टेयर है।
झारखण्ड के कुछ बडे उद्योग हैं : -
- सार्वजनिक क्षेत्र का बोकारो स्टील प्लांट
- जमशेदपुर में निजी क्षेत्र की टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को)
- अन्य प्रमुख उद्योग हैं: टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को)
- टिमकेन इंडिया लिमिटेड (जमशेदपुर)
- भारत कुकिंग लिमिटेड (धनबाद)
- खिलाडी सीमेंट फैक्टरी (पलामू)
- इंडियन ऐल्यूमिनियम (मुरी)
- ए सी सी सीमेंट (चाइबासर)
- सेंट्रल कोलफीज्ड्स लिमिटेड (रांची)
- उषा मार्टिन, उषा बैल्ट्रान, यूरेनियम कारपोरेशन (इं) लिमिटेड (जादूगोडा)
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (मुसाबनी)
- टिन प्लेट कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (जमशेदपुर)
- इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड (गोमिया)
- हिंडालको बॉक्साइट (लोहरदगा)
- झारखण्ड राज्य खनिज संसाधनों में देश का समृद्धतम राज्य है। यहाँ उपलब्ध प्रमुख खनिज हैं- कोयला, कच्चा लोहा, चूना पत्थर, तांबा, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी, काइनाइट, चिकनी मिट्टी, डोलोमाइट, ग्रेफाइट, बैंटोनाइट, साबुन पत्थर बिल्लौरी रेत और सिलिका बालू।
- इस नवगठित राज्य में सिंहभूमि, बोकारो, हज़ारीबाग़, रांची, कोडरमा और धनबाद में कोयला, अभ्रक और अन्य खनिजों के दोहन की अपार क्षमताएं हैं।
झारखंड के लोकनृत्य -
पाइका छऊ, जदुर, नाचनी, नटुआ, अगनी, चौकारा, जामदा, घटवारी, मतहा
झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। इसलिए यहां की संस्कृति में आदिम जीवन का रंग-गंध यहां के सभी पर्व-त्योहारों में बिखरा पड़ा है। हालांकि अंग्रेजी शासन के बाद से ही यहां बाहरी समुदायों की बढ़ती हुई भारी आबादी के कारण, हिन्दू, मुस्लिम एवं अन्य धर्मावलंबियों की सांस्कृतिक छटा भी देखने को मिलते हैं। फिर भी आदिवासी पर्व-त्योहारों की बात ही कुछ और है। आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार सरहुल है जो मुख्यतः बसंतोत्सव है जो मार्च-अप्रैल महीने में मनाया जाता है।
इसके अलावा कुछ प्रमुख अन्य त्योहार इस प्रकार हैं : -- टुसू पर्व
- बांदना परब
- करमा
- मागे पर्ब
राँची एक्सप्रेस एवं प्रभात खबर जैसे हिन्दी समाचारपत्र राज्य की राजधानी राँची से प्रकाशित होने वाले प्रमुख समाचार पत्र हैं जो राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध होते हैं। हिन्दी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले देश के अन्य प्रमुख समाचारपत्र भी बड़े शहरों में आसानी से मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, खबर मन्त्र, आई नेक्स्ट उदितवाणी, चमकता आईना, उत्कल मेल तथाआवाज जैसे हिन्दी समाचारपत्र भी प्रदेश के बहुत से हिस्सों में काफी पढ़े जाते हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया की बात करें तो झारखंड को केंद्र बनाकर खबरों का प्रसारण ई टीवी बिहार-झारखंड, सहारा समय बिहार-झारखंड, मौर्य टीवी, साधना न्यूज, न्यूज 11 आदि चैनल करते हैं। रांची में राष्ट्रीय समाचार चैनलों के ब्यूरो कार्यालय कार्यरत हैं।
राज्य में अनेक मनोरम स्थल हैं, ये हैं -
- इचागढ पक्षी विहार
- उद्धव पक्षी विहार- साहिबगंज (पठारा झील)
- चाचरो मगरमच्छ पालन केंद्र कोडरमा (तिलाया बांध)
- चंद्रपुर पक्षी विहार
- जवाहरलाल नेहरू चिडियाघर (बोकारो)
- तेनुघाट पक्षी विहार, डालमा वन्यजीव अभयारण्य (जमशेदपुर)
- टाटा स्टील चिडियाघर (जमशेदपुर)
- पलकोट वन्यजीव अभयारण्य (गुमला)
- भगवान बिरसा चिडियाघर (रांची)
- बिरसा हिरन अभयारण्य (कालमाटी रांची)
- बेटला राष्ट्रीय उद्यान (पलामू)
- रांची मत्स्य केंद्र (रांची)
- हज़ारीबाग़ राष्ट्रीय उद्यान
- तातोलोई गर्म पानी झरना (दुमका)
- सारंदा वन
- झारखण्ड धाम
- लगंता बाबा मंदिर/मजार
- बिंध्यवासिनी मंदिर
- मसनजोर धाम
कोडरमा जिला, गढवा जिला, गिरीडीह जिला, गुमला जिला, चतरा जिला, जामताड़ा जिला, दुमका जिला, देवघर जिला, गोड्डा जिला, धनबाद जिला, पलामू जिला, पश्चिमी सिंहभूम जिला (मुख्यालय:चाईबासा), पूर्वी सिंहभूम जिला (मुख्यालय: जमशेदपुर), बोकारो जिला, पाकुड़ जिला, राँची जिला, लातेहार जिला, लोहरदग्गा जिला, सराइकेला खरसावाँ जिला, साहिबगंज जिला, सिमडेगा जिला, हजारीबाग जिला, खूंटी जिला औररामगढ़ जिला, चास
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