➠ 28 फरवरी
को देशभर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया।
➠ इस
वर्ष (2020) मनाए गए राष्ट्रीय विज्ञान
दिवस का विषय : "विज्ञान जगत में महिलायें" को
चुना गया है।
➠ विज्ञान
के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है, इसी
दिशा में कदम उठाते हुए अब देश के मशहूर महिला वैज्ञानिकों के नाम पर देश भर के 10 अलग-अलग
संस्थानों में 11 पीठों
का गठन करने का फैसला किया गया है।
जिन
महिला विज्ञानियों के नाम पर इन 10 संस्थाओं में 11 पीठों की स्थापना की
जाएगी वे महिलाएं -
1.
अर्चना शर्मा - साइटोजेनेटिक्स,
2.
जानकी अम्मल - वनस्पति वैज्ञानिक,
3.
दर्शन रंगनाथन - ऑर्गेनिक केमिस्ट या
रसायन विज्ञानी,
4.
आसिमा चटर्जी - रसायन विज्ञानी,
5.
कादंबरी गांगुली - फिजीशियन,
6.
इरावती कर्वे - मानव विज्ञानी,
7.
अन्ना मणि - इंजीनियर, मौसम
विज्ञानी,
8.
राजेश्वरी चटर्जी - वैज्ञानिक एवं
शिक्षिका,
9.
रमण परिमाला - गणितज्ञ,
10.
विभा चौधरी - भौतिक विज्ञानी,
11.
कमल रणदिवे - बायोमैट्रिकल शोधकर्ता,
➤ संस्थानों
में स्थापित इन 11 पीठों
को कृषि जैव प्रौद्योगिकी, प्रतिरक्षा
विज्ञान, फाइटोमेडिसिन, जैव
विज्ञान, चिकित्सा, सामाजिक
विज्ञान, भू
विज्ञान एवं मौसम विज्ञान, अभियांत्रिकी, गणित, भौतिकी
एवं मौलिक अनुसंधान सहित विभिन्न क्षेत्रों में गठित किया जाएगा।
➤ राष्ट्रीय
विज्ञान दिवस पर राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान प्रौद्योगिकी के शोध तथा कार्य बल
में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 15% है जो कि 30% के
वैज्ञानिक औसत की तुलना में कम है। विज्ञान प्रौद्योगिकी के शिक्षण संस्थाओं में
भी तस्वीर इससे कम नहीं है।
➤ राष्ट्रीय
विज्ञान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने शैक्षणिक अनुसंधान एवं
विकास कार्यों के लिए लैंगिक समानता के लिए तीन नए पहलू की शुरुआत भी की है।
➤ जिसमें "विज्ञान
ज्योति" एक अहम पहल है, इसके तहत कक्षा 9 से 12 तक की
छात्राओं को विज्ञान के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
➤ अन्य
दो पहलुओं के तहत एक गति जेंडर एडवांस फॉर ट्रांसफॉर्मिंग
इंस्टिट्यूशन है, इसके
तहत विभिन्न क्षेत्रों में महिला वैज्ञानियों की संख्या में बढ़ोतरी करना है। साथ
ही इन क्षेत्रों को बेहतर रैंकिंग प्रदान की जाने का प्रावधान है, जिसके
लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग
और गणित में लैंगिक समानता का आकलन करने के लिए एक व्यापक चार्टर और रूपरेखा
विकसित की जाएगी।
➤ तीसरी
पहल में महिलाओं के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का एक ऑनलाइन पोर्टल जारी
किया जाएगा, जिसमें
महिला वैज्ञानियों के लिए सरकारी योजनाओं स्कॉलरशिप और फैलोशिप के साथ-साथ कैरियर
काउंसिल के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
➤ भारतीय
महिला वैज्ञानियों ने तमाम क्षेत्रों में शानदार उपलब्धि हासिल की है, इन
महिला वैज्ञानियों ने विज्ञान प्रौद्योगिकी क्षितिज को ना केवल व्यापक बनाया है, बल्कि
देश को भी गौरवान्वित करने का कार्य किया है।
➤ 11 प्रमुख
