चीन विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पूर्व में स्थित है। वहां की लिखित भाषा प्रणाली सर्वाधिक प्राचीनतम मानी जाती है। चीन शब्द 'चिन' से निकला है जो मार्को पोलो द्वारा पश्चिम में प्रचारित किया गया था। चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओ मे से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पूर्व मे स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं :- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशो में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं।
अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में 3,00,000 से 5,00,000 वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये -
अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में 3,00,000 से 5,00,000 वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये -
- जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है।
- चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है।
चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों मे से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव 22 लाख से 25 लाख वर्ष पहले आये थे।
चीन में बहुत प्राचीन काल का क्रमबद्ध इतिहास सुरक्षित है। ईसा से 2950 वर्ष पूर्व तक के राजवंश का पता चलता है। चीन की सभ्यता बहुत प्राचीन है, यहाँ तक कि यूरोप की सभ्यता का बहुत कुछ अंश— जैसे, पहनावा, बैठने और खाने पीने आदि का ढंग, पुस्तक छापने की कला आदि — चीन से लिया गया है। यहाँ ईसा के 217 वर्ष पूर्व से बौद्ध धर्म का संचार हो गया था पर ईसवीं सन् 61 में मिंगती राजा के शासनकाल में जब भारतवर्ष से ग्रंथ और मूर्तियाँ गई, लोग बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित होने लगे। सन् 67 में कश्यप मतंग नामक एक बौद्ध पंडित चीन में गए और उन्होंने 'द्वाचत्वारिंशत् सूत्र' का चीनी भाषा में अनुवाद किया। तबसे बराबर चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार बढ़ता गया। चीन से झुंड के झुंड यात्री विद्याध्ययन के लिये भारतवर्ष में आते थे। चीन में अब तक ऐसे कई स्तूप पाये जाते हैं जिनके विषय में चीनियों का कथन है कि वेसम्राट अशोक के बनवाये हुए हैं।
विशेष तथ्य -
राजधनी | बीजिंग |
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सबसे बड़ा शहर | |
प्रमुख भाषा |
मानक चीनी
(मंदारिन/प्युटॉनघुआ)
|
सरकार | एक दलीय व्यवस्था |
इंटरनेट टीएलडी | .cn |
दूरभाष कोड | +86 |
कुल क्षेत्रफल : 9,596,961 वर्ग किमी., भू-क्षेत्रफल : 9,569,901 वर्ग किमी., जलीय क्षेत्रफल : 27,060 वर्ग किमी., स्थल सीमा रेखा : 22,117 किमी., समुद्री तट रेखा : 14,500 किमी.
जनसंख्या : 1,330,141,295 (2010 अनु.); जनसंख्या आयु वर्ग : 0-14 वर्ष 19.8', 15-64 वर्ष 72.1', 65 वर्ष से अधिक 8.1', जनसंख्या वृद्घि दर : 0.49' (2010 अनु.),
जन्म दर : 12.17/1000, मृत्यु दर : 6.89/1000, आयु प्रत्याशा : 74.51 वर्ष (2010 अनु.), पुरुष 72.54 वर्ष, महिला 76.77 वर्ष, लिंगानुपात : 1.17 पुरुष/महिला, शिशु
मृत्यु दर : 16.51/1000, नगरीकरण : कुल जनसंख्या का 43'
प्रमुख शहर : शंघाई, तियानजिन, बुहान, शेनयांग, गुआंगझाऊ, बीजिंग.
