इस साल 2015 में देश के विभिन्न जगहों पर कई बड़ी आपराधिक और आतंकी घटनाएं हुईं। बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकांड, अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की गिरफ्तारी, मुंबई हमलों के दोषी याकूब मेमन को फांसी, उधमपुर और गुरुदासपुर में आतंकी हमलों समेत कई बड़ी घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया। कुछ मामलों में तो सियासत भी खूब हुई। इन प्रमुख घटनाओं का गहराई से नीचे अवलोकन करें।
शीना बोरा हत्याकांड
अगस्त महीने में बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकांड का खुलासा हुआ। शीना की मां इंद्राणी ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल लिया और पुलिस को बताया कि चलती कार में शीना का गला दबाकर उसकी हत्या की थी। हत्या के बाद उसकी लाश को पेट्रोल डालकर जला दिया गया था। गौर हो कि वारदात के खुलासे के तीन साल पहले शीना बोरा की हत्या कर दी गई थी। स्टार के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी की पत्नी इंद्राणी को 2012 में हुई शीना बोरा की हत्या में कथित भूमिका को लेकर खार पुलिस ने अगस्त में गिरफ्तार किया। इंद्राणी अभी जेल में है। महाराष्ट्र की रायगढ पुलिस को एक जंगल में शीना बोरा के शव के अवशेष मिले थे जिसके बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। इंद्राणी के ड्राइवर को भी 25 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। ड्राइवर ने यह कबूल किया था कि इंद्राणी ने शीना बोरा की हत्या की और उसने 24 अप्रैल 2012 को रायगढ जिले के जंगल में उसका शव छुपाने में इंद्राणी की मदद की थी। शीना ने पुलिस को बताया कि उसने अपने पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर के साथ मिलकर 24 अप्रैल को हत्या की थी। पुलिस के अनुसार शीना को धोखे से कॉलेज के पास बुलाया और कार में बैठा लिया इसके बाद चलती कार में शीना का गला दबाकर उसकी हत्या की गई। शीना की लाश को मुंबई के निकट रायगढ में ले जाकर पेट्रोल डाल आग लगा दी थी। इंद्राणी ने यह भी मान लिया है कि शीना उसकी बेटी थी। गौरतलब है कि इससे पहले इंद्राणी ने शीना को अपनी बहन बताया था। पुलिस ने इस मामले में आईएनएक्स मीडिया के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी की पत्नी इंद्राणी मुखर्जी के पूर्व पति को भी गिरफ्तार कर किया गया।
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की गिरफ्तारी
भारत के सबसे वांछित अपराधी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को इंडोनेशिया पुलिस ने इंटरपोल द्वारा जारी रेडकॉर्नर नोटिस के आधार पर अक्टूबर महीने में बाली से गिरफ्तार कर लिया। वह पिछले दो दशक से फरार था। कुछ दिनों के बाद राजन को सीबीआई की निगरानी में भारत लाया गया। राजन एक अलग नाम से ऑस्ट्रेलिया में रह रहा था। ऑस्ट्रेलिया पुलिस सूचना मिलने के बाद 55 वर्ष वर्षीय राजेन्द्र सदाशिव निकाल्जे उर्फ मोहन कुमार उर्फ छोटा राजन को सिडनी से इंडोनेशिया के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बाली पहुंचने के बाद गिरफ्तार किया गया। किसी समय दाऊद इब्राहिम के वफादार रहे छोटा राजन ने बाद में उससे बगावत कर दी थी। सीबीआई, इंटरपोल, भारत के आग्रह पर बाली पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया। मुंबई में जन्मे राजन की हत्या और अवैध हथियारों को रखने तथा उनका इस्तेमाल करने सहित कई आरोपों में तलाश थी। वर्ष 2000 में उसपर जानलेवा हमला हुआ था जब दाउद के आदमियों ने उसे बैंकाक के एक होटल में घेर लिया था, लेकिन वह होटल की छत से निकल भागने में कामयाब हो गया था।
मुंबई हमलों के दोषी याकूब मेमन को फांस
मुम्बई में 1993 के श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के सिलसिले में मौत की सजा पाने वाले एकमात्र दोषी याकूब मेमन को जुलाई महीने में फांसी दे दी गई। इससे पहले उच्चतम न्यायालय से राहत प्राप्त करने के उसके प्रयास विफल रहे और शीर्ष अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। मेमन को नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई। उच्चतम न्यायालय ने 30 अप्रैल के टाडा अदालत के मौत के फरमान को बरकरार रखा जिसमें याकूब को 30 जुलाई को फांसी देने का आदेश दिया था। याकूब विस्फोटों का एक प्रमुख साजिशकर्ता और भगौड़े डॉन दाउद इब्राहिम का करीबी सहयोगी था। उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च 