नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद देश के लोगों में एक नई उम्मीद जगी। मोदी सरकार ने लोगों की उम्मीदों पर खड़े उतरने के लिए भारत की विदेश नीतियों में कई परिवर्तन किये। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासन काल का 18 महीनों में कई विदेशी दौरे किये। पीएम मोदी ने नेपाल से लेकर ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका तक की यात्राएं सफलतापूर्वक पूरी की है। बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यंमार जैसे देशों से भारत के रिश्ते विश्वसनीय और मजबूत हुए है। भारत ने चीन को अलग-थलग करने की नीति के तहत लगभग हर देश के साथ अपने सामरिक और व्यापारिक संबंध मजबूत किये। विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी के चलते जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.4% रही। इसके साथ ही चीन को पछाड़ते हुए भारत सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया। इससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति दरें स्थिर रखने की गुंजाइश बनी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की विकास दर इस साल चीन से आगे निकल जाएगी। भारत की विकास दर इस साल 7.5 फीसदी आंकी गई है, जबकि चीन की दर 6.8 फीसदी आंकी गई है। विश्व बैंक ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस साल चीन से आगे निकल जाएगी। इस साल भारत की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विश्व बैंक ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर के लिए जारी सूची में यह बात कही है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का आर्थिक विकास चीन को पीछे छोड़ देगा। इस रिपोर्ट के अनुसार 2016 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। देश के आर्थिक परिदृश्य को स्थिर से बढ़ाकर वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि भारत की विकास दर 2015 में 7.5 फीसदी रह सकती है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने जताया कि भारत की वृद्धि दर चीन को पार कर अगले वित्त वर्ष के दौरान बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो जाएगी और 2016-17 में यह 8.2 प्रतिशत हो जाएगी।