संतरा : मन को प्रसन्नता देने वाला फल, - Study Search Point

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संतरा : मन को प्रसन्नता देने वाला फल,

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संतरा एक फल है। संतरे को हाथ से छीलने के बाद पेशीयोँ को अलग कर के चूसकर खाया जा सकता है। सँतरे का रस निकालकर पीया जा सकता है। संतरा ठंडा, तन और मन को प्रसन्नता देने वाला है। उपवास और सभी रोगों में नारंगी दी जा सकती है। जिनकी पाचन शक्ति खराब हो, उनको नारंगी का रस तीन गुने पानी में मिलाकर देना चाहिये।
  
एक व्यक्ति को एक बार में एक या दो नारंगी लेना पर्याप्त है। एक व्यक्ति को जितने विटामिन ‘सी’ की आवश्यकता होती है, वह एक नारंगी प्रतिदिन खाते रहने से पूरी हो जाती है। खांसी-जुकाम होने पर नारंगी के रस का एक गिलास नित्य पीते रहने से लाभ होगा। स्वाद के लिये नमक या मिश्री डालकर पी सकते है।
  • भारत, चीन, भूटान और मलेशिया को संतरे का उद्गम स्थल माना जाता है।
  • 15वीं शताब्दी से पहले यूरोप में लोग संतरे के बारे में नहीं जानते थे।
  • यूरोप के लिए संतरे की खोज अपनी यात्राओं के दौरान कोलंबस ने की थी।
  • संतरे का मिठाइयों में सबसे अधिक प्रयोग होता है कहीं सुगंध के लिए तो कहीं स्वाद के लिए।
  • भारत में नागपुर नारंगी नगर या ओरेंज सिटी के नाम से जाना जाता है।
संतरा सेहत के लिए अच्छा है यह बात जगमान्य है। कहते है, संतरा सेहत देने के साथ साथ शरीर की सफ़ाई भी करता है। इस सफ़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं संतरे के रेशे। संतरे के रस में इन रेशो की कमी होती है इसलिए संतरे को उसके रस से अधिक महत्व देना चाहिए।
संतरा एक स्वास्थ्यवर्धक फल है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है। लोहा और पोटेशियम भी काफी होता है। संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विद्यमान फ्रुक्टोज, डेक्स्ट्रोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना प्रारंभ कर देते हैं। संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है। प्रस्तुत है इसके कुछ प्रयोग-
  • संतरे का एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान एवं तनाव दूर करता है, हृदय तथा मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से भर देता है।
  • पेचिश की शिकायत होने पर संतरे के रस में बकरी का दूध मिलाकर लेने से काफी फायदा मिलता है।
  • संतरे का नियमित सेवन करने से बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है। रक्तस्राव को रोकने की इसमें अद्भुत क्षमता है।
  • तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से तापमान कम हो जाता है। इसमें उपस्थित साइट्रिक अम्ल मूत्र रोगों और गुर्दा रोगों को दूर करता है।
  • दिल के मरीज को संतरे का रस शहद मिलाकर देने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।
  • संतरे के सेवन से दाँतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।
  • छोटे बच्चों के लिए तो संतरे का रस अमृततुल्य है। उन्हें स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए दूध में चौथाई भाग मीठे संतरे का रस मिलाकर पिलाने से यह एक आदर्श टॉनिक का काम करता है।
  • जब बच्चों के दाँत निकलते हैं, तब उन्हें उल्टी होती है और हरे-पीले दस्त लगते हैं। उस समय संतरे का रस देने से उनकी बेचैनी दूर होती है तथा पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है।
  • पेट में गैस, अपच, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, गठिया, बेरी-बेरी रोग में भी संतरे का सेवन बहुत कुछ लाभकारी होता है।
  • गर्भवती महिलाओं तथा यकृत रोग से ग्रसित महिलाओं के लिए संतरे का रस बहुत लाभकारी होता है। इसके सेवन से जहाँ प्रसव के समय होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है, वहीं प्रसव पीड़ा भी कम होती है। बच्चा स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट पैदा होता है।
  • संतरे का सेवन जहाँ जुकाम में राहत पहुँचाता है, वहीं सूखी खाँसी में भी फायदा करता है। यह कफ को पतला करके बाहर निकालता है।
  • संतरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर आधे घंटे तक लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ, सुंदर और कांतिमान हो जाता है। कील मुँहासे-झाइयों व साँवलापन दूर होता है।
  • संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसका रस सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बढ़ते हैं और उसका कालापन बढ़ता है।
  • संतरे के छिलकों से तेल निकाला जाता है। शरीर पर इस तेल की मालिश करने से मच्छर आदि नहीं काटते।
  • बच्चे, बूढ़े, रोगी और दुर्बल लोगों को अपनी दुर्बलता दूर करने के लिए संतरे का सेवन अवश्य करना चाहिए।
  • संतरे के मौसम में इसका नियमित सेवन करते रहने से मोटापा कम होता है और बिना डायटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं।
इस तरह संतरा सेहत को ही नहीं, खूबसूरती को भी संवारता है। हमेशा पके व मीठे संतरे का ही सेवन करना चाहिए। गर्मियों में संतरे की फसल अपने पूरे जोर पर होती है।
अन्य -
  1. सामान्य हिन्दी - संतरा
  2. मैथिली - संतोला या समतोला
  3. बांग्ला - कॊमॊला लेबू (बांगला - কমলা লেবু)
  4. तमिल - आरंजु (तमिळ भाषा - ஆரந்சு (तमिळ हिज्जा अशुद्ध हो सकता है)
एक नारंगी, विशेष रूप से, मीठी संतरे, नींबू × Citrus sinensis (syn. साइट्रस का पेड़ एल var है। Dulcis एल, या साइट्रस का पेड़ Risso) और उसके फल. संतरे की खेती प्राचीन मूल के एक संकर, pomelo के बीच संभवतः है (साइट्रस maxima) और कीनू (reticulata साइट्रस)। यह एक छोटा सा फूल के बारे में 10 सदाबहार पत्ते, जो बारी की व्यवस्था, crenulate मुनाफा और 4-10 सेमी लंबे समय से ovate आकार के होते हैं साथ लंबा मी बढ़ती वृक्ष है। नारंगी फल एक hesperidium, बेरी का एक प्रकार है।केवल संतरा ही नहीं, संतरे का रस निकालने पर बचनेवाला गूदा और छिलके भी बड़े काम की चीज़ होते हैं। बचे हुए बीज और छिलके केक, कैन्डी, शीतपेय आदि में इस्तेमाल होते हैं। इसको हर प्रकार के खाद्य पदार्थो में रंग और सुगंध के रूप में प्रयोग किया जाता है। भोजन के अतिरिक्त रूम फ्रेशनर, सौन्दर्य प्रसाधन और हर प्रकार के साबुनों मे भी संतरे की सुगंध का प्रयोग होता है।

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