भारत : दक्षिणी राज्य, तमिलनाडु., - Study Search Point

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भारत : दक्षिणी राज्य, तमिलनाडु.,

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तमिलनाडु (  तमिलनाडु ) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरैत्रिचिकोयम्बतूरसलेमतिरूनेलवेली हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेशकर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु शब्द तमिळ भाषा के तमिल तथा नाडु (நாடு) जिसका शाब्दिक अर्थ घर या वास, स्थान, से मिलकर बना है जिसका अर्थ है तमिलों का घर या तमिलों का देश है। ब्रिटिश शासनकाल में यह प्रांत मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा था। स्वतंत्रता के बाद मद्रास प्रेसिडेंसी को कई भागों में बांट दिया गया, जिसके फलस्वरूप मद्रास तथा अन्य राज्यों का उदय हुआ। 1968 में मद्रास प्रांत का नाम बदलकर तमिल नाडु कर दिया गया।
तमिलनाडु का इतिहास बहुत प्राचीन है। यह उन गिने चुने क्षेत्रों में से एक है जो प्रागैतिहासिक काल से अब तक लगातार बसे हुए है।
अत्यारम्भ से यह तीन प्रसिद्ध राजवंशों की कर्मभूमि रही है - चेरचोल तथा पांड्य। तमिल नाडु के प्राचीन संगम साहित्य में, यहाँ के तत्कालीन राजाओं, राजकुमारों तथा उनके प्रशन्शक कवियों का बारम्बार विवरण मिलता है। विद्वान तथा विशेषज्ञ एसा मानते हैं कि, यह संगम साहित्य इसोत्तर (इसा-पश्चात) की आरम्भिक कुछ सदियों का है। आरम्भिक चोल, पहली सदी से लेकर चौथी सदी तक सत्ता के मुख्य अधिपति रहे। इनमें सर्वप्रमुख नामकरिकाल चोल (तमिल - கரிகால சோல (तमिल हिज्जे की शुद्धता अपूर्ण हो सकती है)) है, जिसने अपने साम्राज्य को कांचीपुरम् तक पहुँचाया। चोलों ने वर्तमान तञ्जावुर तथा तिरुचिरापल्ली तक अपना साम्राज्य विस्तृत किया तथा सैन्य कर्मों में महारत प्राप्त की। अपने यौवन काल में चोलों ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में कई सौ कि॰मी॰ तक अपना प्रभुत्व स्थापित किया। तीसरी सदी तक कालभ्रों के आक्रमण से चोलों का पतन आरम्भ हो गया। कालभ्रों को छठी सदी तक, उत्तर में पल्लवों तथा दक्षिण में पांड्यों ने हराकर बाहर कर दिया। चोल राजाओं ने वर्तमान तंजावुर ज़िला और तिरुचिरापल्ली ज़िले तक अपने राज्य का विस्तार किया। इस काल में चोल राजाओं ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में अपना प्रभुत्व स्थापित किया। तीसरी सदी में कालभ्रों के आक्रमण से चोल राजाओं का पतन हो गया। कालभ्रों को छठी सदी तक, उत्तरी भाग में पल्लवों तथा दक्षिण भाग में पांडयों ने हराकर भगा दिया । भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में तमिल नाडु के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं-सी. सुब्रह्मण्यमचक्रवर्ती राजगोपालाचारीचिदंबरम पिल्लईटी.एस.एस. राजनकसीनथूनी नागेश्वर रावके. कामराजके. संतानममिनजुर भक्तवत्सलमआदि।
भूगोल -
तमिल नाडु राज्य प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। पूर्वी मैदान का सबसे चौड़ा हिस्सा उपजाऊ कावेरी के डेल्टा पर है और आगे दक्षिण में रामनाथपुरम और मदुरै के शुष्क मैदान हैं। राज्य के समूचे पश्चिमी सीमांत पर पश्चिमी घाट की ऊँची शृंखला फैली हुई है। पूर्वी घाट की निचली पहाड़ियाँ और सीमांत क्षेत्र, जो स्थानीय तौर पर जावडी, कालरायण और शेवरॉय कहलाते हैं, प्रदेश के मध्य भाग की ओर फैले हैं। महत्त्वपूर्ण नदियों में कावेरी, पोन्नैयार, पलार, वैगई और तांब्रपर्णी शामिल हैं, ये सभी नदियों अंतर्स्थलीय पहाड़ियों से पूर्व की ओर बहती हैं। कावेरी और इसकी सहायक नदियाँ तमिल नाडु के जल एवं विद्युत का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। नदियों के डेल्टा की जलोढ़ मिट्टी की प्रचुरता के साथ-साथ यहाँ की मुख्य मिट्टियों में चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी, रेतीली और लाल मिट्टी पाई जाती है। कपास उत्पादक काली मिट्टी 'रेगूर' (रेगड़) के नाम से जानी जाती है और यह पश्चिम में सेलम कोयंबत्तुर, दक्षिण में रामनाथपुरम व तिरुनेल्वेली तथा मध्य में तिरुचिराप्पल्ली के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। तमिल नाडु राज्य की जलवायु मूलत: उष्णकटिबंधीय है। ग्रीष्मकाल में तापमान यदा-कदा ही 43° से. से ऊपर और शीत ऋतु में 18-24° से. से नीचे जाता है। दिसंबर और जनवरी में न्यूनतम तथा अप्रैल और जून में अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किया जाता है। औसत वार्षिक वर्षा दक्षिण-पश्चिमी और पूर्वोत्तर मॉनसून पर निर्भर है तथा यह मुख्यतः अक्टूबर से दिसंबर के बीच और प्रतिवर्ष 635 मिमी से 1,905 मिमी के बीच होती है। तमिल नाडु की ग्रामीण जनसंख्या के लगभग तीन-चौथाई हिस्से के जीवन का आधार कृषि है। तमिल नाडु में मुख्‍य व्‍यवसाय‍ कृषि है। राज्‍य में 2007-08 में कुल खेती योग्‍य क्षेत्र 56.10 मिलियन हेक्‍टेयर था। प्रमुख खाद्यान्‍न फ़सलें चावल, ज्‍वार और दालें हैं।

