(Physics) शब्दकोश : परिभाषा भाग - 4, - Study Search Point

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(Physics) शब्दकोश : परिभाषा भाग - 4,

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बल क्या है?
भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनकेसापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी।
प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं : गुरुत्वाकर्षण बलविद्युत चुम्बकीय बलप्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल
बल की गणितीय परिभाषा है :
,
जहाँ 0572a81848732cd8d2f7cd7181644e9c बल, e9b39065768c661cdf242556fe3bcc0e संवेग और e358efa489f58062f10dd7316b65649e समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है:
9b4e3ecccb955fd3a12f47c9ce21765f
जहाँ 6f8f57715090da2632453988d9a1501b द्रव्यमान है और 2794bbd4c47c083c7073a1d4660a786e त्वरण है।

दूरी क्या है?
Distance किसी दिए गए समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लम्बाई को दूरी कहते हैं। यह एक अदिश राशि है, जो कि सदैव धनात्मक होती है। इसका मात्रक मीटर है।

चाल क्या है?
प्रतिदिन के जीवन में और शुद्ध गतिकी में किसी वस्तु की चाल इसके वेग (इसकी स्थिति में परिवर्तन की दर) का परिमाण है! अतः यह एक अदिश राशि है। किसी वस्तु की औसत चाल उस वस्तु द्वारा चली गई कुल दूरी में लगने वाले समय से भाजित करने पर प्राप्त भागफल का मान है! ताक्षणिक चाल, औसत चाल का परिसिमा मान है जिसमें समयान्तराल शून्य की ओर अग्रसर हो।
किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी को औसत चाल कहते हैं।
औसत चाल = कुल तय की गई दूरी/दूरी को तय करने में लगा समय

मात्रक क्या है?
मापन के सन्दर्भ में मात्रक या इकाई (unit) किसी भौतिक राशि की एक निश्चित मात्रा को कहते हैं जो परिपाटी या/और नियम द्वारा पारिभाषिक एवं स्वीकृत की गई हो तथा जो उस भौतिक राशि के मापन के लिए मानक के रूप में प्रयुक्त होती हो। उस भौतिक राशि की कोई भी अन्य मात्रा इस 'इकाई' के एक गुणक के रूप में व्यक्त की जाती है।
उदाहरण के लिए लम्बाई एक भौतिक राशि है। 'मीटर' लम्बाई का मात्रक है जो एक निश्चित पूर्वनिर्धारित दूरी के बराबर होता है। जब हम कहते हैं कि अमुक दूरी '४७ मीटर' है तो इसका अर्थ है कि उक्त दूरी १ मीटर के ४७ गुना है।
प्राचीन काल से ही मात्रकों की परिभाषा करना, उन पर सहमति करना, उनका व्यावहारिक उपयोग करना आदि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विभिन्न स्थानों एवं कालों में मात्रकों की विभिन्न प्रणालियाँ होना एक सामान्य बात थी। किन्तु अब एक वैश्विक मानक प्रणाली अस्तित्व में है जिसे 'अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली' (International System of Units (SI)) कहते हैं।

मूल मात्रक क्या है?
मूल मात्रक मात्रकों में वे मात्रक हैं, जो अन्य मात्रकों से स्वतंत्र होते हैं, अर्थात् उनको एक–दूसरे से अथवा आपस में बदला नहीं जा सकता है। उदाहरण के लिए लम्बाई, समय और द्रव्यमानके लिए क्रमश: मीटर, सेकेण्ड और किलोग्राम का प्रयोग किया जाता है।
SI पद्धति में मूल मात्रक : -
राशि   मात्रक    संकेत
लम्बाई (दूरी)  मीटर   m
द्रव्यमान   किग्रा.   kg
समय   सेकेण्ड   s
ताप   कैल्विन   k
विद्युत धारा   ऐम्पियर   a
ज्योति तीव्रता   कैण्डला   Cd
पदार्थ की मात्रा   मोल   mol

