हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा 1 नवम्बर, 1966 - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा 1 नवम्बर, 1966

Share This
हरियाणा उत्तर भारत के प्रांत पंजाब को 1966 में विभाजित करके बनाया गया था। इस राज्य की सीमा के उत्तर में पंजाब औरहिमाचल प्रदेश, पश्चिम तथा दक्षिण सीमा पर राजस्थान और पूर्व में उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश स्थित हैं। भारत की राजधानी दिल्लीके तीन तरफ़ हरियाणा की सीमायें लगी हुई हैं, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा में मिला है। हरियाणा प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ है, जो केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ पंजाब राज्य की भी राजधानी है। 'हरियाणा' का शब्दार्थ है- 'परमेश्वर का निवास', 'हरि' (विष्णु) और 'अयन' (घर) से मिलकर हरियाणा शब्द बना है।


  • यह राज्य सम्पूर्ण भारत के विकास का अग्रदूत माना जाता है।
  • ब्रिटिश शासन में हरियाणा, पंजाब प्रान्त का एक भाग रहा था। इसके इतिहास में पंजाब के इतिहास की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  • हरियाणा में प्रति व्यक्ति आमदनी गोवा और दिल्ली के बाद है। हरियाणा में प्रति व्यक्ति औसत आय 29,887 रुपये प्रतिवर्ष (वर्ष 2006 के आंकडों के अनुसार) है।
  • यह राज्य औद्योगिक उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है।
  • गुड़गांव शहर सूचना प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाइल उद्योग के एक प्रमुख केंद्र के रूप में तेज़ी से उभरा है। यह निर्माण क्षेत्र का भी प्रमुख केंद्र है। यहाँ मारुति उद्योग लिमिटेड, जो भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी है, और हीरो होंडा लिमिटेड, जो दोपहिया वाहनों की सबसे बड़े निर्माता कम्पनी हैं, का मुख्य कार्यालय है।
  • पानीपतपंचकूला और फ़रीदाबाद भी हरियाणा के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं।
  • पानीपत रिफ़ाइनरी दक्षिण एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रिफ़ाइनरी है।
  • हरियाणा राज्य में इस्पात और वस्त्र उद्योग भी बहुत विकसित है।

इतिहास और भूगोल

हरियाणा के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र (उत्तर वैदिक युग, लगभग 800-500 ई.पू. का मध्यमा देश, यानी मध्य क्षेत्र) हिन्दू धर्म का जन्म स्थल माना जाता है। यह उस क्षेत्र में है, जहाँ आर्यों का पहला स्तोत्र गाया गया था और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपियाँ लिखी गई थीं। दक्षिणी पंजाब में रोहतक-गुड़गाँव का पर्वतीय प्रदेश, जिसमें मूलतः दिल्ली भी शामिल है। अब इस नाम का एक नया राज्य बन गया है। 1327 के एक अभिलेख में 'ढिल्लीका' या 'दिल्ली' को हरियाणा के अन्तर्गत बताया गया है-
'देशोस्ति हरियानाख्यः पृथिव्यां स्वर्गसन्निमः, ढिल्लिकापुरी यत्र तोमरै-रस्ति निर्मिता।'
कुछ विद्धानों के मत में 'हरयाणा' या 'हरियाना' शब्द, 'अहीराना' का अपभ्रंश है। इस प्रदेश में प्राचीन काल से अच्छी चरगाह भूमि होने के कारण अहीरों या अभीर जाति के लोगों का निवास रहा है। हरियाणा का प्राचीन इतिहास बहुत गौरवपूर्ण है। यह वैदिक कालसे प्रारंभ होता है। यह राज्य पौराणिक 'भरत वंश' की जन्मभूमि माना जाता है, जिसके नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा।महाकाव्य महाभारत में हरियाणा का ज़िक्र हुआ है। कौरवों और पांडवों की युद्धभूमि कुरुक्षेत्र हरियाणा में है। मुस्लिमों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में हरियाणा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बाद में हरियाणा दिल्ली का ही एक भाग बन गया और 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक यह अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहा।