प्रमुख व्‍यापारिक फ़सलों में - गन्नाकपाससूरजमुखीनारियल, काजू, मिर्च, झिंझेली और मूँगफली हैं। अन्‍य पौध फ़सलें हैं - चायकॉफीइलायची और रबर। मुख्‍य वन उत्‍पाद हैं - इमारती लकड़ी, चंदन की लकड़ी, पल्‍पवुड और जलाने योग्‍य लकड़ी जैव उर्वरकों के उत्‍पादन और इस्‍तेमाल में तमिल नाडु का प्रमुख स्‍थान है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कृषि उत्‍पादन बढ़ाने के लिए कृषि तकनीक में सुधार किया जा रहा है। 2007-08 में यहाँ का वार्षिक अनाज उत्‍पादन 100.35 लाख टन से अधिक रहा। आरंभिक काल से ही तमिल किसानों ने कम मात्रा में होने वाले वर्षा जल को छोटे और बड़े सिंचाई जलाशयों या तालाबों में कुशलतापूर्वक संरक्षित किया है। ग्रेनाइट, लिग्‍नाइट और चूना पत्‍थर राज्‍य की प्रमुख खनिज संपदा है। राज्‍य तैयार खालों और चमड़े का सामान, सूती धागे, चाय, कॉफी,मसाले, इंजीनियरिंग सामान, तंबाकू, हस्‍तशिप वस्‍तुएं और काले ग्रेनाइट पत्‍थर का प्रमुख निर्यातक है। तमिल नाडु में देश के 60 प्रतिशत चमड़ा शोधन कारखाने हैं। तमिल नाडु राज्य में स्थित शहर तिरुप्पुर, बुने हुए सूती वस्त्र के निर्माण का प्रमुख केंद्र बन गया है। चूना-पत्थर,बॉक्साइटजिप्सम, लिग्नाइट, मैग्नेसाइट और लौह अयस्क महत्त्वपूर्ण खनिज हैं। तमिल नाडु हस्तशिल्प कला में समृद्ध है, जिसमें हथकरघे का रेशम, धातु की मूर्तियाँ चमड़े का काम, क़लमकारी (हाथ से छपाई किए वस्त्र, जिनमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है), ताँबा, पीतल और काँसे की वस्तुएँ, लकड़ी का काम, ताड़पत्र का काम और बेंत का सामान प्रमुख है।
भारत की एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम और कर्नाटक संगीत, दोनों का राज्य में व्यापक प्रचलन है। यद्यपि चित्रकला एवं मूर्तिकला कम विकसित है, फिर भी यहाँ पत्थर एवं कांसे की मूर्तियाँ बनाने की कला की शिक्षा के लिए विद्यालय हैं। तमिल साहित्य ने तेज़ी से लघु कथाओं व उपन्यासों के पश्चिमी साहित्यिक स्वरूप को अपनाया है। सुब्रहमण्यम सी. भारती (1882-1921) पारंपरिक तमिल कविता को आधुनिक बनाने वाले प्रारंभिक कवियों में एक थे। 1940 के दशक से चलचित्र जन मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम बना हुआ। 580 ई. के लगभग पांडय शासक, जो मंदिर निर्माण कला में निपुण थे, शासन के प्रमुख हो गए और 150 सालों तक राज करते रहे। कांचीपुरम उनका प्रमुख केंद्र था। द्रविड़ स्थापत्य इस समय अपने चरम विकास पर था।

