एशियाई विकास बैंक (एडीबी) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना 22 अगस्त 1966 को एशियाई देशों के आर्थिक विकास के सुगमीकरण के लिए की गयी थी। यह बैंक यूऍन (UN) इकोनॉमिक कमीशन फॉर एशिया एंड फार ईस्ट (अब यूएनईएससीएपी- UNESCAP) और गैर क्षेत्रीय विकसित देशों के सदस्यों को सम्मिलित करता है। इस बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब एडीबी के पास अब 67 सदस्य हैं - जिसमे से 48 एशिया और पैसिफिक से हैं और 19 सदस्य बाहरी हैं। एडीबी (ADB) का प्रारूप काफी हद तक वर्ल्ड बैंक के आधार पर बनाया गया था और वर्ल्ड बैंक (विश्व बैंक) के समान यहां भी भारित वोट प्रणाली की व्यवस्था है जिसमे वोटों का वितरण सदस्यों के पूंजी अभिदान अनुपात के आधार पर किया जाता है। बैंक की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स है जो प्रत्येक सदस्य देश के एक प्रतिनिधि के द्वारा बनी है।
इसके बदले में, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, अपने समूह में से 12 सदस्यों को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और उनके सहायक के रूप में चुनते हैं। इन 12 सदस्यों में से 8 सदस्य क्षेत्रीय सदस्यों (एशिया-पैसिफिक) से लिए जाते हैं जबकि अन्य गैर क्षेत्रीय सदस्यों में से होते हैं।
संयुक्त राष्ट्रों ने 1978 में एशियन डेवलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक और विश्व के अन्य कई बड़े बैंकों की सहायता से डेवलपमेंट बिजनेस की शुरुआत की. आज, डेवलपमेंट बिजनेस सभी बड़े बहुपक्षीय डेवलपमेंट बैंकों, संयुक्त राष्ट्रों कि संस्थाओं और कई राष्ट्रीय सरकारों के लिए प्राथमिक प्रकाशन है, जिनमे से कई अब अपनी निविदाओं और संविदाओं का प्रकाशन डेवलपमेंट बिजनेस में करवाने को अनिवार्य आवश्यकता बना चुके हैं। वर्ष 2008 की अवधि में इस संस्था के बोर्ड आफ़ डायरेक्टर्स नें एक दस्तावेज जारी किया जोकि दस्तावेज-2020 के नाम से जाना जाता है! इस दस्तावेज का मूल उद्देश्य वर्ष 2020 तक अपने सभी विकासपरक अभियान का संचालन करना है! वर्ष 2009 में, एशियाई विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स नें वैश्विक आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए इस बैंक की धनराशि में काफी इजाफा किया है! यह राशि $ 55 अरब डॉलर से बढाकर $165,000,000,000 की गयी है जोकि पूर्व की राशि से तीनगुना है! उल्लेखीय है की इस बैंक के द्वारा की गयी यह वृद्धि 200% के आस-पास है. वर्ष 1994 में यह वृद्धि करीब 100% के आस-पास की गयी थी!
