क्रिया के व्यापार का समय सूचित करने वाले क्रिया रूप को 'काल' कहते हैं। हिन्दी में काल के तीन प्रमुख भेद होते हैं-वर्तमान काल, भूतकाल और भविष्यत् काल।
वर्तमान काल -
काल के जिस क्रिया रूप से कार्य के अभी होने का बोध होता है, उसे वर्तमान काल कहते हैं। इसके तीन भेद होते हैं-
सामान्य वर्तमान -
क्रिया के जिस रूप से कार्य की अभी पूर्णता या अपूर्णता का ज्ञान न हो उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। जैसे-
- राम घर जाता है।
- मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
- वह गेंद खेलता है।
अपूर्ण वर्तमान -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा यह बोध होता है कि कार्य इसी समय किया जा रहा है या कार्य लगातार हो रहा है, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। जैसे-
- श्याम गेंद खेल रहा है।
- मैं भोजन कर रहा हूँ।
- वह घर जा रहा है।
पूर्ण वर्तमान -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा यह बोध होता है कि कार्य अभी पूर्ण हुआ है। उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। जैसे-
- मोहन ने किताब पढ़ी है।
- मैंन फल खाये हैं।
- उसने गेंद खेली है।
भूतकाल -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा कार्य के अतीत (बीते हुए समय) में होने का बोध होता है, उसे भूतकाल कहते हैं। भूतकाल के भी तीन भेद होते हैं-
सामान्य भूत -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा अतीत में कार्य की पूर्णता या अपूर्णता का बोध न हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। जैसे-
- मोहन घर गया।
- मैंने जहाज़ देखा।
- उसने रोटी खाई।
अपूर्ण भूत -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा यह बोध होता है कि कार्य अतीत में पूरा नहीं हुआ, अपितु नियमित रूप से जारी रहा, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं। जैसे-
- मोहन मैदान में घूम रहा था।
- मैं साल में एक बार घर जाता था।
- वह हॉकी खेल रहा था।
पूर्ण भूत -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा यह बोध होता है कि कार्य एक निश्चित समय से पहले ही पूरा हो चुका था, उसे पूर्ण भूत कहते हैं। जैसे-
- पद्मा ने नृत्य किया था।
- मैंने सिनेमा देखा था।
- वह दिल्ली गया था।
भविष्यत् काल -
काल के जिस क्रिया रूप द्वारा यह बोध होता है कि कार्य आगे आने वाले समय में होगा, उसे भविष्यत् काल कहते हैं। जैसे-
- ज्ञानू दिल्ली जायेगा।
- मीनू आम लायेगा।
- राजू देर तक पढ़ेगा।
- वह कहानी सुनायेगा।
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