भारतीय महिला वैज्ञानियों के नाम से 10 विश्वविद्यालयों में 11 पीठों
की स्थापना की जाएगी।
आइए
जानते हैं इन प्रमुख महिला वैज्ञानिकों से संबंधित महत्वपूर्ण बातों को : -
इरावती कर्वे : प्रख्यात मानव विज्ञानी -
➤ इरावती
कर्वे का जन्म महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, कर्वे
एक प्रख्यात मानव विज्ञानी थी।
➤ इनके
अध्ययन का विषय : भारत की जनसंख्या में प्रजातीय तत्व जाति की उत्पत्ति, 2- ग्रामीण
और नगरीय समुदाय का अध्ययन नातेदारी व्यवस्था तथा 3- पश्चिमी भारत की प्रादेशिक
संस्कृति की विशेषता प्रमुख रही थी।
➤ कर्वे
द्वारा महाभारत पर लिखी गई मराठी भाषा की रचना "युगांतर : एक युग
का अंत" के लिए 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से
सम्मानित किया गया।
जानकी अम्मल : वनस्पति शास्त्र की विज्ञानी -
➤ जानकी
अम्मल का जन्म 8 नवंबर 1897 करेल में हुआ था।
➤ अम्मल
ने साइटोजेनेटिक यानी कोशिका विज्ञान और फोटोजियोग्राफी पर शोध किया। साथ ही अम्मल
ने गन्ने और बैगन की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए महत्वपूर्ण कार्य
किया।
➤ अम्मल
बोटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया की महानिदेशक के पद पर भी कार्यरत रही।
➤ वनस्पति
विज्ञान में योगदान को लेकर 1977 में जानकी अम्मल को
पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
डॉ अर्चना शर्मा : अनुवांशिक विज्ञानी -
➤ डॉ
अर्चना शर्मा जानी-मानी अनुवांशिक विज्ञानी यानी साइटोजेनेटिक रही थी।
➤ शर्मा
के द्वारा फूलों के पौधों पर क्रोमोसोम के अध्ययन के चलते क्रोमोजोम के वर्गीकरण
पर एक नए अध्ययन तकनीक का जन्म हुआ।
➤ डॉ
अर्चना शर्मा ने न्यूक्लियस पत्रिका की संस्थापक एवं संपादक भी रही थी।
➤ न्यूक्लियस
पत्रिका विज्ञान प्रौद्योगिकी और उससे जुड़े विषयों की एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका
है।
डॉक्टर अशिमा चटर्जी : रसायन विज्ञानी -
➤ अशिमा
चटर्जी एक प्रख्यात रसायन विज्ञानी रही हैं।
➤ डॉ
अशिमा ने कार्बनिक रसायन और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में अहम योगदान दिया।
➤ इन्होंने
कैंसर चिकित्सा, मिर्गी
और मलेरिया रोधी दवाओं के विकास के लिए भी याद किया जाता है।
➤ अशिमा चटर्जी
पहली महिला वैज्ञानिक थी, जिन्हें
किसी विश्वविद्यालय द्वारा डॉ ऑफ साइंस की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
विभा चौधरी : भौतिक विज्ञानी -
➤ विभा
चौधरी बीसवीं सदी की प्रमुख भारतीय महिला भौतिक विज्ञानी रही थी।
➤ इन्होंने
होमी जहांगीर भाभा, विक्रम
साराभाई, तथा
नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक शास्त्री पी एम एस ब्लैकेट वैज्ञानिकों के साथ मिलकर
अनेक क्षेत्रों में कार्य किया था।
➤ विभा
ने एम.जी. के. मेनन के नेतृत्व में कोलार गोल्ड फील्ड में प्रोटन क्षय परीक्षण के
लिए भी कार्य किया था।
कादंबरी गांगुली : फिजीशियन -
➤ भारत
की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फिजीशियन कादंबरी गांगुली रही
थी।
➤ सन 1886 में
कादंबरी गांगुली देश की पहली महिला डॉक्टर बनी थी।
➤ कादंबरी
गांगुली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन
