बक्सर का युद्ध बंगाल के नवाब मीर कासिम,अवध के नवाब सुजाउद्दौला व मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना और अंग्रेजों के मध्य लड़ा गया था| यही वह निर्णायक युद्ध था जिसने अंग्रेजों को अगले दो सौ वर्षों के लिए भारत के शासक के रूप में स्थापित कर दिया| यह युद्ध अंग्रेजों द्वारा फरमान और दस्तक के दुरुपयोग और उनकी विस्तारवादी व्यापारिक आकांक्षाओं का परिणाम था|
22 अक्टूबर,1764 ई. को लड़े गए बक्सर के युद्ध में संयुक्त भारतीय सेना की पराजय हुई| बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास की युगांतरकारी घटना साबित हुई | 1765 ई. में सुजाउद्दौला और शाहआलम ने इलाहाबाद में कंपनी गवर्नर क्लाइव के साथ संधि पर हस्ताक्षर किये| इस संधि के तहत,कंपनी को बंगाल,बिहार और उड़ीसा के दीवानी अधिकार प्रदान कर दिए गए, जिसने कंपनी को इन क्षेत्रों से राजस्व वसूली के लिए अधिकृत कर दिया| कंपनी ने अवध के नवाब से कड़ा और इलाहाबाद के क्षेत्र लेकर मुग़ल शासक को सौंप दिए,जोकि अब इलाहाबाद में अंग्रेजी सेना के संरक्षण में रहने लगा था| कंपनी ने मुगल शासक को प्रतिवर्ष 26 लाख रुपये के भुगतान का वादा किया लेकिन थोड़े समय बाद ही कंपनी द्वारा इसे बंद कर दिया गया|कंपनी ने नवाब को किसी भी आक्रमण के विरुद्ध सैन्य सहायता प्रदान करने का वादा किया लेकिन इसके लिए नवाब को भुगतान करना होगा| अतः अवध का नवाब कंपनी पर निर्भर हो गया| इसी बीच मीर जाफर को दोबारा बंगाल का नवाब बना दिया गया| उसकी मृत्यु के बाद उसके पुत्र को नवाब की गद्दी पर बैठाया गया| कंपनी के अफसरों ने नवाब से धन ऐंठ कर व्यक्तिगत रूप से काफी लाभ कमाया|
युद्ध के लिए जिम्मेदार घटनाएँ -
ब्रिटिशों द्वारा दस्तक और फरमान का दुरुपयोग,जिसने मीर कासिम के प्राधिकार और प्रभुसत्ता को चुनौती दी,
ब्रिटिशों के आतंरिक व्यापार पर सभी तरह के शुल्कों की समाप्ति,
कंपनी के कर्मचारियों का दुर्व्यवहार : उन्होंने भारतीय दस्तकारों, किसानोंऔर व्यापारियों को अपना माल सस्ते में बेचने के लिए बाध्य किया और रिश्वत व उपहार लेने की परंपरा की भी शुरुआत कर दी|
ब्रिटिशों का लुटेरों जैसा व्यवहार जिसने न केवल व्यापार के नियमों का उल्लंघन किया बल्कि नवाब के प्राधिकार को भी चुनौती दी|
निष्कर्ष : बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास की युगांतरकारी घटना साबित हुई | ब्रिटिशों की रूचि तीन तटीय क्षेत्रों कलकत्ता ,बम्बई और मद्रास में अधिक थी| अंग्रेजों व फ्रांसीसियों के बीच लड़े गए कर्नाटक युद्ध ,प्लासी के युद्ध और बक्सर के युद्ध ने भारत में ब्रिटिश सफलता के दौर को प्रारंभ कर दिया|1765 ई. तक ब्रिटिश बंगाल, बिहार और उड़ीसा के वास्तविक शासक बन गए| अवध और कर्नाटक के नवाब (जिसे उन्होंने ही नवाब बनाया था) उन पर निर्भर हो गए|
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