इसके बदले में, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, अपने समूह में से 12 सदस्यों को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और उनके सहायक के रूप में चुनते हैं। इन 12 सदस्यों में से 8 सदस्य क्षेत्रीय सदस्यों (एशिया-पैसिफिक) से लिए जाते हैं जबकि अन्य गैर क्षेत्रीय सदस्यों में से होते हैं।
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, बैंक के अध्यक्ष का भी चुनाव करते हैं जो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का भी अध्यक्ष होता है और एडीबी (ADB) का प्रबंधन देखता है। अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है और इसे पुनः निर्वाचित किया जा सकता है। परंपरागत रूप से अब तक अद्यक्ष सदैव जापान से ही रहे हैं और यह संभवतः इसलिए भी है क्योंकि जापान बैंक के सर्वाधिक बड़े शेयरधारकों में से है। वर्तमान अध्यक्ष, हारुहिको कुरोदा हैं, जिन्होंने 2005 में तदाओ चिनो से पदभार लिया था। वास्तव में एडीबी (ADB) की योजना कुछ प्रभावशाली जापानियों द्वारा बनायी गयी थी जिन्होंने 1962 में एक क्षेत्रीय बैंक के लिए "निजी योजना" तैयार की थी, जिसे बाद में सरकार द्वारा समर्थन प्राप्त हो गया। जापानियों को ऐसा अनुभव हुआ कि एशिया से उनका हितसाधन वर्ल्ड बैंक के द्वारा नहीं हो पा रहा है और इसलिए वह एक ऐसा बैंक स्थापित करना चाहते थे जिसमे जापान को संस्थागत लाभ प्राप्त हो. 1966 में एडीबी की स्थापना के बाद, जापान ने बैंक में विशिष्ट स्थान प्राप्त कर लिया; इसे अध्यक्षता और कुछ अन्य "आरक्षित पद" प्राप्त हुए जैसे प्रशासकीय विभाग के निदेशक का पद. 1972 के अंत तक जापान ने साधारण पूंजी संसाधनों में 173.7 मिलियन डॉलर (कुल का 22.6 प्रतिशत) का योगदान और विशिष्ट कोष में 122.6 मिलियन डॉलर (कुल का 59.6 प्रतिशत) का योगदान किया था। एडीबी (ADB) जापान की आर्थिक स्वार्थ सिद्धि करता है क्योंकि इसके ऋण अधिकतर इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, साउथ कोरिया और फिलीपींस जाते हैं, ये सब ऐसे देश हैं जिनके साथ जापान के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक सम्बन्ध हैं; 1967-72 में एडीबी (ADB) द्वारा जारी किये गए कुल ऋण का 78.48 प्रतिशत ऋण इन देशों को दिया गया था। इसके अलावा, जापान को इससे अन्य ठोस लाभ भी मिले हैं, 1967-76 में इसे कुल अधिप्राप्ति का 41.67 प्रतिशत प्राप्त हुआ।
एडीबी (ADB) ऑर्डिनरी कैपिटल रिसोर्सेज़ (ओसीआर- सामान्य पूंजी संसाधन) से व्यापारिक शर्तों पर "हार्ड" लोन देता है और एडीबी (ADB) से सम्बद्ध एशियन डेवलपमेंट फंड (एडीएफ) विशिष्ट कोष से रियायती दरों पर "सॉफ्ट" लोन देती है। ओसीआर (OCR) के लिए, सदस्यों द्वारा अभिदानित पूंजी, जिसमे भुगतान की हुई और प्रतिदेय पूंजी शामिल होती है, प्रारंभिक अभिदान के लिए किये गए भुगतान के 50 प्रतिशत के अनुपात में, 1983 में हुई तीसरी सामान्य पूंजी वृद्धि (GCI) का 5 प्रतिशत और 1994 में हुई चौथी सामान्य पूँजी वृद्धि का 2 प्रतिशत, है। एडीबी (ADB) अन्तराष्ट्रीय पूंजी बाज़ारों (इंटरनैश्नल कैपिटल मार्केट) से अपनी पूंजी की गारंटी पर ऋण लेती है।
उल्लेखनीय एडीबी परियोजनाएं
- अफगान डायस्पोरा परियोजना
- थाईलैंड में दक्ष श्रमिकों को लाने के लिए उताह स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित परियोजनाएं के लिए वित्त पोषण[कृपया उद्धरण जोड़ें]
- इंडोनेशिया में भूकंप और सुनामी के लिए आपातकालीन सहायता परियोजना
- ग्रेटर मेकांग उप क्षेत्रीय कार्यक्रम
- आरओसी पिंग हू ऑफशोर ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट
- फिलीपींस में नगरीय गरीबीइ उन्मूलन हेतु निजी क्षेत्र के साथ कूटनीतिक भागीदारी
- ट्रांस अफगानिस्तान गैस पाइप लाइन फीज़िबिलिटी एसेसमेंट
- पकिस्तान में आसन्न आर्थिक संकट से उसे उसे बचाने के लिए 1.2 बिलियन डॉलर का ऋण उसकी बढ़ती हुई ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लगातार वित्त पोषण, विशेषकर जल विद्युत् परियोजनाओं के लिए!
- सरकार के संयोजन से निजी संस्थाओं को सूक्ष्म वित्त सहायता, जिसमे भारत और पाकिस्तान शामिल थे।
- पश्चिमी हुबेई प्रान्त के पर्वतीय क्षेत्र के यिचांग-वान्ज्हाऊ रेल मार्ग परियोजना और चीन की उत्तर-पूर्वीय चौन्ग्क्विंग म्युनिसिपैलिटी. (500,000 अमेरिकी डॉलर का ऋण, जिसे 2003 में मंजूरी मिली).
