पंजाब राज्य का स्थापना दिवस - Study Search Point

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पंजाब राज्य का स्थापना दिवस

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भारत के उत्तर पश्चिम में पंजाब राज्य है ,जिसकी सीमायें पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में जम्मू और कश्मीर राज्य, उत्तर पूर्व मेंहिमाचल प्रदेश और दक्षिण में हरियाणा और राजस्थान राज्य हैं। 'पंजाब' शब्द फारसी के 'पंज' जिसका अर्थ होता है 'पांच' और 'आब' जिसका अर्थ होता है 'पानी' के मेल से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ 'पांच नदियों का क्षेत्र' है। इसलिए इसे पाँच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। ये पांच नदियां हैं- सतलुज नदीव्यास नदीरावी नदीचिनाव नदीझेलम नदी..,


आज़ादी के बाद सन् 1947 में भारत के विभाजन के समय चिनाब और झेलम नदियां पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चली गयीं थीं। 20 ज़िलों के इस ख़ूबसूरत राज्य में अब चार नदियाँ बहती हैं- सतलुज, व्यास, रावी,और घग्गर.., भूमि उपजाऊ होने और पानी की अच्छी व्यवस्था होने के कारण एक मुहावरा प्रयोग में लाया जाता है कि यहाँ 'धरती सोना उगलती' है। पंजाब का क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर है। पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ है जो संयुक्त रूप से पंजाब और हरियाणा प्रदेश की राजधानी है। और 2001 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 243.59 लाख है। राज्य में साक्षरता 52 प्रतिशत है। पंजाब में मुख्य रूप से पंजाबी और हिन्दी भाषा बोली जाती हैं। राज्य के मुख्य नगर अमृतसरजालंधरलुधियाना और पटियाला हैं।