में भाषण देने वाली पहली महिला सदस्य बनी थी।
➤ कादंबरी
गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला में शामिल हैं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन
में प्रशिक्षण लिया था।
➤ कोयला
खदानों पर कार्य करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी कादंबरी गांगुली ने कार्य
किया है।
डॉ राजेश्वरी चटर्जी : वैज्ञानिक एवं शिक्षिका -
➤ डॉ
राजेश्वरी चटर्जी एक प्रख्यात वैज्ञानिक और शिक्षिका रही है।
➤ कर्नाटक
राज्य से पहली महिला इंजीनियरिंग इंजीनियर होने का श्रेय डॉक्टर राजेश्वरी चटर्जी
को जाता है।
➤ राजेश्वरी
चटर्जी ने माइक्रोवेव इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण
योगदान दिया है।
डॉक्टर रमण परिमाला : गणितज्ञ -
➤ रमण
परिमाला ने बीज गणित के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
➤ बीजगणित
के क्षेत्र में योगदान के लिए डॉक्टर रमण परिमाला को वर्ष 2005 में "द
वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेस" पुरस्कार से भी
सम्मानित किया गया।
कमल रणदिवे : बायोमेडिकल विज्ञानी -
➤ कमल
रणदिवे बायोमेडिकल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिला विज्ञानी
है।
➤ रणदिवे
ने सबसे पहले स्तन कैंसर और अनुवांशिकता में संबंध को स्थापित किया था, तथा
कैंसर पर कई शोध कार्य भी किए।
➤ चिकित्सा
विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए 1982 में कमल रणदिवे को पद्म भूषण
से सम्मानित किया गया।
डॉ दर्शन रंगनाथन : रसायन विज्ञानी -
➤ डॉ
दर्शन रंगनाथन प्रसिद्ध कार्बनिक रसायन विज्ञानी रही हैं, इन्होंने
जैविक रसायन विज्ञान के क्षेत्र में काफी कार्य किया।
➤ प्रोटीन
के क्षेत्र में किया गया कार्य इनका महत्वपूर्ण कार्यों में से एक रहा है।
अन्ना मणि : मौसम विज्ञानी -
➤ अन्ना
मणि उन विज्ञानियों में शामिल है जिन्होंने मौसम विज्ञान के क्षेत्र में अपना
योगदान दिया है।
➤ मौसम
से जुड़े उपकरणों के डिजाइन और निर्माण कार्यक्रम के विकास से अन्ना मणि ने देश को
आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
➠ भारतीय
महिलाओं ने विज्ञान प्रौद्योगिकी के संस्थाओं में उसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान
दिया है, आइए अब
बात करते हैं कुछ ऐसी महिला वैज्ञानियों की जिन्होंने इसरो के प्रमुख अभियानों में
अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
➠ चंद्रयान
हो या मंगलयान भारतीय महिला विज्ञानियों ने बढ़ चढकर भाग लिया है, इनमें
सबसे पहले जिस महिला वैज्ञानी का नाम आता है वह : -
मुथय्या वनिता -
➤ मुथय्या वनिता
भारत के चंद्रयान-२ के मिशन प्रोजेक्ट की निदेशक के रूप में कार्यरत रही थी, वनिता इस
स्तर पर कार्य करने वाली पहली इसरो की महिला है।
➤ प्रोजेक्ट
निदेशक पूरे प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी अथॉरिटी होता है।
➤ इससे
पूर्व वनिता Chandrayaan-1 के अलग-अलग पेलोड का डेटा विश्लेषण का
कार्य करने में कार्यरत रही थी। और Chandrayaan-2 की
लॉन्चिंग तक प्रोजेक्ट का पूरा कार्य मुथ्यया वनिता के द्वारा संपादित किया गया
था।
➤ साइंस