पूरक मूल मात्रक : -
तलीय कोण रेडियन   Rd
घन कोण   स्टेरेडियन   Srd

घर्षण क्या है?
Friction वह गुण जिसके कारण दो विषम वस्तुओं के मध्य प्रतिरोधी बल उत्पन्न होता है, जो एक वस्तु को दूसरे के सापेक्ष खिसकने का विरोध करता है, घर्षण कहलाता है। वह बल जो सदा वस्तु की सम्भावित गति अथवा खिसकने की दिशा में विपरीत कार्य करता है, घर्षण बल कहलाता है। दो सतह के मध्य सापेक्ष गति प्रारम्भ होने से पूर्व इन सतह के मध्य घर्षण बल को स्थैतिक घर्षण कहते हैं। जिस समय सतहों में सापेक्ष गति होती है, इनके मध्य घर्षण बल को गतिज ऊर्जा घर्षण कहते हैं। घर्षण तीन प्रकार के होते हैं-

  • स्थैतिक घर्षण
  • सर्पी घर्षण
  • लोटनिक घर्षण

यदि लकड़ी का बड़ा गुटका ज़मीन पर रखा हो और उसे खिसकाने के लिए बल लगाया जाए तो वह नहीं खिसकता। अतः दोनों सतहों के मध्य एक घर्षण बल कार्य करता है। इस घर्षण बल को ही स्थैतिक घर्षण बल कहा जाता है। इसका परिमाण लगाए गए बल के बराबर तथा दिशा बल के विपरीत होती है।
जब कोई वस्तु किसी धरातल पर सरकती है तो सरकने वाली वस्तु तथा धरातल के मध्य लगने वाला घर्षण बल, सर्पी घर्षण बल कहा जाता है। जैसे—बिना पहिए की किसी गाड़ी को ज़मीन पर खींचने पर गाड़ी तथा ज़मीन के बीच लगने वाला बल सर्पी घर्षण बल होता है।
जब एक वस्तु दूसरी वस्तु की सतह पर लुढ़कती है तो दो सतहों के बीच लगना वाले घर्षण बल लोटनिक घर्षण बल कहा जाता हैं। जैसे—सभी वाहनों के पहियों तथा ज़मीन की सतह के बीच लगने वाला घर्षण बल लोटनिक घर्षण बल होता है।
घर्षण के कारण ही मनुष्य तथा जानवरों आदि का सतह पर चलना सम्भव हो पाता है। कार या बस में ब्रेक लगाने के लिए घर्षण उत्तरदायी है। घर्षण बढ़ाने के लिए वाहनों के पहियों के टायरों में बाहरी सतहें खाँचदार बनी होती हैं। सभी मशीनों में घर्षण के कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है और मशीन के कल–पुर्जे घिस जाते हैं। घर्षण को कम करने के लिए स्पर्शी सतहों को कुछ स्नेहकों के उपयोग से चिकना बनाया जाता है। घूमते शाफ्टों के बीच घर्षण बल को कम करने के लिए बालबेयरिंग या शेलर बेयरिंगों का उपयोग किया जाता है। जो सर्पी घर्षण को लोटनिक घर्षण में बदल देता है। इसके कुछ स्नेहक भी प्रयोग किए जाते हैं। भारी मशीनों में ग्रैफाइट चूर्ण का प्रयोग स्नेहक के रूप में किया जाता है।
घर्षण गुणांक - दो बलों सीमांत घर्षण और अभिलम्ब प्रतिक्रिया, के अनुपात को घर्षण गुणांक कहते हैं।
घर्षण गुणांक <math>\mu = \frac {F} {R}</math>
जहाँ <math>\mathbf{F}</math> = सीमांत घर्षण
<math>\mathbf{R}</math> = अभिलम्ब प्रतिक्रिया
घर्षण गुणांक का कोई मात्रक नहीं होता है, क्योंकि यह दो बलों का अनुपात है।
घर्षण कोण- यह वह कोण है, जो सीमांत घर्षण <math>\mathbf{F}</math> तथा अभिलम्ब प्रतिक्रिया <math>\mathbf{R}</math> का परिणामी अभिलम्ब के साथ बनाता है।
<math>\tan {\lambda} = \frac {F} {R}=\mu</math>

द्रव्य  क्या है?
Matter प्रत्येक वह वस्तु जो स्थान घेरती है, जिसमें द्रव्यमान होता है और जिसका अनुभव हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा कर सकते हैं। उदहारण: लकड़ी, जल, वायु आदि। द्रव्य से आशय निम्नलिखित से हो सकता है:
  1. पदार्थ - कोई भी पदार्थ,
  2. रासायनिक तत्व - मूल रासायनिक तत्व जिनसे अन्य यौगिक बनते हैं और जिन्हें किसी अन्य तत्व में नहीं तोड़ा जा सकता,
  3. धन - आम भाषा में धन को द्रव्य कहते हैं,
  4. द्रव्य (दर्शन) (Substance theory) - दर्शनशास्त्र में परिभाषित द्रव्य (Substance), स्पिनोज़ा के दर्शन में ईश्वर, कणाद के वैशेषिक दर्शन में मूल राशि