2013 को उसकी दोषसिद्धि और मौत की सजा को बरकरार रखते हुए उसे विस्फोटों का ‘प्रमुख साजिशकर्ता’ करार दिया था। विशेष टाडा अदालत ने 12 सितंबर 2006 को उसे मौत की सजा सुनाई थी। भगोड़े अपराधी दाउद इब्राहिम के करीबी सहयोगी और मुंबई बम विस्फोटों के एक मुख्य षड्यंत्रकारी टाइगर मेमन के छोटे भाई याकूब की दोषसिद्धी और उसे सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च 2013 को उसे विस्फोटों को अंजाम देने वाली ताकत करार दिया था। विशेष टाडा अदालत ने उसे 12 सितंबर 2006 को मौत की सजा सुनाई थी। यह विस्फोट बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वर्ष 1992/93 में सांप्रदायिक दंगों के पश्चात हुए थे। याकूब पर विस्फोटों के लिए वित्त व्यवस्था और हर तरह की मदद मुहैया कराने का तथा 13 से 14 आरोपियों को हथियारों और गोलाबारूद के उपयोग के प्रशिक्षण के लिए मुंबई से दुबई होते हुए पाकिस्तान भेजने का आरोप था। उसे 6 अगस्त 1994 को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था। वह काठमांडो से दिल्ली आया था।
उधमपुर आतंकी हमला
पाकिस्तान से आए आतंकियों ने अगस्त माह में उधमपुर जिले में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीमा सुरक्षा बल के एक काफिले पर हमला कर दिया जिसमें सीमा सुरक्षा बल के दो कांस्टेबल मारे गए। खास बात यह रही कि हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकवादी नावेद को 2008 के मुंबई हमले के हमलावर कसाब की ही तरह जिंदा पकड़ लिया गया। यह आतंकी हमला ऐसे समय हुआ है जब कुछ ही दिन पहले आतंकवादियों ने पंजाब के दीनानगर पुलिस थाने पर हमला किया था। इस खतरनाक हमले में शामिल मोहम्मद नावेद ने एक अन्य उग्रवादी नोमान उर्फ मोमिन के साथ मिलकर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीमा सुरक्षा बल के काफिले पर गोलियां चलाईं। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने भी जवाब में गोलियां चलाई, जिससे नोमान मारा गया, जबकि नावेद पास की पहाड़ियों में एक गांव की तरफ भाग गया, जहां उसने तीन लोगों को बंधक बना लिया। ग्रामीणों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस को बुलाकर सौंप दिया। इस आतंकवादी के जिंदा पकड़े जाने से भारतीय सुरक्षा संगठन को यह साबित करने में मदद मिलेगी कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था।
गुरदासपुर आतंकी हमला
पंजाब की धरती पर करीब 20 साल बाद बड़ा आतंकी हमला हुआ। जुलाई महीने में आतंकी गुरदासपुर के दीनानगर थाने में दाखिल हुए। 11 घंटे लंबे ऑपरेशन में सभी आतंकी मारे गए। एक एसपी, दो होमगार्ड समेत 9 लोगों की मौत ने पूरे देश को दहला दिया। दीनानगर कस्बे में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच लगभग 11 घंटों तक मुठभेड़ चली। पंजाब पुलिस की जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादी मार गिराए गए। वहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, दो होमगार्ड और तीन नागरिकों सहित छह लोगों की इस हमले में मौत हो गई। आतंकियों ने गुरदासपुर में जम्मू जा रही बस पर फायरिंग करने के बाद दीनानगर थाने पर हमला किया था।
सीमा पार से घुसपैठ
इस साल भी पाकिस्तान की ओर से सीमा पर आतंकियों की घुसपैठ के कई प्रयास किए गए। हालांकि कुछ मौकों पर आतंयिकों का यह प्रयास हताशा और दुस्साहस से भरा रहा। आतंकियों की घुसपैठ पिछले साल की तुलना में इस साल काफी बढ़ा। बार्डर सिक्युरिटी फोर्स के डीजी के अनुसार, जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस साल घुसपैठ की 60 से अधिक कोशिशें हुईं। पिछले साल यह तादाद महज 48 ही थी। इसी घुसपैठ के चलते इस साल गुरुदासपुर और कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा के रास्ते से आतंकी पंजाब और जम्मू में दाखिल हुए और आम नागरिकों की जानें ली। देश की सीमा पर सुरक्षा का जिम्मा लिए मुस्तैद रहने वाली बीएसएफ के लिए यह चिंता का विषय बना रहा। वहीं, सेना ने शीतकाल में सीमा पार से घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर चौकसी खासा बढ़ा रखी। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 37 आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलने और करीब 700 दहशतगर्दों को जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की ट्रेनिंग की खबर सामने आने के बाद सीमा पर चौकसी और बढ़ा दी गई।