भारत के साथ सम्बन्ध
आर्थिक महाशक्ति बन चुका चीन व्यापारिक क्षेत्र में भारत का प्रमुख प्रतिद्वंदी है। भारत के साथ उसका सीमा विवाद भी है। यूरोपीय देशों एवं अमेरिका से भारत की नजदीकी चीन को सुहा नहीं रही है इसलिय वह भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मजबूत करने का काम कर रहा है।
इतिहास -
चीन में सर्वप्रथम मानव बस्तियों के प्रमाण 5000 ई.पू. के आसपास पाए जाते हैं। इन बस्तियों के अवशेष हुआंग हे बेसिन में पाए गए हैं। शांग वंश (1500-1000 ई.पू.) के शासनकाल में चीनी संस्कृति का विकास हुआ। चाऊ वंश (1122-249 ई.पू.) के शासनकाल के दौरान लाओ त्से, कन्फ्यूशियस, मो ती और मेन्सियस जैसे विचारकों ने चीनी दार्शनिक चिंतन को ऊँची भावभूमि पर पहुँचाया। सम्राट चिन शिह हुआंग ती (246 - 210 ई.पू.) ने अपने शासनकाल के दौरान सामंतों की ताकत को दबाकर चीन को एकता के सूत्र में बांधा और विदेशी आक्रमण से रक्षा के लिए 'चीन की दीवार' (Great Wall of China) का निर्माण कराया। तांग वंश (618 - 907 ई.) के शासनकाल को चीनी इतिहास का स्वर्ण युग कहते हैं। चित्रकारी, स्थापत्य कला और कविता का विकास हुआ और इसी दौरान 'वुडब्लॉक प्रिंटिंग की भी शुरुआत हुई। इससे वृहद् स्तर पर छपाई का काम प्रारम्भ हुआ। मंगोलों ने भी यहाँ शासन किया। कुबलई खान मंगोलों का प्रसिद्ध राजा था। काफी लम्बे अर्से तक चीन ने दुनिया से अपने-आप को अलग रखा और विदेशी गतिविधियों पर कड़ी रोक लगाई। किंतु 1839-1842 के एंग्लो-चीनी युद्ध के बाद स्थिति में परिवर्तन आया और विदेशी औपनिवेशक ताकतों का देश में हस्तक्षेप बढ़ गया। युद्ध के पश्चात् चीन के कई बंदरगाह विदेशी व्यापार के लिए खोल दिए गए और हाँगकाँग ब्रिटिश उपनिवेश हो गया। 1856 - 60 के युद्ध के पश्चात् चीनी सम्प्रभुता का हनन हुआ और पश्चिमी नागरिकों को चीनी कानून में काफी छूट दी गई। 1894 के चीनी-जापानी युद्ध का यूरोपीय ताकतों ने भरपूर फायदा उठाया और उन्हें चीन में व्यापार के लिए कई नाजायज फायदे प्रदान किए गए। इसके विरोध में बॉक्सर विद्रोह हुआ जिसे यूरोपीय ताकतों ने कुचल दिया। 1911 में डॉ. सन यत-सेन के नेतृत्व में राष्टरवादियों ने राजशाही के खिलाफ विरोध करके सत्ता पर कब्जा कर लिया और अंतरिम चीनी गणराज्य की स्थापना की। डॉ. सन गणराज्य के प्रथम राष्टरपति बने। इसके पश्चात् देश में अशांति का माहौल रहा। जल्दी ही जनरल चियांग काई-शेक ने कम्युनिस्टों की मदद से अधिकांश चीन पर कब्जा कर लिया और 1928 में क्योमिंतांग की स्थापना की।
18 सितम्बर, 1931 को जापान ने चीन पर आक्रमण करके मंचूरिया पर कब्जा कर लिया। 1945 में चीन ने मित्र राष्ट्ररों की सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इसी के साथ चीन में चियांग काई शेक की सेनाओं और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों के मध्य गृहयुद्ध छिड़ गया। अमेरिका के समर्थन के बावजूद चियांग काई शेक की करारी पराजय हुई और माओत्से तुंग ने 1 अक्टूबर, 1949 को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की घोषणा कर दी। चियांग काई शेक ने फारमोसा (ताइवान) में अंतरिम सरकार की स्थापना की। माओ त्से तुंग ने चीन में कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना की। कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों की वजह से 1960 के दशक के दौरान चीन को भयानक सूखे का सामना करना पड़ा जिसमें 2 करोड़ लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। 