ऐतिहासिक युद्ध भूमि

ऐतिहासिक युद्ध भूमि के रूप में हरियाणा को जाना जाता है। पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठों के रास्तें में पड़ने वाले हरियाणा को सिकंदर महान (326 ई.पू.) के समय से अनेक सेनाओं के हमलों का सामना करना पड़ा। यह भारतीय इतिहास की अनेक निर्णायक लड़ाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। इनमें प्रमुख हैं-
  1. पानीपत की लड़ाइयाँ - 1526 में जब मुग़ल बादशाह बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली।
  2. 1556 में जब अफ़ग़ान सेना मुग़ल शहंशाह अकबर की सेना से पराजित हुई।
  3. 1739 में करनाल की लड़ाई - जब फ़ारस के नादिरशाह ने ध्वस्त होते मुग़ल साम्राज्य को ज़ोरदार शिकस्त दी।
  4. 1761 में जब अहमदशाह अब्दाली ने मराठा सेना को निर्णायक शिकस्त देकर भारत में ब्रिटिश हुकूमत का रास्ता साफ़ कर दिया।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में हरियाणा के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- चौधरी देवी लाल ·अरुणा आसफ़ अली · बंसीलाल · सुचेता कृपलानी ·

पूर्ण राज्य का दर्जा

हरियाणा राज्य की स्थापना 1 नवम्बर1966 को हुई थी। इसलिये हरियाणा का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष '1 नवंबर' को मनाया जाता है। सन् 1857 का विद्रोह दबाने के बाद ब्रिटिश शासन के पुन: स्थापित होने पर अंग्रेज़ों ने झज्जर और बहादुरगढ़ के नवाब,बल्लभगढ़ के राजा और रेवाड़ी के राव तुलाराम के क्षेत्र या तो ब्रिटिश शासन में मिला लिए या अंग्रेज़ों ने पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिये और इस प्रकार हरियाणा पंजाब प्रांत का भाग बन गया। 1 नवंबर1966 को पंजाब प्रांत के पुनर्गठन के पश्चात हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरित कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। 'भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन' के प्रमुख नेतालाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी 'हरियाणा विकास समिति' ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबी भाषा सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिन्दीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबी भाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है।


पर्यटन स्थल

हरियाणा धार्मिक और ऐतिहासिक इमारतों की दृष्टि से समृध्द है। चाहे मामला कुरुक्षेत्र की पवित्र धरती पर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का ज्ञान देने का हो, पानीपत की तीन महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों का हो या फिर फ़िरोज़शाह तुग़लक़ द्वारा अपनी प्रेमिका गूजरी के लिए बीहड़ बयांबान जंगल में हिसारे-फिरोजां का निर्माण कर उसमें गूजरी महल बनवाने का हो। यहां के कण-कण में इतिहास बोलता है। राज्य में रूरल टूरिज्म को बढ़ावा की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है। हरियाणा में 44 से ज़्यादा पर्यटन स्थल हैं। प्रमुख पर्यटन केंद्रों में-
  1. ब्लू जे (समालखा)
  2. स्काईलार्क (पानीपत)
  3. चक्रवर्ती झील और ओएसिस (उचाना)
  4. पराकीट (पीपली)
  5. किंगफिशर (अंबाला)
  6. मैगपाई (फ़रीदाबाद)
  7. दबचिक (होडल)
  8. जंगल बबलर (धारूहेड़ा)
  9. रेड बिशप (पंचकुला ब्लू बर्ड) (हिसार)
  10. शमा (गुड़गांव)
  11. गौरैया (बहादुरगढ़)
  12. पिंजौर गार्डन (पिंजौर)
  13. दिल्ली के पास सूरजकुंड और बड़खल झील
  14. सुल्तानपुर पक्षी विहार (सुल्तानुपर, गुड़गांव)
  15. दमदमा (गुड़गांव)
  16. चीड़ वन के लिए प्रसिद्ध मोरनी पहाड़ियाँ पर्यटकों की रुचि के कुछ अन्य केंद्र हैं।
  17. सूरजकुंड के प्रसिद्ध शिल्प मेले का हर साल फ़रवरी में आयोजन किया जाता है।
  18. पिंजौर उत्सव भी प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

Pages