द्रव्यमान संख्या क्या है?
द्रव्यमान संख्या Mass Number रसायन विज्ञान में किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रोनों की संख्याओं के योग को कहते है। रव्यमान संख्या को <math>\mathbf{A}</math> से प्रदर्शित करते हैं।
द्रव्यमान संख्या= प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या

 दाब क्या है?
किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं।
27e61b1bb404542bf1dcc5a055640122
गणित की दॄष्टि में : -
146ffa227c9c02a846c1bd67cb6c537c
जहाँ:
83878c91171338902e0fe0fb97a8c47a दबाव है,
800618943025315f869e4e1f09471012 लम्ब बल है,
7fc56270e7a70fa81a5935b72eacbe29 क्षेत्रफल है।
दबाव एक अदिश राशि है। इसकी SI इकाई पास्कल है; 1 Pa = 1 N/m2

त्वरण क्या है?
किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं।
6d42fecf780004fafabcd576323e260b
या,
f55e053c47793cb6e365efa1cbd81f7a
उदाहरण : माना समय t=0 पर कोई कण 10 मीटर/सेकेण्ड के वेग से उत्तर दिशा में गति कर रहा है। 10 सेकेण्ड बाद उसका वेग बढ़कर 30 मीटर/सेकेण्ड (उत्तर दिशा में) हो जाता है। यह मानते हुए कि इस समयान्तराल में त्वरण का मान नियत है, त्वरण का मान
= (30 m/s - 10 m/s) / 10 सेकेण्ड = 2 मीटर प्रति सेकेण्ड2 होगा।
300px-Oscillating_pendulum

स्पर्शरेखीय तथा अभिकेंद्रीय त्वरण
किसी वक्र पथ पर गति करते हुए कण का वेग समय के फलन के रूप में निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है-
c63dc8c70132224dcb301c223e42a1b8
जहाँ v(t) पथ की दिशा में वेग है, तथा
ba425b52bb71ae6a5f278478b9df0435
गति की दिशा में गतिपथ के स्पर्शरेखीय इकाई सदिश है। ध्यान दें कि यहाँ v(t) तथा ut दोनों समय के साथ परिवर्तन्शील हैं, त्वरण की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जायेगी:[1]
56d807ba68865ad4d0021bedab06af1f
जहाँ un इकाई नॉर्मल सदिश (अन्दर की तरफ) है तथा r उस क्षण पर वक्रता त्रिज्या है। त्वरन के इन दो घटकों को क्रमशः स्पर्शरेखीय त्वरण (tangential acceleration) तथा नॉर्मल त्वरन या त्रिज्य त्वरण या अभिकेन्द्रीय त्वरण (centripetal acceleration) कहते हैं।