1965 में चीन ने तिब्बत को अपना स्वायत्त प्रांत घोषित कर दिया। माओ की नाकाम आॢथक नीतियों की वजह से कम्युनिस्ट पार्टी के एक समूह ने उनका विरोध शुरु कर दिया जिसकी बागडोर डेंग जिआओपिंग के हाथ में थी। विरोध को दबाने के लिए माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति (Cultural Revolution) का नारा उछाला जिसके तहत तमाम स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए और युवकों के नेतृत्व में विचारधारा के स्तर पर उग्र 'रेड गाडर््स' की स्थापना की गई। सांस्कृतिक क्रांति के दौरान लाखों लोगों की मौत हुई। इससे माओ की स्थिति एक बार फिर से मजबूत हो गई।जुलाई 1971 में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत चीन और अमेरिका के मध्य रिश्तों में गर्माहट पैदा हो गई। इससे सोवियत संघ के साथ उसके रिश्ते और भी खराब हो गए। इसी दौरान चीन का संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश भी हुआ।
8 जनवरी, 1976 को माओ त्से तुंग की मृत्यु हो गई। हुआ गुओफेंग उनके उत्तराधिकारी बने। 1 जनवरी, 1979 को बीजिंग और वाशिंगटन के मध्य पूर्ण राजनयिक सम्बन्ध स्थापित हो गए। 1981 में डेंग जिआओपिंग चीन के सर्वोच्च नेता बन गए। डेंग के नेतृत्व में 1980 के दशक के दौरान युगांतकारी आॢथक सुधार लागू किए गए। कम्युनिस्ट पार्टी ने सुधारवादी रवैया अपनाया और पश्चिमी तकनीक और प्रबंधन कौशल पर जोर दिया। 1989 में थ्येनमान चौक में हजारों प्रदर्शनकारियों की मौत ने चीन की छवि को गहरा धक्का पहुँचाया। 1993 में जियांग जेमिन कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। यह वह दौर था जब चीनी अर्थव्यवस्था का ग्राफ ऊँचा उठना शुरु हो चुका था। फरवरी 1997 में डेंग जिआओपिंग की मृत्यु के बाद पार्टी पर युवा नेताओं की पकड़ मजबूत हो गई। 1998 में प्रधानमंत्री झू रोंगजी ने राज्य संचालित कंपनियों के निजीकरण के लिए आर्थिक उदारीकरण की नीति लागू की। 1 जुलाई, 1997 को ब्रिटेन ने हाँगकाँग चीन को वापस कर दिया। 1999 में पुर्तगाल ने भी मकाओ चीन को वापस कर दिया। नवम्बर 2001 में चीन को विश्व व्यापार संगठन में प्रवेश दे दिया गया। नवम्बर 2002 में कम्युनिस्ट पार्टी की 16वीं कांग्रेस में उपराष्टï्रपति हू जिनताओ को पार्टी का महासचिव चुना गया। किंतु जियांग जेमिन ने सेना प्रमुख रहने के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण पदों को अपने पास रखा। मार्च 2003 में हू जिनताओं ने राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया। 24 सितम्बर 2004 को पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन ने सेना प्रमुख का पद भी छोड़ दिया, जिससे हू जिनताओ चीन के निॢववाद नेता हो गए। ऐतिहासिक रूप से चीन को सिना या सिनो, सिने, कैथे, या पश्चिमी देशों द्वारा सेरेस के नाम से भी जाना जाता है। चीन का आधिकारिक नाम प्रत्येक वंश के साथ बदलता रहा है और सबसे प्रचलित और आम नाम है झोंग्गुओ (中國), जिसका अर्थ है "केंद्रीय राष्ट्र", या "मध्य साम्राज्य"।
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