पर्यटन स्‍थल -

चेन्नई, ममल्लापुरम, पूंपुहार, कांचीपुरमकुंभकोणम, धारासुरम, चिदंबरम, तियअन्‍नामलै, श्रीरंगममदुरैरामेश्वरम, तिरूनेलवेली , कन्याकुमारी,तंजावुर, वेलंकन्नी, नागूर चित्‍तान वसाल, कलुगुमलै (स्‍मारक केंद्र), कोर्टलम, होगेनक्‍कल, पापनाशम, सुरूली (जल-प्रपात),
ऊटी(उटकमंडलम), कोडैकनाल, यरकाड, इलागिरि कोल्लिहिल्‍स (पर्वतीय स्‍थल), गुइंडी (चेन्नई), मुदुमलाई, अन्‍नामलाई, मुंदांथुरै, वेल्लोर,मदुरांतक, कालाकाड (वन्‍य जीवन अभयारण्‍य), वेदंथंगल तथा प्‍वाइंट केलिमियर (पक्षी अभयारण्‍य) और चेन्नई के समीप अरिनगर अन्ना चिड़ियाघर आदि पर्यटन की दृष्टि से कुछ महत्‍वपूर्ण स्‍थान हैं।
तमिल सभ्यता विश्व की पुरातनतम सभ्यताओं में से एक है। तमिल यहां की आधिकारिक भाषा है और हाल में ही इसे जनक भाषा का दर्जा मिला। तमिळ भाषा का इतिहास काफी प्राचीन है, जिसका परिवर्तित रूप आज सामान्य बोलचाल में प्रयुक्त होता है। तमिलनाडु की सांस्कृतिक विशेषता तंजावुर के भित्तिचित्र, भरतनाट्यम्, मंदिर-निर्माण तथा अन्य स्थापत्य कलाएं हैं।

साहित्य -

संत कवि तिरूवल्लुवर का तिरुक्कुरल (तमिल - திருக்குறள்), प्राचीन तमिल का सर्वप्रसिद्ध ग्रंथ है। संगम साहित्य, तमिल के साहित्यिक विकास का दस्तावेज है। तमिल का विकास 20वीं सदी के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी काफी तेजी से हुआ।
साभार - भारत कोश,

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