आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में 100 अरब से 400 अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 50 अरब ग्रह होंगे, जिनमें से 50 करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् 2011 में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग 22.5 से 25 करोड़ वर्ष लग जाते हैं। संस्कृत और कई अन्य हिन्द-आर्य भाषाओँ में हमारी गैलॅक्सी को "आकाशगंगा" कहते हैं। पुराणों में आकाशगंगा और पृथ्वी पर स्थित गंगा नदी को एक दुसरे का जोड़ा माना जाता था और दोनों को पवित्र माना जाता था। प्राचीन हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में आकाशगंगा को "क्षीर" (यानि दूध) बुलाया गया है। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर भी कई सभ्यताओं को आकाशगंगा दूधिया लगी। "गैलॅक्सी" शब्द का मूल यूनानी भाषा का "गाला" (γάλα) शब्द है, जिसका अर्थ भी दूध होता है। फ़ारसी संस्कृत की ही तरह एक हिन्द-ईरानी भाषा है, इसलिए उसका "दूध" के लिए शब्द संस्कृत के "क्षीर" से मिलता-जुलता सजातीय शब्द "शीर" है और आकाशगंगा को "राह-ए-शीरी" (راه شیری) बुलाया जाता है। अंग्रेजी में आकाशगंगा को "मिल्की वे" (Milky Way) बुलाया जाता है, जिसका अर्थ भी "दूध का मार्ग" ही है।
आकाशगंगा का आकार
आकाशगंगा का आकार
आकाशगंगा एक सर्पिल (अंग्रेज़ी में स्पाइरल) गैलेक्सी है। इसके चपटे चक्र का व्यास (डायामीटर) लगभग 1,00,000 (एक लाख) प्रकाश-वर्ष है लेकिन इसकी मोटाई केवल 1,000 (एक हज़ार) प्रकाश-वर्ष है। आकाशगंगा कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है के अगर हमारे पूरे सौर मण्डल के चक्र के क्षेत्रफल को एक रुपये के सिक्के जितना समझ लिया जाए तो उसकी तुलना में आकाशगंगा का क्षेत्रफल भारत का डेढ़ गुना होगा। अंदाज़ा लगाया जाता है के आकाशगंगा में कम-से-कम 1 खरब (यानि 10,000 करोड़) तारे हैं, लेकिन संभव है कि यह संख्या 4 खरब तक हो। तुलना के लिए हमारी पड़ोसी गैलेक्सी एण्ड्रोमेडा में 10 खरब तारे हो सकते हैं। एण्ड्रोमेडा का आकार भी सर्पिल है। आकाशगंगा के चक्र की कोई ऐसी सीमा नहीं है जिसके बाद तारे एकदम न हों, बल्कि सीमा के पास तारों का घनत्व धीरे-धीरे कम होता जाता है। देखा गया है के केंद्र से 40,000 प्रकाश वर्षों की दूरी के बाद तारों का घनत्व तेज़ी से कम होने लगता है।
वैज्ञानिक इसका कारण अभी ठीक से समझ नहीं पाए हैं। मुख्य भुजाओं के बाहर एक अन्य गैलेक्सी से अरबो सालों के काल में छीने गए तारों का छल्ला है, जिसे इकसिंगा छल्ला (मोनोसॅरॉस रिन्ग) कहते हैं। आकाशगंगा के इर्द-गिर्द एक गैलेक्सीय सेहरा भी है, जिसमें तारे औरप्लाज़्मा गैस कम घनत्व में मौजूद है, लेकिन इस सेहरे का आकार आकाशगंगा की दो मॅजलॅनिक बादल (Magellanic Clouds) नाम की उपग्रहीय गैलेक्सियों के कारण सीमित है।