आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, और चोर बाजारी निवारण अधिनियम 1980., - Study Search Point

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आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, और चोर बाजारी निवारण अधिनियम 1980.,

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वर्ष 2019 यानी पिछले वर्ष दिसंबर माह के अंत होते-होते चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ नोवल कोरोना वायरस अब विश्व के 160 से अधिक देशों में फैल चुका है, जिससे विश्व के लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, और वही हजारों लोगों की मौत हो गई हैं।
नोवल कोरोना वायरस के तमाम देशों में फैलने के साथ ही लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल व्याप्त हो गया है, जिसके चलते आवश्यक वस्तुओं लोग थोक के आधार पर खरीदने लगे हैं, जिससे वस्तुओं की खरीद को लेकर अमेरिकी और यूरोपीय देशों में लोगों के बीच हिंसक झड़पें भी देखने को मिल रही है।
भारत में वायरस के फैलने के साथ ही भारत सरकार ने कुछ वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शामिल किया है, जिसमें मास्क और सैनिटाइजर को आवश्यकता वाली वस्तु घोषित किया गया है। ताकि इन वस्तुओं की कालाबाजारी और उच्च मनमानी कीमतों पर रोक लगाई जा सके।
मास्क तथा सैनिटाइजर के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा घोषित आवश्यक वस्तुओं पर राज्य अपने राजकीय आदेश पत्र में इसे अधिसूचित कर सकती है, तथा आवश्यक वस्तु के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकती है।
संबंधित परिस्थितियों के अनुसार इन वस्तुओं पर आवश्यक कार्यवाही भी कर सकती है जिसमें राज्य इन सामानों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उत्पादक कंपनियों को कह सकता है, आपूर्ति बाधित ना हो इसके लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर सकता है।
उत्पादों पर राज्य सरकार कीमत नियंत्रण कर सकती है, MRP से ज्यादा कीमतों पर वस्तुओं को बेचने वाले विक्रेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है, कानून का उल्लंघन करने पर संबंधित लोगों को सात साल की सजा का तथा जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 -
आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को सुनिश्चित करने तथा बेईमान व्यापारियों के शोषण से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए भारत सरकार ने कई कानून बनाए हैं।
इनमें आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, चोर बाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम 1980 शामिल है।
हालांकि इनमें समय-समय पर वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए संशोधन होता रहा है।

आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधान -
अनिवार्य वस्तुओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा बेईमान व्यापारियों से उपभोक्ताओं को शोषण से बचाना इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य रहा है।
केंद्र सरकार इस कानून के द्वारा अपने अभ्यस्त विभिन्न मंत्र मंत्रालयों विभागों के द्वारा प्रदत्त शक्तियों से राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेशों के क्षेत्रों में आवश्यक घोषित की गई वस्तुओं के उत्पादन वितरण मूल्य निर्धारण और व्यापारिक पहलुओं को विनियमित करने के लिए आदेश जारी कर सकती है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधानों को लागू करना राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की राज्य प्रशासकों की जिम्मेदारी होती है, आरंभ में इस कानून का विस्तार जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में किया गया था।
 1962 में दादरा नगर हवेली को भी इसमें शामिल किया गया1968 में इस कानून का विस्तार जम्मू-कश्मीर में भी किया गया।
अतः 1968 के अधिनियम संख्या 25 की धारा 2 की अनुसूची के द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को पूरे भारत में लागू किया गया।
गरीबों, कमजोर तबके के लोगों और किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए आवश्यक समझी जाने वाली केवल 7 वस्तुओं को इस अधिनियम के तहत शामिल किया गया है, जिसमें - औषधियां, उर्वरक, अकार्बनिक, कार्बनिक पदार्थ तथा मिश्रित पदार्थ खाद्य पदार्थ जिसके तहत तिलहन और तेल शामिल किए गए थे। तो वही पूर्णतः सूत से निर्मित हैक यार्नट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पाद एवं जूट के वस्त्र भी इसमें शामिल किए गए थे,
खाद्य फसलों के बीच, फलों सब्जियों के बीच, पशु चारे के बीच, जूट के बीच, और विनोला भी इसमें शामिल किया गया है। खाद्य फसलों के तहत गन्ने की फसल भी इसी में शामिल की गई है।
केंद्र सरकार को लगने पर ही किसी वस्तु को आवश्यक वस्तु की प्रदाय को बनाए रखने या बढ़ाने के लिए या उसका सामूहिक वितरण, उचित कीमतों पर उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने, भारत की रक्षा करने के लिए या सैनिक संक्रियाओं के दक्षय संचालन के लिए, किसी आवश्यक वस्तु की प्राप्ति के लिए, ऐसा करना आवश्यक हो तो वह आदेश द्वारा उन वस्तुओं पर उपबंध बना सकती है।

आवश्यक वस्तु अधिनियम लागू करने की शक्ति -
आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 के तहत केंद्र सरकार को किसी वस्तु पर आदेश देने या अधिसूचना जारी करने का अधिकार दिया गया है।
इसके तहत केंद्र सरकार के अधिनस्थ ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी, राज्य सरकार या राज्य सरकार के अधीनस्थ अधिकारी जो निदेश में विनिर्दिष्ट हो वह इस कानून को लागू करने का अधिकारी होता है।

