सुप्रीमकोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू न करने पर फटकार, - Study Search Point

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सुप्रीमकोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू न करने पर फटकार,

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#सुप्रीमकोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू न करने को लेकर कुछ राज्यों को सोमवार को फटकार लगाते हुए कहा कि संसद द्वारा पारित कानून को आखिर गुजरात जैसा राज्य क्यों कार्यान्वित नहीं कर रहा है। #न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा संसद क्या कर रही है, क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है। कानून कहता है कि वह पूरे भारत के लिए है और गुजरात है कि इसका कार्यान्वयन नहीं कर रहा है। कल कोई कह सकता है कि वह आपराधिक दंड संहिता, #भारतीयदंडसंहिता और प्रमाण कानून को लागू नहीं करेगा। पीठ ने केंद्र से कहा कि वह सूखा प्रभावित राज्यों में मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और मध्याहन भोजन जैसी कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करे। केंद्र से पीठ ने 10 फरवरी तक हलफनामा दायर करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई दो दिन बाद नियत कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को केंद्र से #मनरेगा, खाद्य सुरक्षा कानून और मध्याह्न भोजन योजनाओं के कार्यान्वयन के बारे में जानकारी देने को कहा था। न्यायालय ने जानना चाहा था कि क्या प्रभावितों को न्यूनतम आवश्यक रोजगार और आहार उपलब्ध कराया जा रहा है या नहीं। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश, #कर्नाटक, मध्यप्रदेश, #आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, #महाराष्ट्र, गुजरात, #ओडिशा, झारखंड, #बिहार, #हरियाणा और चंडीगढ़ सूखा प्रभावित हैं लेकिन प्राधिकारी समुचित राहत उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। यह जनहित याचिका गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान ने दाखिल की है, जिसका संचालन योगेन्द्र यादव जैसे लोग कर रहे हैं। याचिका में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की गई है, जिसमें हर व्यक्ति को प्रति माह पांच किलो खाद्यान्न मुहैया कराने की गारंटी दी गई है। #एनजीओ ने प्राधिकारियों को यह आदेश देने की मांग भी की है कि प्रभावित परिवारों को दालें और खाद्य तेल भी दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि स्कूल जाने वाले बच्चों को मध्याहन भोजन योजना के अंतर्गत दूध और अंडा भी दिया जाए। इस याचिका में फसल के नुकसान की स्थिति में समय पर और समुचित मुआवजा देने की मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि सूखा प्रभावित किसानों को अगली फसल के लिए सब्सिडी तथा पशुओं के लिए सब्सिडी युक्त चारा दिया जाना चाहिए। #अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि अपने दायित्वों के निर्वाह में केंद्र और राज्यों की घोर उपेक्षा के कारण लोगों को खासा नुकसान हो रहा है और यह संविधान के #अनुच्छेद 21 तथा 14 के तहत अधिकारों की गारंटी के उलट है। याचिका में कहा गया है कि सूखे की वजह से ग्रामीण गरीबों के लिए उपलब्ध कृषि संबंधी #रोजगार में गहरी कमी आई है।

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