नेशनल स्टॉक एक्सचेंज/बीएसई सेंसेक्स - Study Search Point

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज/बीएसई सेंसेक्स

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है। यह मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 मे हुई थी। कारोबार के लिहाज से यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसके वीसैट (VSAT) टर्मिनल भारत के 320 शहरों तक फैले हुए हैं। 

उद्देश्य
यह संस्था लोगों की वित्तीय भलाई को बढ़ाने के लिए समर्पित है और उनके लाभ के सन्दर्भ में अपने कार्यों को सम्पादित करता है!
दृष्टि
एक नेता किभुमिका अदा करना और की संस्थान वैश्विक उपस्थिति को मजबूत बनाये रखना. साथ ही लोगों को वित्तीय उपलब्धि के सन्दर्भ में मदद करना!
मूल्य
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निम्नलिखित बुनियादी मूल्यों के लिए समर्पित है :
  • वफ़ादारी
  • ग्राहक केंद्रित संस्कृति
  • व्यक्ति के प्रति सम्मान, देखभाल और विश्वास
  • टीमवर्क
  • उत्कृष्टता के लिए जुनून



बीएसई सेंसेक्स

भारत में शेयर बाजार का मापक मुंबई शेयर बाजार (बीएसई) का संवेदी सूचकांक ने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश किया है। इसकी स्थापना 2 जनवरी 1986 को उस समय की काफी सक्रिय 30 शेयरों के साथ हुई थी, 1979 आधार वर्ष था। आजकल संवेदी सूचकांक के 30 शेयर बीएसई के कुल पूंजीकरण का लगभग 15वां हिस्सा है।
     

