आज का इतिहास 16 अप्रैल, - Study Search Point

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आज का इतिहास 16 अप्रैल,

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1844- फ़्रांस के लेखक और कवि ऐनाटल फ्रैंकस का पेरिस में जन्म हुआ। उन्हें आरंभ से ही शायरी और सहित्य से लगाव पैदा हो गया। थोड़े ही समय में उन्होंने भारी ख्याति प्राप्त कर ली। उनकी कई काव्य रचनाएं हैं।

1853- भारतीय रेलवे का शुभारंभ। पहली ट्रेन बम्बई के विक्टोरिया टर्मिनस स्टेशन और ठाणे के बीच चली। सन 1843 ईसवी में ब्रिटेन के एक दक्ष इन्जीनीयर जी टी क्लार्क को भारत में रेलवे के आरंभ हेतु मूलभूत कार्य करने के लिए मुंबई भेजा गया किन्तु उनकी तैयार की गयी योजना को भारतीय सेना की एक समिति ने रद्द कर दिया। इसी दौरान ग्रेट इंडियन पेनिन सुला रेलवे फ़ाक लैंड के नाम से एक योजना पर कार्य आरंभ हुआ।
1889- लंदन के निकट एक स्थान पर विश्व विख्यात कमेडी अभिनेता चार्लज़ का जन्म हुआ। वे चार्ली चैपलिन के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हैं। बचपन में उन्होंने ड्रामे में काम किया और धीरे धीरे ख्याति की सारी सीमाएं पार करते चले गये। चैपलिन जवानी में अमरीका चले गये और 1915 से फ़िल्मों का लेखन और निर्दोशन आरंभ कर दिया। समाज के वंचित और दरिद्र वर्ग की सहानुभूति पर आधारित और आलोचक फ़िल्में बनाने के कारण चैपलिन को अमरीकी सरकार के क्रोध का सामना करना पड़ा सन 1952 ईसवी में अमरीकी सरकार ने उन्हें देशनिकाला देने का आदेश जारी कर दिया।

1922- इटली में रूस और जर्मनी के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर किये गये।

1945- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सेना जर्मनी के नुरेम्बर्ग इलाके में घुसी।


1948- फ़िलिस्तीन में सशस्त्र ज़ायोनियों ने तेल लेतफ़िन्सकी शरणार्थी शिविर पर आक्रमण करके 90 फ़िलिस्तीनियों को मार डाला और दसियों अन्य को घायल कर दिया। यह घटना ऐसे समय में हुई कि एक ओर ब्रिटिश सेनाए फ़िलिस्तीन से निकल रही थीं और दूसरी ओर ज़ायोनी फ़िलिस्तीन में अवैध इस्राईल बनाने की चेष्टा में फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार कर रहे थे। ज़ायोनियों और ब्रिटिश अधिकारियों की साठ गांठ से होने वाले इस अमानवीय कृत्य के परिणाम स्वरुप भारी संख्या में फ़िलिस्तीनी मारे गये और शरणार्थी हुए। 

1988- ख़लीलुल वज़ीर नामक विख्यात फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ता की ज़ायोनी शासन के लोगों ने टयूनिशिया में हत्या कर दी। वे बड़े ही देशभक्त फ़िलिस्तीनी थे।

1997 ईसवी को मक्के से दस किलोमीटर दूर मेना में एक गैस सेलेन्डर फटने से भीषण आग लग गयी जिसके परिणाम स्वरूप 343 हाजी शहीद और 1290 घायल हुए। इसके अतिरिक्त सत्तर तंबू जलकर राख हो गये। वर्ष 1975 के बाद मेना में आग लगने की यह दूसरी बड़ी घटना की।

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