एशियाई विकास बैंक के सदस्य
एडीबी (ADB) में 67 सदस्य हैं (2 फ़रवरी 2007 तक प्राप्त जानकारी के अनुसार) उन्हीं नामों का प्रयोग किया गया है जिन्हें एडीबी (ADB) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
किसी सदस्य के नाम के बाद लिखे वर्ष यह प्रदर्शित करते हैं कि वह कितनी अवधि से सदस्य है। एडीबी के सबसे बड़े शेयर धारकों में जापान और संयुक्त राष्ट्र हैं, जिनमें से प्रत्येक 15.57 प्रतिशत शेयर का स्वामी है। जब कोई राष्ट्र इसका सदस्य नहीं रह जाता तो, बैंक, इस लेख के परिच्छेद 3 और 4 के अनुसार, उस राष्ट्र के साथ खाते का निपटारा करने के उद्देश्य से उस राष्ट्र के शेयर को स्वयं ही पुनः खरीदने का प्रयास करता है।
किसी सदस्य के नाम के बाद लिखे वर्ष यह प्रदर्शित करते हैं कि वह कितनी अवधि से सदस्य है। एडीबी के सबसे बड़े शेयर धारकों में जापान और संयुक्त राष्ट्र हैं, जिनमें से प्रत्येक 15.57 प्रतिशत शेयर का स्वामी है। जब कोई राष्ट्र इसका सदस्य नहीं रह जाता तो, बैंक, इस लेख के परिच्छेद 3 और 4 के अनुसार, उस राष्ट्र के साथ खाते का निपटारा करने के उद्देश्य से उस राष्ट्र के शेयर को स्वयं ही पुनः खरीदने का प्रयास करता है।
एशियाई और प्रशांत क्षेत्र : 48 सदस्य | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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अन्य क्षेत्र : 19 सदस्य | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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संयुक्त राष्ट्रों ने 1978 में एशियन डेवलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक और विश्व के अन्य कई बड़े बैंकों की सहायता से डेवलपमेंट बिजनेस की शुरुआत की. आज, डेवलपमेंट बिजनेस सभी बड़े बहुपक्षीय डेवलपमेंट बैंकों, संयुक्त राष्ट्रों कि संस्थाओं और कई राष्ट्रीय सरकारों के लिए प्राथमिक प्रकाशन है, जिनमे से कई अब अपनी निविदाओं और संविदाओं का प्रकाशन डेवलपमेंट बिजनेस में करवाने को अनिवार्य आवश्यकता बना चुके हैं। वर्ष 2008 की अवधि में इस संस्था के बोर्ड आफ़ डायरेक्टर्स नें एक दस्तावेज जारी किया जोकि दस्तावेज-2020 के नाम से जाना जाता है! इस दस्तावेज का मूल उद्देश्य वर्ष 2020 तक अपने सभी विकासपरक अभियान का संचालन करना है! वर्ष 2009 में, एशियाई विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स नें वैश्विक आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए इस बैंक की धनराशि में काफी इजाफा किया है! यह राशि $ 55 अरब डॉलर से बढाकर $165,000,000,000 की गयी है जोकि पूर्व की राशि से तीनगुना है! उल्लेखीय है की इस बैंक के द्वारा की गयी यह वृद्धि 200% के आस-पास है. वर्ष 1994 में यह वृद्धि करीब 100% के आस-पास की गयी थी!
अवलोकन
अपने उद्भव के बाद से इस बैंक ने एशिया एवं प्रशांत क्षेत्रों के देशों में गरीबों के जीवन में काफी कुछ सुधार किया है! साथ ही उनके जीवन स्तर में भी काफी इजाफा किया है! इस संस्था ने विकास परियोजनाओं और कार्यक्रमों तथा परामर्श सेवाएं तैयार करने और उन्हें लागू करने के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए भी काफी कुछ कार्य किया है!
इसकी सहायता के लिए मुख्य उपकरण हैं :
- ऋण
- नीति वार्ता
- अनुदान
- इक्विटी निवेश
- तकनीकी सहायता
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