जनरल नेचर ने वर्ष 2019 की प्रामिसिग साइंटिस्ट की सूची में वनिता को शामिल किया था।
रितु करिघल -
➤ रितु
करिघल ने Chandrayaan-2 में मिशन निदेशक का जिम्मा संभाला था।
➤ Chandrayaan-1 में रितु करिघल डिप्टी
ऑपरेशनल निदेशक रही थी।
➤ वर्ष 2007 में
रितु करिघल को इसरो के "यंग साइंटिस्ट
सम्मान" से सम्मानित किया गया।
अनुराधा टीके -
➤ अनुराधा
टीके इसरो की सेटेलाइट सेंटर के जियो सेट प्रोग्राम की निदेशक है।
➤ जीसैट-10 और जीसैट-12 की
लॉन्चिंग में अनुराधा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
नंदिनी हरीनाथ -
➤ नंदिनी
हरीनाथ इसरो रॉकेट साइंटिस्ट है, नंदिनी बेंगलुरु
स्थित सेटेलाइट सेंटर में कार्यरत हैं, इन्होंने मार्स ➤ आर्बिटर
मिशन यानी मंगलयान में डिप्टी ऑपरेशनल के निदेशक की भूमिका निभाई थी।
मीनल संपत -
➤ मीनल
संपत दो वर्ष तक बिना खिड़की वाले कमरे में लगातार देश की अंतरिक्ष परियोजना को
पूरा करने में लगी रही, इन्होंने
परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए अट्ठारह-अट्ठारह घंटे कार्य किया।
➤ मंगल
मिशन में मीनल संपत सिस्टम इंजीनियरिंग के तौर में कार्यरत रही थी।
मौमिता दत्ता -
➤ मौमिता
दत्ता मंगल मिशन के लिए मीथेन सेंसर परियोजना के आयोजक के तौर पर कार्य करने में
शामिल रही थी।
➤ इन्होंने
ऑप्टिकल प्रणाली के विकास एवं सूचक लक्षण के लिए भी कार्य किया है।
डॉक्टर सीता सोमासुंदरम -
➤ डॉक्टर
सीता सोमासुंदरम ने मंगल मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इन्हें
मंगल मिशन में जिम्मेदारी दी गई थी, कि वे पेलोड के 400 मिलियन
दूरी तय करने के बाद लाल ग्रह (मंगल) की परिक्रमा करने को सुनिश्चित करें।
लतांबिका ए.आर. -
➤ केरल
में जन्मी लतांबिका वर्ष 1988 में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से जुड़ी।
➤ वर्तमान
में लतांबिका 2022 में लांच होने वाले गगनयान की
जिम्मेदारी इसरो में संभाल रही है।
➤ लतांबिका
की विशेषज्ञता एडवांस लांचर टेक्नोलॉजी में रही है।
एन. वलार्मथी -
➤ एन.
वलार्मथी को भारत की पहली स्वदेशी "राडार इमेजिंग उपग्रह
सेटेलाइट रिसैट-1" की लॉन्चिंग करने
का श्रेय जाता है।
कीर्ति फौजदार -
➤ कीर्ति
इसरो की उस टीम का सदस्य रही है, जो उपग्रहों को मॉनिटर करती है।
➠ विज्ञान
प्रौद्योगिकी के अलावा भारतीय महिला वैज्ञानिकों ने अन्य क्षेत्रों में भी कई
उपलब्धियां हासिल कर विश्व पटल पर अपना नाम दर्ज कराया साथ ही भारत की गरिमा भी
बढ़ाई, ऐसी ही
कुछ महिलाएं हैं, जिनमें
-
आनंदीबाई जोशी -
➤ आनंदीबाई
जोशी पहली भारतीय महिला है, जिन्होंने विदेश में डॉक्टर की डिग्री
हासिल की, उन्होंने पेंसिलवानिया
के महिला मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की थी।
➤ भारत
लौटने के बाद मेडिकल साइंस और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आनंदीबाई जोशी ने काफी
कार्य किया।
डॉक्टर इंदिरा हिंदुजा -
➤ डॉक्टर
इंदिरा हिंदुजा को 5 महिलाओं
की गोद भरने का कार्य के लिए इन्हें विशेष रूप से जाना जाता है।
➤ वर्ष 1986 में भारत के पहले
टेस्ट ट्यूब बच्चा पैदा करने का श्रेय इंदिरा हिंदुजा को ही
जाता है।
➤ जी.आई.एफ.टी.