बीएसई में 4700 से अधिक कंपनियां सूचीबध्द हैं जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार बनाती हैं। हालांकि सभी शेयरों में सक्रिय कारोबार नहीं होता। उनसे भी थोड़े से शेयरों से ही बाजार और अर्थव्यवस्था के रूख के बारे में पता चलता है।
संवेदी सूचकांक की स्थापना के समय मुंबई शेयर बाजार ने कहा था, न्न बाजार के सामान्य रूख को प्रदर्शित करने के लिए इक्विटी मूल्यों के सूचकांक की कमी काफी समय से निवेशकों और समाचार पत्रों द्वारा महसूस की जा रही थी, क्योंकि वे अपना सूचकांक तैयार नहीं कर पाते थे। सेंसेक्स मूल्य आधारित सूचकांक है और इसकी गणना विमुक्त प्रवाह पूंजीकरण प्रक्रिया के आधार पर होती है। यह प्रक्रिया एक कंपनी के जारी कुल शेयरों के बाजार -पूंजीकरण की पूर्व की प्रक्रिया से अलग है। इसमें कंपनी की केवल उन शेयरों का उपयोग किया जाता है जो कारोबार के लिए पूरी तरह उपलब्ध है। इस विमुक्त प्रवाह प्रक्रिया में प्रोमोटर, सरकार और सांस्थानिक निवेशकों के शेयर शामिल नहीं है। यह प्रक्रिया, बाजार के रूख की सही तस्वीर पेश करने के लिए 1 सितंबर 2003 को लागू की गयी थी।
सेंसेक्स की गणना में 30 कंपनियों के विमुक्त प्रवाह पूंजीकरण को सूचकांक विभाजक से विभाजित कर दिया जाता है। यह विभाजक ही सेंसेक्स के मूल आधार वर्ष से संबध्द होता है। यह सूचकांक को तुलनात्मक बनाता है तथा कारपोरेट गतिविधियों से अथवा शेयर बदलने इत्यादि से सूचकांक में होने वाले फेरबदल के लिए परिवर्तन बिंदु भी है। सूचकांक का स्वरूप भी कई बार बदल गया है शुरू की 30 मूल कंपनियों में से 11 ही अभी इसका हिस्सा बनी हुई है।
1986 में संसेक्स में एसीसी, बाम्बे डाइंग, बल्लारपुर इंडस्ट्रीज, सीएट टायर्स, सेंचुरी स्पीनिंग, फूड स्पेशलिटीज़ (अब नेस्ले), ग्रेट इस्टर्न शिपिंग, जीएसएफसी, ग्लैक्सो, ग्वालियर रेयॉन (अब ग्रासिम), हिन्दुस्तान एल्युमिनियम (अब हिंडाल्को), हिन्दुस्तान लीवर (अब हिन्दुस्तान यूनीलीव), हिन्दुस्तान मोटर्स, इंडियन होटल्स, इंडियन रेयॉन, आईटीसी, किर्लोस्कर कुम्मिन्स, लार्सन एंड टूब्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मुकंद, पीस इलेक्ट्रानिक्स (अब फिलीप्स), प्रीमियर ऑटोमोबाइल, रिलांयस इंडस्ट्रीज, सीमेंस, टेल्को (अब टाटा मोटर्स), टाटा पावर, टाटा स्टील, वोल्टाज और जेनिथ कंपनियां शामिल थीं।
फिलहाल इसमें एसीसी, भेल, भारती एयरटेल, डीएलएफ, ग्रासिम, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, हीरो होंडा, हिंडाल्को, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, आईसीआईसीआई बैंक, इंफोसिस, जयप्रकाश एसोसिएट्स, लार्सन एंड टूब्रो, महिंद्रा एवं महिंद्रा, मारूति उद्योग, एनटीपीसी, ओएनजीसी, रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस इफ्रास्ट्रक्चर, भारतीय स्टेट बैंक, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, सनफार्मा, टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा स्टील और विप्रो कंपनियां शामिल हैं।
भारतीय निगमित क्षेत्र ने जो नया आयाम प्राप्त किया है उससे उसकी परिवर्तित स्थिति का स्पष्ट संकेत मिलता है। भारत की तीन बड़ी आईटी-आईटीईएस कंपनिओं टीसीएसइंफोसिस और विप्रो की उपस्थिति से सूचना प्रौद्योगिकी जगत में उसकी पहले से पहुंच रेखांकित होता है। विनिवेश नीति के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र की पांच कंपनियों के प्रवेश ने छिपी संपदा को सबके सामने रख दिया है। तीन रिलायंस कंपनियों की उपस्थिति से निगमों के विभाजन का झलक मिलता है, वहीं भारती एयरटेल, जयप्रकाश एसोसियेट्स और स्टेरलाइट की पहुंच से नई निगमित हस्तियों का आगमन हुआ है और हाल के पिछले वर्षों की नामी कंपनियों जैसे बाम्बे डायिंग, सेंचुरी, हिन्दुस्तान मोटर्स, प्रीमियर आटोमोबाइल्स और ग्रेट इस्टर्न शिपिंग आदि को संवेदी सूचकांक से हटना पड़ा है।
प्राय: यह कहा जाता है कि शेयर बाजार देश के आर्थिक स्वास्थ्य को ठीक रखने और उसकी प्रगति बनाये रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह डोव जोन्स के 1884 के निर्माण से शुरू होता है। अब दुनिया में कई शेयर बाजार सूचकांक हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं – एस एंड पी ग्लोबल, डोव जोन्स, एफटीएसई, हांगसेंग एंड निक्केइ। निवेशकों में इनकी अत्यधिक लोकप्रियता के बावजूद इनकी अनेक अवसरों पर बहुत अधिक आलोचना भी हुई है। गड़बड़ घोटाले, निगमित भ्रष्टाचारों, कृत्रिम रूप से शेयरों के अत्यधिक मूल्य दिखाने, शोध फर्मों केर् कत्तव्य और हितों में टकराव आदि अनेक उदाहरण मिलते हैं। इससे बाजार में अस्थिरता पैदा होती है, सूचंकांकों की छवि खराब होती है, क्योंकि तब यह सूचीबध्द कंपनी के सही स्वास्थ्य का परिचायक नहीं रह जाता।
इसके बावजूद शेयर बाजार और उनके सूचकांकों का अभी बहुत महत्व बना हुआ है। शेयर बाजार अर्थव्यवस्था को जरूरी तरलता उपलब्ध कराते हैं। भारत के दो प्रमुख बाजार बीएसई सेंसेक्स एवं निपऊटी ने भारतीय पूंजी बाजार को विश्व मानचित्र पर उत्कृष्ट स्थान दिलाने में बहुत योगदान किया है। 
समय के साथ नए नए क्षेत्र की कंपनियों की बढ़ी संख्या को ध्यान में रख बीएसई ने सेक्टरल सूचकांक की रचना की। 1999 में पांच सेक्टरल सूचकांक प्रारंभ किए गए। 2001 में बीएसई ने पीएसयू इंडेक्स, डोलेक्स-30 और पहली बार बीएसई टेक इंडेक्स का श्रीगणेश किया था। एक्सचेंज द्वारा शेयर सूचकांक के साथ उस सूचकांक की प्रति शेयर आय, बुक वैल्यू रेशियो और प्रतिशत में लाभांश यील्ड (आय) की भी जानकारी दी जाती है। बीएसई इंडेक्स को ट्रेडिंग के दौरान हर 15 सेकेंड में अपडेट करता है। एक्सचेंज की `इंडेक्स कमिटी' द्वारा बीएसई सूचकांक में समय समय पर संशोधन किया जाता है।
उपरोक्त अनुसार बीएसई द्वारा 'सेक्टरल इंडेक्स' के तहत बीएसई टेक्नॉलॉजी (आईटी), बीएसई पीएसयू, बीएसई ऑटो, बीएसई बैंकएक्स, बीएसई कंज्यूमर गुड्स (सीजी), बीएसई कंज्यूमर डयुरेबबल (सीडी), बीएसई एफ एम सी जी, बीएसई हेल्थ केयर (एचसी), बीएसई आई टी, बीएसई मेटल और बीएसई आयल एंड गैस जारी किया जाता है। इस इंडेक्स का मार्केट कैपिटलाइजेशन के अलावा उसके साथ वर्ष का ऊँचा-नीचा स्तर भी दिया जाता है।

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