मानक हिंदी वर्तनी, - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

मानक हिंदी वर्तनी,

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मानक हिंदी वर्तनी का कार्यक्षेत्र केंदीय हिंदी निदेशालय का है। इस दिशा में कई दिग्गजों ने अपना योगदान दिया, जिनमें से आचार्य किशोरीदास वाजपेयी तथा आचार्य रामचंद्र वर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं। हिन्दी भाषा के संघ और कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप देश के भीतर और बाहर हिन्दी सीखने वालों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हो जाने से हिन्दी वर्तनी की मानक पद्धति निर्धारित करना आवश्यक और कालोचित लगा, ताकि हिन्दी शब्दों की वर्तनियों में अधिकाधिक एकरूपता लाई जा सके।
तदनुसार, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने 1961 में हिन्दी वर्तनी की मानक पद्धति निर्धारित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की। इस समिति ने अप्रैल 1962 में अंतिम रिपोर्ट दी। इस समिति के सदस्यों की सूची सन्दर्भित परिशिष्ट में दी गई है। समिति की चार बैठकें हुईं जिनमें गंभीर विचार-विमर्श के बाद वर्तनी के संबंध में एक नियमावली निर्धारित की गई।
भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने सन् 1983 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा पूर्व में किए हिन्दी भाषा की लिपि व वर्तनी के मानकीकरण संबंधी प्रयासों का समन्वित रूप 'देवनागरी लिपि तथा हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' के रूप में प्रस्तुत किया। इन्होंने वर्तनी के सम्बन्ध में कुछ सुझाव प्रस्तुत किये है जिनका विवरण इस प्रकार है:-
खड़ी पाई वाले व्यंजन
खड़ी पाई वाले व्यंजनों के संयुक्त रूप परंपरागत तरीके से खड़ी पाई को हटाकर ही बनाए जाएँ। यथा:-
ख्याति, लग्न, विघ्नव्यास
कच्चा, छज्जाश्लोक
नगण्यराष्ट्रीय
कुत्ता, पथ्य, ध्वनि, न्यासस्वीकृत
प्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्ययक्ष्मा
शय्यात्र्यंबक
अन्य व्यंजन
  • क और फ / फ़ के संयुक्ताक्षर पक्का, दफ़्तर आदि की तरह बनाए जाएँ, न कि संयुक्त, पक्का दत्फर की तरह।
  • ङ, छ, ट, ठ, ड, ढ, द और ह के संयुक्ताक्षर हल चिह्न लगाकर ही बनाए जाएँ। यथा:-
अशुद्धशुद्ध
वाङमयवाङ्मय
विदयाविद्या
चिहनचिह्न
  • संयुक्त 'र' के प्रचलित तीनों रूप यथावत् रहेंगे। यथा:- प्रकार, धर्म, राष्ट्र
  • श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे श के साथ र मिश्रित करके नहीं लिखा जाएगा। त + र के संयुक्त रूप के लिए पहले त्र को मानक माना गया है। इसी तरह अन्य संयुक्त व्यंजनों पर भी यही नियम लागू होंगे। जैसे:- क्र, प्र, ब्र, स्र, ह्र आदि
  • हल् चिह्न युक्त वर्ण से बनने वाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय व्यंजन के साथ 'इ' की मात्रा का प्रयोग संबंधित व्यंजन के तत्काल पूर्व ही किया जाएगा, न कि पूरे युग्म से पूर्व। यथा:-
अशुद्धशुद्ध
कुटटिमकुट्टिम
चिटठियाँचिट्ठियाँ

अशुद्धियाँ

प्रायः लोग जिन शब्दों के उच्चारण एवं वर्तनी में अशुद्धियाँ करते हैं, उन शब्दों के अशुद्ध और शुद्ध रूप आगे तालिका में दिये जा रहे हैं-
स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
'अ' 'आ' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अकाशआकाश
अगामीआगामी
अजमाइशआजमाइश
अन्त्यक्षरीअन्त्याक्षरी
अर्यावर्तआर्यावर्त
अलपीनआलपीन
आजकालआजकल
ढाकनाढकना
चहरदीवारीचहारदीवारी
हस्ताक्षेपहस्तक्षेप
हाथिनीहथिनी
'इ' 'ई' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
आशिर्वादआशीर्वाद
इश्वरईश्वर
दिपिकादीपिका
लिजियेलीजिये
हानीहानि
बाल्मीकीबाल्मीकि
शिर्षकशीर्षक
कोटीकोटि
गीननागिनना
'उ' 'ऊ' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अनुदितअनूदित
आशिर्वादआशीर्वाद
आशिर्वादआशीर्वाद
आशिर्वादआशीर्वाद
आशिर्वादआशीर्वाद
आशिर्वादआशीर्वाद
'ऋ' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अनुग्रहीतअनुगृहीत
रिगवेदऋग्वेद
त्रितीयतृतीय
रितुऋतु
पैत्रिकपैतृक
'ए' 'ऐ' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
जेसाजैसा
पेसापैसा
फैंकनाफेंकना
सैनासेना
भाषाऐंभाषाएँ
सेनिकसैनिक
'ओ' 'औ' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अलोकिकअलौकिक
ओद्योगिकऔद्योगिक
लौहारलोहार
त्योहारत्योहार
ओरतऔरत
प्रोढ़प्रौढ़
अनुस्वर(ं), चंद्रबिन्दु(ँ) संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
आंखआँख
दांतदाँत
बांहबाँह
मुंहमुँह
गूंगागूँगा
टांगनाटाँगना
विसर्ग (ः) संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
प्रातकालप्रातःकाल
प्रायप्रायः
निस्वार्थनिःस्वार्थ
दुखदुःख
निशुल्कनिःशुल्क
व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
'छ' 'क्ष' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
आकांछाआकांक्षा
नछत्रनक्षत्र
संछेपसंक्षेप
रच्छारक्षा
छीणक्षीण
'ज' 'य' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अजोधाअयोध्या
जाचनायाचना
जमुनायमुना
जदियदि
जोगयोग
'ट' 'ठ' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
कनिष्टकनिष्ठ
घनिष्टघनिष्ठ
प्रविष्टप्रविष्ठ
इकट्टाइकट्ठा
विशिष्ठविशिष्ट
'ड' 'ड़' 'ढ' 'ढ़' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
कन्नडकन्नड़
पेडपेड़
षड़्यंत्रषड्यंत्र
सीड़ियांसीढ़ियां
पडतापड़ता
'ण' 'न' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अर्चणाअर्चना
श्रवनश्रवण
विस्मरनविस्मरण
प्रनामप्रणाम
मरनमरण
'ब' 'व' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
नबाबनवाब
बिकटविकट
पूर्बपूर्व
धोवीधोबी
क़ामयावीकामयाबी
'ङ' 'ञ' 'ण' 'न' 'म' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अन्गअंग
कन्ठकण्ठ
चन्चलचंचल
पन्डितपंडित
झन्डाझण्डा
'य' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
अंतर्ध्यानअंतर्धान
सामर्थसामर्थ्य
मानवरमान्यवर
कवित्रीकवयित्री
गृहस्थ्यगृहस्थ
'र' 'ड़' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
उमरनाउमड़ना
परत्येकप्रत्येक
बृजब्रज
पिंजड़ापिंजरा
मिरचमिर्च
'श' 'ष' 'स' संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्धशुद्ध
उत्कर्शउत्कर्ष
मनुश्यमनुष्य
दुश्कर्मदुष्कर्म
अमावश्याअमावस्या
संसोधितसंशोधित

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