(गैमेटे इंट्राफॉलोपियन ट्रांसफर) तकनीक
का आविष्कार इंदिरा हिंदुजा के द्वारा किया गया, जिसकी वजह से साल 1988 में
भारत का पहला जी.आई.एस.टी बच्चा दुनिया में आया।
➤ वर्ष 2011 में
चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया
गया।
डॉ अदिति पंत -
➤ डॉ
अदिति पंत जानी-मानी समुद्र विज्ञानी रही है।
➤ डॉ
अदिति पंत उन पहली तीन महिलाओं में शामिल तीसरी महिला है, जिन्होंने
साल 1983 में अंटार्कटिका पहुंच ने में सफलता प्राप्त की थी।
➤ इस
मिशन ने अंटार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री
की स्थापना की, जो
भारत का अंटार्कटिका में पहला रिसर्च स्टेशन बना।
➤ अंटार्कटिका
रिसर्च स्टेशन की स्थापना के लिए इन्हें इनकी तीन सहयोगियों के साथ
अंटार्कटिका पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया।
किरण मजूमदार शा -
➤ किरण
मजूमदार शॉ जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अहम योगदान देने वाली महिला विज्ञानी है।
➤ किरण
ने मधुमेह, कैंसर
तथा आत्म प्रतिरोधी बीमारियों पर शोध किया, एंजाइमों के निर्माण के लिए
पूरी तरह से एकीकृत जैविक दवा कंपनी की भी इन्होंने स्थापना की।
➤ वर्ष 2011 में
टाइम्स पत्रिका ने दुनिया की 100 प्रतिभाशाली लोगों में इन्हें जगह दी
गई थी।
➤ वर्ष 2014 में फ्यूचर मैगजीन
ने एशिया पैसिफिक में सबसे प्रभावशाली महिला किरण मजूमदार शॉ को
करार दिया था।
➠ गणित, खगोल
तथा अंतरिक्ष में भी भारतीय महिला वैज्ञानियों ने उपलब्धि हासिल की है, जिनमें
-
टेसी थॉमस -
➤ टेसी
थॉमस एक अंतरिक्ष विज्ञानी रही हैं। इन्हें भारत की मिसाइल महिला और अग्निपुत्री के नाम
से भी जाना जाता है।
➤ टेसी
ने डी.आर.डी.ओ. में रक्षा प्रणाली को मजबूत कर सबका ध्यान आकर्षित किया था।
➤ भारत
की "long-range न्यूक्लियर
कैपेबल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5" के
निर्माण में टेसी थॉमस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
कल्पना चावला -
➤ भारतीय
मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला पहली भारतीय महिला है, जिन्हें
अंतरिक्ष में जाने का गौरव हासिल किया है।
➤ कल्पना
चावला को अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी नासा ने वर्ष 1994 में अंतरिक्ष यात्री के रूप
में चुना था।
➤ कल्पना
चावला ने 376 घंटे 34 मिनट
तक अंतरिक्ष में रही थी, अंतरिक्ष
में इन्होंने कई अनुसंधान और प्रयोग किए साथ ही पृथ्वी के 252 भी
चक्कर भी कल्पना चावला के द्वारा लगाए गए।
➤ इनके
अलावा अनेक भारतीय महिला वैज्ञानी जिन्होंने अपने अनुसंधान और प्रयोग कार्यों से न
केवल महिलाओं को गौरवान्वित किया, बल्कि भारत को भी अंतरिक्ष विज्ञान, विज्ञान
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व पटल पर स्थापित किया है।
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