घनत्त्व क्या है?
घनत्त्व Density पदार्थ के इकाई आयतन में निहित द्रव्यमान को कहते हैं। यह सामान्य अनुभव है कि बराबर आयतन के विभिन्न पदार्थो का भार भिन्न-भिन्न होता है। यह भिन्नता पदार्थों के अणुओं या परमाणुओं के भार तथा पदार्थविशेष में उनकी संनिकटता पर निर्भर होती है, क्योंकि किसी विशेष पदार्थ के अणुओं तथा परमाणुओं का भार और उस पदार्थ में उनका रचनाक्रम लगभग निश्चित होता है। अत: पदार्थविशेष के निश्चित आयतन का भार भी निश्चित ही होता है। इकाई अयतन के पदार्थ की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। यह पदार्थ की सघनता का द्योतक है तथा पदार्थ का विशेष गुण होता है। उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार किसी वस्तु का घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:
घनत्व = मात्रा / आयतन
अत: सेंटीमीटर ग्राम सैकिण्ड पद्धति में घनत्व की इकाई ग्राम घन सेंटीमीटर है।
गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करते समय उनके ताप तथा दाब का भी निरीक्षण किया जाता है। पूर्वोक्त सूत्र की सहायता से किसी भीताप तथा दाब पर ज्ञात घनत्व से मानक दाब तथा ताप पर घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करने की दो मुख्य विधियाँ हैं:
रेनो की विधि : - इस विधि द्वारा उन पदार्थों का घनत्व ज्ञात किया जा सकता है जो सामान्य दाब तथा ताप पर गैसीय अवस्था में रहते हैं।
बराबर आयतन तथा भार के दो फ्लास्कों को अतिनिर्वात पम्प की सहायता से वायुशून्य कर एक सुग्राही तुला के पलड़ों के नीचे लटका देते हैं। ये फ्लास्क एक बक्स में रहते हैं, जिसका ताप स्थिर रखा जाता है। अब पलड़ों पर उपयुक्त भार रखकर तुला को संतुलित कर देते हैं। तत्पश्चात्‌ एक फ्लास्क को ज्ञात दबाव द पर गैस से भर देते हैं। फ्लास्कों को यथास्थान लटकाने पर यदि अब तुला को (<math>\mathrm{m}</math>) ग्राम मात्रा द्वारा संतुलित करें तो (<math>\mathrm{T}</math>) ताप तथा (<math>\mathrm{P}</math>) दाब पर गैस का घनत्व = [<math>\mathrm{D}</math>=<math>\mathrm{m}</math>/<math>\mathrm{V}</math>] होगा। यहाँ (<math>\mathrm{V}</math>) फ्लास्क का आयतन है। इसे फ्लास्क को ज्ञात घनत्व के द्रव से पूरा-पूरा भरकर तथा द्रव का भार ज्ञात कर मालूम कर सकते हैं। गैसीय पदार्थो का आपेक्षिक घनत्वहाइड्रोजन को मानक मानकर ज्ञात किया जाता हैं। उपर्युक्त प्रयोग को यदि हाइड्रोजन के साथ दोहराने पर उसकी मात्रा (<math>\mathrm{m}</math>0) ज्ञात हो तो उपर्युक्त गैस का आपेक्षिक घनत्व = <math>\mathrm{m}</math>/<math>\mathrm{m}</math>0
विक्टर मायर की विधि : - इस विधि का उपयोग अधिक ताप पर गैस बनने वाले पदार्थों के वाष्प का घनत्व ज्ञात करने में किया जाता है। नीचे उपकरण चित्रित है। फ्लास्क  में ऐसा पदार्थ 2 लिया जाता है जिसका क्वथनांक पदार्थ  के (जिसके वाष्प का घनत्व ज्ञात करना है) क्वथनांक से अधिक हो। फ्लास्क फ को गरम करते हैं। नली  में पदार्थ  की ज्ञात मात्रा (<math>\mathrm{m}</math>) रख देते हैं। नली  से एक पतली नली एक चिह्नित नली  में खुलती है, जो द्रव 1 से भरी होती है। 1 ऐसा द्रव होता है जिसके साथ पदार्थ  का वाष्प कोई प्रक्रिया नहीं करता। गरम होने पर पदार्थ  वाष्प रूप हो जाता है। इसका वाष्प नली  में भर जाता है। यह वाष्प अपने आयतन के अनुसार वायु के नली  से  में निकाल देता है। इसी अयतन  (<math>\mathrm{V}</math>) का द्र  के बाहर आ जाता है, जो चिह्नित नली में द्रव 1 की सतह के परिवर्तन से ज्ञात होता है। यदि द्रव 1 का का ताप ता1 (<math>\mathrm{T}</math>1) तथा यदि सामान्य ताप पर 1 की वाष्पदाब वा1 (<math>\mathrm{P}</math>1) है, तो (वा-वा1) [<math>\mathrm{P}</math>-<math>\mathrm{P}</math>1]
दबाव पर तथा ता1 (<math>\mathrm{T}</math>1) ताप पर उपर्युक्त पदार्थ के वाष्प का भार 1 (<math>\mathrm{m}</math>) होगा, जब वा1 (<math>\mathrm{P}</math>) वायुमंडल की दाब है। अत: मानक दाब तथा ताप पर वाष्प का घनत्व  (<math>\mathrm{D}</math>) निम्नांकित होता है :
<math>\mathrm{D}</math> = <math>\frac {m . 760 (273 + T_1)} {(P - P_1) V . 760}</math>

साभार - BhartKosh,
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