चोर बाजारी निवारण अधिनियम 1980 -
आवश्यक वस्तुओं की चोर बाजारी और कालाबाजारी रोकने तथा आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के मकसद से सरकार ने 1980 में चोर बाजारी निवारण और आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम लागू किया।
केंद्र सरकार के साथ- साथ राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तुओं पर मुख्य रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आने वाली वस्तुओं की जमाखोरी, चोर बाजारी जैसी अनैतिक व्यापार पद्धतियों को रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम तथा चोर बाजारी निवारण अधिनियम को लागू करने का अधिकार हैं।
समय-समय पर इन अधिनियम पर शामिल कई वस्तुओं को जरूरत के हिसाब से जोड़ा और हटाया जाता रहा है।
 वर्ष 2006 में केंद्र सरकार ने के केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक स्थाई समिति की सिफारिश पर संशोधन किया था, इस संशोधन के जरिए स्वतंत्र व्यापार तथा वाणिज्य को सरल बनाने के लिए आवश्यक सूची को हटा दिया गया था।
 वर्ष 2016 में सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लाइसेंसिंग की जरूरत, वस्तुओं के भंडारण की सीमा और कुछ आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर रोक को खत्म कर दिया था।

आवश्यक वस्तु अधिनियम के फायदे -
विश्व के 160 से भी अधिक देशों में फैले नोवल कोरोना वायरस से लोग इतने भयभीत हैं, कि जरूरी चीजों की थोक में खरीदरी कर रहे हैं, अमेरिका से लेकर यूरोप तक लोग जरूरी चीजों को स्टांक करने के लिए आपस में ही लड़ रहे हैं।
अपवाहों तथा असुरक्षा से घिरे लोग जहां आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए उमड़ पड़े हैं, तो वहीं बाजार भी इन मांगों का भरपूर फायदाउठा रहे हैं।
सैनिटाइजर हो या मास्क भारत सहित दुनिया में दुगनी से भी ज्यादा कीमतों में बाजारों में मिल रहे हैं।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 का मकसद इस कानून के जरिए बाजार की इन मांग और पूर्ति में संतुलन स्थापित करने में कारगर साबित हुआ है, जिससे अनिवार्य वस्तुओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
यह कानून उपभोक्ताओं को कपटी व्यापारियों के शोषण से बचाता है, कानून के तहत वस्तुओं के उत्पादन वितरण और मूल्य निर्धारण और नियंत्रण करना भी शामिल किया गया है।
आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने तथा उसका वितरण समान रूप से हर क्षेत्र में हो सके इसे सुनिश्चित करना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
आवश्यक वस्तुओं की सूची में किसी भी वस्तु को शामिल करना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में होता है। इस सूची में शामिल वस्तुओं को उचित मूल्य में उपलब्ध कराना अनिवार्य होता है।

सजा का प्रावधान -
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कानून का उल्लंघन करने वालों को 7 वर्ष की कारावास या जुर्माने तथा कारावास एवं जुर्माना दोनों ही देने का प्रावधान किया गया है।
चोर बाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी को अधिकतम 6 माह के लिए नजर बंद करने का भी प्रावधान किया गया है।

कानून में सुधार की सिफारिशें -
सरकार ने माना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम वर्तमान दौर के परिपेक्ष में प्रासंगिक नहीं लगता है क्योंकि यह कानून उस समय बनाया गया था जब देश में सीमित संसाधन, भुखमरी और वित्तीय स्थिति कमजोर थी।
आर्थिक समीक्षा 2019-20 के अनुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम की व्यवस्था सीमित अप्रत्याक्षिक रूप से स्टॉक सीमाएं तय कर देती है, जिससे निजी क्षेत्रों को भंडारण अवसंरचना तैयार करने, कृषि उत्पादों की मूल्य संवर्धन श्रंखला तैयार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तो वहीं कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय बाजार विकसित करने में भी दिक्कतों का सामना करना होता है।
बाजार को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने और अर्थव्यवस्था में संपदा सृजन को बढ़ाने के लिए इस अधिनियम को अब खत्म कर देने की अनुशंसा की गई है।
सर्वेक्षण के अनुसार यह कानून अब केवल परेशानी का सबब बनता जा रहा है।
सरकार कृषि क्षेत्र में निजी निवेश के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में बड़े विधायी बदलाव करने की योजना बना रही है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम केवल तीन विशेष परिस्थितियों जैसे 1- बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति, 2- युद्ध तथा राष्ट्रीय आपात स्थिति और 3- किसी वस्तु के उत्पादन में 10 से 15% की गिरावट होने पर शामिल किया जाएगा
चावल, गेहूं, शुगर, और जूट के वितरण और उत्पादन के लिए इसी आवश्यक वस्तु अधिनियम का उपयोग होता रहा है।

याद रखें अपवाहों पर ध्यान ना दे, संयम रखें, एक आदर्श नागरिक बने अपने कर्तव्यों का पालन करें, एक दूसरे की मदद करें, इस महामारी से निपटने ने अपना अमूल्य सहयोग दें, सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करें।
" सूचना जन हित मे जारी"

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