इतिहास

प्राचीन समय में पंजाब भारत और ईरान का क्षेत्र था। यहाँ मौर्य, बैक्ट्रियन, यूनानी, शककुषाणगुप्त आदि अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। पंजाब मध्यकाल में मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। यहाँ सबसे पहले गज़नवीग़ोरीग़ुलाम वंशख़िलजी वंश,तुग़लक,लोदी और मुग़ल वंश के शासकों ने यहाँ राज किया। 15वीं और 16वीं शती में गुरु नानकदेव जी की शिक्षाओं से भक्ति आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा। सिख पंथ ने एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया, मूल रूप से जिसका उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों को दूर करना था। दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को 'खालसा पंथ' के रूप में संगठित किया। मुग़लों के दमन और अत्याचार के ख़िलाफ़ सिक्खों को एकत्र करके 'पंजाबी राज' की स्थापना की। पंजाब में ही बनवारीदास ने उत्तराडी साधुओं की मंडली बनाई थी। एक फ़ारसी लेखक ने लिखा है कि 'महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब को 'मदम कदा'('बाग़-ए-बहिश्त')' अर्थात स्वर्ग में बदल दिया था। उनके देहांत के बाद अंग्रेज़ों की साज़िशों से यह साम्राज्य समाप्त हो गया। 1849 में दो युद्धों के बाद पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य में आ गया था।
गांधी जी के स्वतंत्रता आन्दोलन से पहले ही ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ पंजाब में संघर्ष प्रारम्भ हो गया था। स्वतंत्रता संग्राम में लाला लाजपतराय ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब के नागरिकों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। देश हो या विदेश, पंजाब बलिदान में सबसे आगे रहा। विभाजन का कष्ट भी उठाना पड़ा जिसके कारण बड़े पैमाने पर रक्तपात और विस्थापन का दंश उठाया और पुनर्वास के साथ साथ राज्य के नये सिरे से संगठित करने की चुनौती का बख़ूबी सामना किया। पूर्वी पंजाब की आठ रियासतों को मिलाकर नया राज्य 'पेप्सू' बनाया गया और 'पूर्वी पंजाब राज्य संघ, पटियाला' का निर्माण करके पटियाला को इसकी राजधानी बनाया गया। 1956 में 'पेप्सू' को पंजाब में मिला दिया गया। 1966 में पंजाब के कुछ भाग से 'हरियाणा' राज्य का निर्माण किया गया।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में पंजाब के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- करतार सिंह सराभा ·ऊधम सिंह · भगतसिंह · सुखदेव · लाला लाजपत राय · राजकुमारी अमृत कौर · प्रताप सिंह कैरों · सोहन सिंह भकना · इन्द्र विद्यावाचस्पति · जगतराम · भाई परमानन्द · गुरुबख्श ढिल्लो · मदन लाल ढींगरा · गुरदयाल सिंह ढिल्‍लों · पंडित कांशीराम · राम सिंह · गोकुलचन्द नारंग · हरि किशन सरहदी · बलवंत सिंह ·
भू-आकृति
पंजाब का अधिकांश हिस्सा समतल मैदानी है, जो पूर्वोत्तर में समुद्र तल से लगभग 275 मीटर से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 168 मीटर की ऊँचाई की अनुवर्ती ढलान वाला है। भौतिक रूप से इस प्रदेश को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। पूर्वोत्तर में 274-914 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शिवालिक पहाड़ियाँ राज्य का बहुत ही छोटा हिस्सा हैं। दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियाँ संकरे और लहरदार तराई क्षेत्र के रूप में फैली हुई हैं, जिनसे होकर कई मौसमी धाराएँ बहती हैं। इनका स्थानीय नाम चोस है और इनमें से कई मैदानों में किसी नदी में शामिल हुए बिना ही समाप्त हो जाती हैं। तीसरा क्षेत्र जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी वाला विशाल समतल मैदान है। मैदानी क्षेत्र में नदियों के किनारे निम्नभूमि पर स्थित बाढ़ के मैदान और उनके बीच में कम ऊँचाई पर स्थित समतल क्षेत्रों को अलग-अलग पहचाना जा सकता है। पहले रेत के टीलों से ढके दक्षिणी-पश्चिमी ऊँचे क्षेत्र को सिंचाई के व्यापक विस्तार के साथ ही लगभग समतल कर दिया गया है, जिससे समूचा परिदृश्य परिवर्तित हो गया है।
हरित क्रांति
पंजाब में कृषि का जबरदस्त विकास मुख्यत: हरित क्रांति का परिणाम है, जिसने राज्य में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी की शुरुआत की। अधिक पैदावार वाले गेहूँ और चावल के बीजों के आगमन साथ ही इन फसलों के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई। गेहूँ और चावल की खेती लगभग तीन-चौथाई कृषि क्षेत्र में होती है। अन्य वाणिज्यिक फसलों में कपासगन्नाआलू, और तिलहन हैं। मक्कामूंगफलीचनाबाजरा और कुछ दलहनों की खेती में पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है। हालांकि गेहूँ व चावल की उपज अब भी काफ़ी अच्छी है, इसमें और वृद्धि नहीं हो रही है। चावल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होने के कारण भूमि के पोषक तत्त्व कम होते जा रहें। जिससे मिट्टी अनुपजाऊ हो रही है। परिणामस्वरूप उत्पादकता बनाए रखने के लिए अधिक उर्वरक का इस्तेमाल करना पड़ता है। मिट्टी की उर्वरता को फिर से प्राप्त करने के लिए और कृषि को लाभकारी उद्यम बनाने के लिए कृषि में विविधता लाने का प्रयास किया जा रहा है। बागबानी, फूलों की खेती, मुर्गीपालन और डेयरी उद्योगों का धीरे-धीरे विकास हो रहा है।

  

पर्यटन

  • पंजाब की पावन भूमि से संत भी पैदा हुए और ऐतिहासिक युद्ध भी हुए। पुरातत्त्व ज्ञान का यहाँ भंडार है।
  • राज्य में पर्यटकों की रुचि के बहुत से स्थान हैं।
  • इनमें अमृतसर का स्वर्णमंदिर, दुर्गियाना मंदिर, जलियाँवाला बाग़, स्टील सिटी- गोविन्दगढ़ में, आनंदपुर साहब में तख़्त श्री केशगढ़ साहब, खालसा सांस्कृतिक परिसर, भाखड़ा-नांगल बांध, पटियाला में क़िला अंदरून, मोतीबाग़ राजमहल, हरिके पट्टन में आर्द्र भूमि, पुरातात्विक महत्त्व का संगोल और छतवीर चिडियाघर, आम ख़ास बाग़ में मुग़लकालीन स्मारक परिसर और सरहिंद में अफ़ग़ान शासकों की क़ब्रें और शेख़ अहमद का रोज़ा शरीफ, जालंधर में सोदाल मंदिर और महर्षि वाल्मीकि का स्मारक आदि मुख्य हैं।

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